Class 10 Subjective Geography Chapter 1 A प्राकृतिक संसाधन | Bihar Board Social Science Geography Subjective Question 2025

Class 10 Subjective Geography Chapter 1 A प्राकृतिक संसाधन बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025 में भूगोल विषय से कई सारे सब्जेक्टिव प्रश्नों को पूछे जाते हैं इसलिए आपको हर चैप्टर के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्नों (Important Subjective Questions) को याद करना बेहद जरूरी है इस क्रम में मदद करेंगे मंटू सर Mantu Sir(Dls Education) के द्वारा बनाए गए महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Short And Long Question Answer) के सेट जिसकी मदद से आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं और आप ज्यादा से ज्यादा नंबर प्राप्त कर पाएंगे

आपको बता दे की चैप्टर के अनुसार अनुसार सब्जेक्ट प्रश्नों (Chapter Wise Subjective Questions)को तैयार किया गया है इन प्रश्नों में महत्वपूर्ण प्रश्न चैप्टर से निकल कर सेट (Subjective Question Set) के अंदर डाला गया है और साथ ही इस चैप्टर से पिछले कुछ सालों में पूछे गए प्रश्नों को भी इस सेट में मुहैया कराया गया है आपको बता दे की पहले ही चैप्टर के पहले टॉपिक प्राकृतिक संसाधन के अंतर्गत आने वाला भूमि संसाधन से परीक्षा में प्रश्नों को पूछा जाता है इसलिए आपको इन प्रश्नों को जरूर ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए

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Class 10 Subjective Geography Chapter 1 A प्राकृतिक संसाधन

प्राकृतिक संसाधन में आपको पढ़ने को मिलता है जल कृषि पवन भारत के किन भागों में नदी डेल्टा का विकास हुआ है फसल चक्र के बारे में पढ़ने को मिलता है जल क्रांति के बारे में पढ़ने को मिलती है मृदा संरक्षण के बारे में पढ़ने को मिलता है इसके अलावा भारत में अत्यधिक पशु गान होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका योगदान लगभगनगर में है क्यों यह सब कुछ आपको इस चैप्टर में पढ़ने को मिलती है प्राकृतिक संसाधन के बारे में और इस चैप्टर से महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्नों को परीक्षा में पूछा जाता है इसलिए यह परीक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण चैप्टर है(Chapter 1 A Important Subjective Questions

प्राकृतिक संसाधन
(क) भूमि संसाधन:


प्रश्न 1.जब जलोढ मृदा के विस्तार वाले राज्यों के नाम बताएं इस मृदा में कौन-कौन सी फैसले लगाई जा सकती हैं?


उत्तर- जलोढ़ मृदा का विस्तार उत्तर भारत के पूरे मैदानी क्षेत्र में है राजस्थान तथा गुजरात के भी कुछ क्षेत्र में जालोढ मृदा पाई जाती है यह वहां एक संकरी पार्टी के रूप में समिति हुई है।
जलोढ़ मृदा में गाना,धान, गेहूं,मक्का,दलहन–जैसे मसूर अरहर,चना, मूंग,उड़द,मटर, मसूर , आदि।प्रमुखता से  उपजाई जा  सकती है।


प्रश्न 2.सामोच्य कृषि से आप क्या समझते हैं?


उत्तर- समोच्य कृषि से तात्पर्य समोच्य जुताई द्वारा की जाने वाली कृषि से हैं।खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में जहां वर्षा जल तीव्रता से दल पर बढ़ जाता है और अपने साथ उपजाऊ मिट्टी भी बाहर ले जाता है उनको रोकने के लिए समोच्य जुताई की जाती है इससे वर्षा जल उपजाऊ मिट्टी को बहा नहीं पाती तथा खेत में नमी भी बनी रहती है।


प्रश्न 3. पवन अपरदन वाले क्षेत्र में कृषि के कौन सी पद्धति उपयोगी मानी जाती है?


उत्तर- पवन अपरदन वाले क्षेत्र में पत्रिका कृषि उपयोगी मानी जाती है इस कृषि में फसलों के बीच घास की पत्तियां विकसित की जाती है इन घास की पत्तियां के कारण पवन का जोर खेत की मिट्टी को उड़ा पानी में सक्षम नहीं हो पाती इसके अलावा ध्यान रखा जाता है कि खेत कभी खाली नहीं रहने पाए इसके लिए अनवरत कृषि पद्धति भी अपनानी पड़ती है।


प्रश्न 4. भारत के किन भागों में नदी डेल्टा का विकास हुआ है यहां की मृदा की क्या विशेषता है?


उत्तर- भारत के पूर्वी तट के अनेक क्षेत्र में डेल्टा का विकास हुआ है पश्चिम बंगाल में गंगा का डेल्टा विश्व प्रसिद्ध है। इसके अलावा महानदी ,गोदावरी ,कृष्णा और कावेरी नदी के मुहाने पर डेल्टा का विकास हुआ है।
यहां की मृदा की विशेषता है कि इन सभी डेल्टाओ पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है, जो काफी उपजाऊ होती है। स्थानुसार डेल्टाओ पर धान ,जूट,पाट कुछ गेहूं ,मक्का दलहन आदि ऊपजाए जाते हैं।


प्रश्न 5.फसल चक्र में मृदा संरक्षण में किस प्रकार सहायक हैं?


उत्तर-  फसल चक्रण का अर्थ है ,की प्रति वर्ष फसलों को अदल–बदल कर कृषि की जाए। खेत में यदि एक वर्ष धान फैसले बोई गई तो अगले वर्ष दलहन फसल अवश्य बाई जाए दलहन फसल में पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है, जिससे भूमि की उपज शक्ति बनी रहती है। इसी प्रकार कपास और तिलहन की खेती भी बारी-बारी से करने से मृदा संरक्षण में सहायता मिलती है


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:


प्रश्न 1.जलाक्रांतिता  कैसे उपस्थित होती है मृदा अपरदन में इसकी क्या भूमिका है?


उत्तर- अधिक सिंचाई या वर्षण से जालाक्रांतता उपस्थित होती है मृदा अपरदन में इसकी भूमिका यह होती है कि मृदा में लवणीयता तथा क्षारीयता की वृद्धि हो जात हैं इस कारण भूमि का निम्नीकरण हो जाता है और उसकी क्षरीयता की वृद्धि हो जाती है इस कारण भूमि का निम्नीकरण हो जाता है और उसकी उपज शक्ति छिड़ हो जाती है परिणामत:अन्य की कमी होने लगती है जिस काल का सामना करना पड़ता है वैसी भूमि में ऐसा कुछ भी नहीं उपजता जिसके बदले खदान प्राप्त किया जा सके। 


ऐसे निम्नीकरण वाली भूमि आधुनिक मानव सभ्यता के लिए विकट समस्या हैं। मानव सभ्यता के लिए यह एक चुनौती है। लेकिन यदि मानव को जीवित रहना है, सभ्यता को कायम रखना है तो हमें इस चुनौती को स्वीकार करना पड़ेगा। कुछ ऐसे उपाय करने होंगे की भूमि फिर से उपजाऊ बन जाए। रासायनिक उर्वरकों को त्याग कर जैविक खाद का उपयोग हो। पहले दलहन और तिलहन की खेती की जाए। उसके बाद गेहूं या जो बोया जाए। धीरे-धीरे कुछ वर्षों बाद वह भूमि निश्चय ही उपजाऊ हो जाएगी।


इसके अलावा सरकार द्वारा संचालित कृषि विभाग के विशेष योग से राय ली जाए। वे जैसा बताएं उन उपायों को अपने से वह खेत अवश्य ही उपजाऊ हो जाएगा। खेत जल क्रांति हो ही नहीं, इसके लिए आवश्यक है कि सिंचाई कम की जाए। उसे खेत में वैसी फैसले लगाई जाए, जिन्हें कम जल की आवश्यकता होती है। दूसरी बात यह है कि यदि वर्षा जल उसे खेत में एकत्र होता हो तो खेत से निकलने का प्रबंध किया जाए।


प्रश्न 2.मृदा संरक्षण पर एक निबंध लिखिए।


उत्तर- मृदा संरक्षण पर निबंध लिखने के पहले हमें यह जानना आवश्यक है कि मृदा क्या है। पृथ्वी के अंदर पाई जाने वाली सभी मिट्टी मृदा नहीं है। मृदा मात्रा पृथ्वी के ऊपरी परत को ही कहते हैं जिसकी गहराई अधिक 20 से 30 सेमी.तक होती है। पृथ्वी पर उतनी ही गहराई तक की मिट्टी को मृदा कहते हैं, जितनी गहराई तक कृषि कार्य होता है। इसका अर्थ हुआ कि सभी मिट्टी मृदा नहीं है, लेकिन सभी मृदा मिट्टी है।
पृथ्वी की ऊपरी सतह ही मृदा है, जिसमें कृषि कार्य किया जाता है। मृदा के संरक्षण के कोई कारक हैं। यह सभी कारक प्राकृतिक हैं, जैसे–

(क)तेजी से बहता हुआ जल (ख)वेगवान, पवन सामुद्रिक लहरें। इन्हीं से सुरक्षा करने को मृदा संरक्षण कहते हैं।


मृदा संरक्षण के अनेक उपाय हैं, जिनमें से जहां जिसकी आवश्यकता पड़ती है, वहां उसका उपयोग किया जाता है। गुरुत्व बल के कारण पहाड़ी ढलान की मृदा वर्षा जल के साथ वह जाती है। इसके लिए बढ़े या अमीर बनाया जा सकता है। पढ़ती पड़े खेत अर्थात खाली खेत से पवन कहीं अन्यत्र चली गाई जाती है। इससे बचाव का उपाय है कि खेत को कभी खाली नहीं रखा जाए। या तो उसमें कोई फसल लगी रहे या कम से कम घास ही लगा दी जाए। खेत के चारों ओर वृक्ष लगा देने से भी पवन मृदा को नहीं उड़ा पता इससे यह भी लाभ मिलता है कि वृक्ष के प्रति सड़क कर मृदा में ह्ययुमस की वृद्धि करते हैं?


हरित क्रांति के फसल हो जाने के पश्चात सभी किसान रासायनिक उर्वरकों तथा कितना सी दावों का धड़ल्ले से उपयोग करने लगे हैं इसका परिणाम हुआ की खेत तो  अनुउजाऊ हो ही जाता हैं, जल प्रदूषण की समस्या भी खड़ी हो गई है वर्षा जल के साथ में रासायनिक वस्तुएं बहाकर जल स्रोतों में पहुंच जाती है, जिससे जल प्रदूषण की समस्या खड़ी हो जाती हैं।


प्रश्न 3. भारत में अत्यधिक पशुधन होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में इनका योगदान लगभग नगर में है स्पष्ट करें।


उत्तर- यह सही है कि भारत में अत्यधिक पशुधन है, लेकिन इसके बावजूद यहां की अर्थव्यवस्था में इनका योगदान लगभग नगण्य है। इसका कारण यह है कि देश में कृषि क्षेत्र बढ़ाने के चलते चारागाह हो की कमी हो गई है यदि है भी तो पर्याप्त नहीं है पशुपालन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पहले सवारी के लिए घोड़ा,बैलगाड़ी, भैंस गाड़ी आदि ही साधन थे। लेकिन सभ्यता के विकास के कारण आज मोटर गाड़ी जैसे–जीप कार जिनपर सवारी की जाती है। बैलगाड़ी और भैंसा गाड़ी का स्थान ट्रैकों ने ले लिया है। अब छोटे-छोटे कस्बो और बाजारों तक ट्रक सामान पहुंचा देते हैं। पहले कृषि कार्य में खेत की जुताई के लिए हाल का उपयोग होता था,


जिसे बेल या भैंस खींचते थे। सिंचाई में भी मोटे या रहट बेल ही खींचते थे। तेल करने में बैल का उपयोग होता था। लेकिन आज सभी काम मशीनों से ही होते हैं। खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर, सिंचाई के लिए ट्यूबवेल या पारंपरिक कुआं, है ट्रैक्टर तो माल ढोने के साथ-साथ यात्रा करने के काम में आ जाते हैं। फलत: बेल पालन या भैंस पालन की ओर से लोग उदासीन हो गए हैं। आज केवल गए और भैंस को ही पशुधन माना जाता है और उसी का पालन होता है। केवल छोटे किसान बैल और भैंस रखते हैं अतः कहना चाहिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का योगदान नागण्य आवश्य है, किंतु समाप्त नहीं है।


कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर:


प्रश्न 1. भूमि संसाधन क्या है?


उत्तर- भूमि संसाधन का मुख्य स्रोत भूमि ही है। जीव भूमि पर अन्य फल या मांस– मछली खाकर जीवित रहता है। जीव खासकर मनुष्य के संदर्भ में हम कहे तो कह सकते हैं कि मनुष्य भूमि पर ही जन्म लेता है इसी के  अन्न जल खाकर जीवित रहता है। और मृत्यु उपरांत इस पर जलाया या इसी में दफन किया जाता है।
भूमि के अनेक भौतिक रूप हैं।

Geography Chapter 1 A प्राकृतिक संसाधन Class 10

प्राकृतिक संसाधन के कोई भी प्रश्न अब आप बड़े आसानी से बना सकते है बस आप को इन प्रश्न को कई बार पढ़ लेना है और हमने QUIZ Format मे आप के परीक्षा के मध्यनाज़र इस पोस्ट को तैयार किया है class 10h Geography प्राकृतिक संसाधन इस पोस्ट मे दिए गए है तो अब आप को परीक्षा मे कोई भी प्राकृतिक संसाधन के प्रश्न से डरने की जरूरत नहीं फट से उतर दे

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S.NCLASS 10TH GEOGRAPHY (भूगोल ) OBJECTIVE 2025
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