Class 10 Subjective Disaster Management Chapter 2 आपदा प्रबंधन – बाढ़ और सुखाड़  | Bihar Board Social Science Subjective Question 2025

Class 10 Subjective Disaster Management Chapter 2 आपदा प्रबंधन – बाढ़ और सुखाड़ आपदा प्रबंधन के चैप्टर वाइज सब्जेक्टिव प्रश्न (chapter wise subjective questions) मंटू सर Mantu Sir(Dls Education) के द्वारा तैयार कर लिया गया है आप लोग के लिए बिल्कुल मुफ्त में सब्जेक्टिव मॉडल सेट (Subjective Model Set) दिया जा रहा है इसमें महत्वपूर्ण सब्जेक्ट प्रश्न आपको मिल जाएंगे 30 से भी ज्यादा आपको बता दे की लघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Short And Long Question Answer) उपलब्ध है

अब आप लोगों को महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्नों  ( Important Subjective Questions) को याद करना बेहद आसान हो जाएगा आप इस मॉडल सेट के माध्यम से परीक्षा में अच्छा प्राप्त कर पाएंगे आपको बता दें कि मैट्रिक परीक्षा (Bihar Board 10th exam 2025) में आपको इस मॉडल सेट से काफी मिलेगा आपको पता होगा 50% सब्जेक्टिव प्रश्न पूछा जाएगा परीक्षा में ऐसे में आप लोगों को महत्वपूर्ण प्रश्नों (Important Questions) को याद करना बेहद जरूरी है आपको बता दे की इस विषय से परीक्षा में कई सारे प्रश्न पूछे जाएंगे आप लोगों को आपदा प्रबंधन के महत्वपूर्ण सब्जेक्ट (Disaster Management Important Subjective Questions) के प्रश्नों को याद करना बेहद है

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Class 10 Subjective Disaster Management Chapter 2 आपदा प्रबंधन – बाढ़ और सुखाड़

प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन बाढ़ एवं सुखद इस चैप्टर कहां परीक्षा में काफी महत्व है परीक्षा में चैप्टर से कुछ प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं आपको इस चैप्टर मेंपढ़ने को मिलता है बाढ़ कैसे आती है बाढ़ से होने वाले हानियों की चर्चा की गई है बाढ़ से सुरक्षा हेतु अपने जाने वाले सावधानियां बार नियंत्रण के क्या उपाय हो सकते हैं सुख के लिए जिम्मेदार कारकों का वर्णनसुख से बचाव के तरीके बिहार में बाढ़ की स्थिति का वर्णन आपको इन सभी चीजों के बारे में जानकारी इस चैप्टर के अंतर्गत मिलती हैइस चैप्टर के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्नों (Important Subjective Questions) को याद करना ना भूले

प्राकृतिक आपदा एवं प्रबंधन : बाढ़ एवं सुखाड


लघु उत्तरीय प्रश्न :


प्रश्न 1. बाद कैसे आती है? स्पष्ट करें।


उत्तर- बाद आने के अनेक कारण है। अकस्मात अधिक वर्षा के कारण एकाएक अधिक पानी बढ़ जाने से नदी में बाढ़ आ जाती है। नदी के पैदे में बालूआ गाद वर्षों- वर्ष से जमा होकर नदी में पानी रखने की क्षमता कम हो जाती है। नतीजा होता है कि बरसात में अधिक वर्षा होने से उस नदी में बाढ़ आ जाती है, कारण कि जिस गति से पानी बढ़ता है उस गति से पानी आगे नहीं बढ़ पाता, इधर पानी धारण करने की क्षमता समाप्त-सी रहती है। फलतः बाढ़ आ जाती है। तटबंध के टूटने से भी बाद आ जाती है।


प्रश्न 2. बाढ़ से होने वाली हानियों की चर्चा करें।


उत्तर- बाद से होने वाली हानियाँ अनेक हैं। हजारों लोगे बेघर-बार हो जाते हैं।  कुछ बह भी जाते हैं। खेतों में लगी फसल बर्बाद हो जाती है। सड़कें टूट जाती हैं। लोग असहाय हो जाते हैं। बाद में पशुओं को भी बहते देखा गया है। साँप अपने बीलों से निकलकर घरों में प्रवेश कर जाते हैं या ऊँचे स्थानों पर अपना बास खोजते हैं। मकानों के गिरने और दहने-बहने के कारण लोग आवास विहीन हो जाते हैं। बाद के समाप्त होते ही महामारी फैल जाती है। कुँओं का पानी दूषित हो जाता है। सरकार का स्वास्थ्य विभाग इसकी देखभाल करता है।


प्रश्न 3. बाढ़ से सुरक्षा हेतु अपनाई जाने वाली सावधानियों को लिखें।


उत्तर-  बाद से सुरक्षा हेतु अपनाई जाने वाली सावधानियाँ अनेक हैं, इनमें एक या दो अथवा सभी उपायों को अपनाया जा सकता है। सबसे पहले नदी की पेटी में जम चुकी गाद की गहराई तक सफाई की जाय ताकि नदी में जल धारण करने की क्षमता में वृद्धि हो जाय। दूसरी यह कि नदी के दोनों तटों पर बाँध (तटबंध) का निर्माण कराया जाय। जिस नदी में लगातार प्रतिवर्ष बाढ़ आती है, उस नदी से यत्र तत्र नहीं निकालकर उन्हें अन्य नदियों से जोड़कर नदी में जल के भार को कम किया जा सकता है।


प्रश्न 4. बाढ़ नियंत्रण के लिए उपाय बताएँ ।


संकेत : उत्तर के लिए ऊपर प्रश्न संख्या 3 देखें ।


प्रश्न 5. सूखे की स्थिति को परिभाषित कीजिए।


उत्तर- किसी-किसी वर्ष मॉनसून धोखा दे जाता है और वर्षा नहीं हो पाती। वास्तव में सूखा इसी कारण आता है। जब सूखा आता है तो फसले नहीं लगाई जा सकती और यदि लगा भी दी गई हो तो सूख जाती हैं। फलतः अन्न की कमी हो जाती है। बाहर से अन्न मँगाना पड़ता है। इससे महँगाई बढ़ जाती है। फसल के नहीं उपजने से चारा Nभी नहीं उपजता, जिससे मवेशियों के लिए चारे की किल्लत हो जाती है और चारा घोटाला तक होने लगता है


प्रश्न 6. सूखा के लिए जिम्मेवार कारकों का वर्णन करें।


उत्तर- सूखा के लिए जिम्मेवार कारक हैं : (i) वर्षा की कमी, (ii) नहरों तथा तालाबों की कमी, (iii) बिजली की कमी तथा (iv) बोरिंग की व्यवस्था का अभाव। जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उसी अनुपात में अन्न की उपज को बढ़ाना आवश्यक है, लेकिन उपर्युक्त कमी के अलावा अब गाँव के धनी-मानी लोग कुँए खुदवाना छोड़ दिए हैं। जो कुँए हैं भी, वे देख-रेख के अभाव में नष्ट होते जा रहे हैं। भूमिगत जल स्तर नीचे दूर-से-दूर भागता जा रहा है।


प्रश्न 7. सूखा से बचाव के तरीकों का उल्लेख कीजिए ।


उत्तर-  सूखा से बचाव के मुख्यतः : दो योजनाएँ अपनाई जाती हैं : (क) दीर्घकालीन तथा (ख) लघु कालीन ।
दीर्घकालीन योजना में (i) नहर, (ii) तालाब, (iii) कुँआ, (iv) पइन तथा (v) आहर का निर्माण किया जाता है। वहीं अल्पकालीन योजना में बोरिंग कराकर बिजली-पम्प द्वारा जल का दोहन किया जाता है और सिंचाई की जाती है। पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए अन्यत्र से टैंकों में पानी मँगा कर जनता में वितरित किया जाता है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :


प्रश्न 1. बिहार में बाढ़ की स्थिति का वर्णन करें।


उत्तर- बिहार, उसमें भी उत्तर बिहार बाढ़ के लिए काफी बदनाम रहा है। उत्तर बिहार में लगभग प्रति वर्ष बाढ़ आने का कारण है कि हिमालय पहाड़ ठीक इसके सटे उत्तर में है नेपाल, जो हिमालय क्षेत्र में अवस्थित है। हिमालय से निकलने वाली नदियों की एक श्रृंखला है, जिनमें कुछ तो बड़ी नदियाँ हैं और अधिक छोटी नदियाँ हैं। छोटी नदियाँ कम जल से भी उपला जाती हैं

और बाढ़ की स्थिति ला देती हैं। जिस वर्ष हिमालय क्षेत्र में वर्षा अधिक हो जाती है, उस वर्ष निश्चित रूप से बिहार बाढ़ से तबाह हो जाता है। कारण कि जो भी वर्षा होती है हिमालय के दक्षिणी ढाल पर ही होती है, जिसका पानी बहकर बिहार की नदियों में ही आता है।


इस जल की अधिकता को छोटी नदियाँ सम्भाल नहीं पातीं और अपने दोनों ओर के तटवर्ती गाँवों को तबाही में डाल देती हैं। बचाव के अनेक उपाय करने के बावजूद कोई न कोई क्षेत्र बाढ़ से तबाह होता ही है। एक जमाना था कि कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता था। केन्द्र सरकार के सहयोग से नेपाल और हुआ एक ऊँचा बाँध और बराज बना। तबसे सरकार से समझौता कोसी क्षेत्र के लोग खुशहाल हो गए और इस बात को भूल गए कि कोसी कभी बिहार का शोक थी।

फिर भी 2008 में ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि इससे बाँध बराज से सम्बद्ध कुसहा नामक स्थान पर पानी का इतना दबाव पड़ा कि वह टूट गया। फलतः कोसी की अनेक धाराएँ बन गई और वह एक सौ किलोमीटर पूरब तक खिसक गई। बाँध की मरम्मती के लिए बिहार असहाय था। केन्द्र सरकार ने कुछ ध्यान नहीं दिया, दिया भी तो काफी देर से । बाँध पुनः ठीक हो गया है। अब आगे देखना है। हुनमान नगर में।


प्रश्न 2. बाढ़ के कारणों एवं इससे सुरक्षा सम्बंधी उपायों का विस्तृत वर्णन कीजिए ।


उत्तर- अधिक वर्षा के कारण एकाएक अधिक जल के आने से बाढ़ आ जाती है। कहीं बाँध के टूटने से भी बाद आती है। 2008 में कोसी क्षेत्र में आई बाढ़ का कारण भी बाँध का टूटना ही था । कुसहा में बाँध के टूटने से इतना पानी आ गया कि कोसी नदी 100 किमी पूरब खिसक गई और उसकी अनेक धाराएँ निकलकर बहने लगी थीं । इस आपदा में लाखों लोग फँस गए।

उन्हें शिविरों में ठहराया गया। बिहार सरकार के अलावे अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भोजन की व्यवस्था की गई। केन्द्र सरकार के आश्वासन देने के बावजूद वह कुछ मदद नहीं दे सकी। इसे अमानवीयता का हद ही कहा जाएगा। बाढ़ से बचाव का प्रयास अंग्रेजी शासन के समय से ही हो रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की निर्वाचित सरकार ने भी उस प्रयास को आगे बढ़ाते रहने का काम जारी रखा।


बाढ़ वाली नदियों के दोनों तटों पर बाँध (तटबंध) बनवाए गए। केवल तटबंध बंधवाए ही नहीं गए, बल्कि उनकी मरम्मती का काम भी सालों-साल होते रहते है। बाढ़ से बचाव के काम में केवल बिहार या भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के अनेक देश लगे हुए हैं। चीन, मिस्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, नाइजीरिया आदि अनेक देश बाढ़ से डरे रहते हैं और बाढ़ से रक्षा के उपाय में लगे हुए हैं।

ये देश भी उसी कारण से डरे रहते हैं, जिस कारण 2008 में कोसी क्षेत्र में बाढ़ आई थी। बिजली उत्पादन के लिए बने जलाशय के बाँध के टूटने से ही यहाँ बाढ़ आई थी और उन देशों में भी इसी का डर बना रहता है। लेकिन उन देशों ने पहले से ही प्रबंध कर रखे हैं कि यदि जल की वृद्धि हो जाय तो उसकी निकासी भी आसानी से हो जाय। भारत और वह भी बिहार में भी वैसी व्यवस्था होनी चाहिए।


प्रश्न 3. सूखा के कारणों एवं इसके बचाव के तरीकों का विस्तृत वर्णन करें ।


उत्तर-  सूखा का मुख्य कारण है अवर्पण । अवर्पण की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब मॉनसून धोखा दे देता है। भारतीय कृषि मॉनसूनी वर्षा पर ही आधारित है। यदि मॉनसून समय पर आ गया और पर्याप्त पानी दे गया, तब तो ठीक वरना इसका उल्टा होने पर स्थित विषम की जाती है। सूखे की उत्पन्न हो का सामना भी करना पड़ता है या उससे पानी नहीं छोड़ा जाता। सूखे से बचाव के अनेक तरीके है।

मुख्य तरीका नहर, तालाब, पद, को बनवाना और कीमत की यह सरकार है। व्यक्तिगत तौर पर सूखे से बचाव का तरीका है, ट्यूबवेल हरलवाना और पम्प से पान खींचकर सिंचाई करना। पम्य दो तरीका से चरताए जाते हैं। एक है डीजल से चलने वाल इंजन, जो पम्प को बताते हैं। दूसरा है, बिजली मोटर, जो बिजली से चलत होता है। इसके दिखाए सरकार को लगना पड़ता है

ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाई जा सके। डीजल भी उपलब्ध हो और बिजली भी मिलती रहे तो फसल सूखने नहीं पाती। से नदी का पानी खेतों तक पहुँचाया जाता है। तालाबों में वर्षा जल एकत्र किया जाता है, ताकि मौक पर काम आए। इसी प्रकार सूखे से बचाव का प्रबंध किया जाता है।
कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर


प्रश्न 1. भारत में सूखा आने वाले कितने क्षेत्रों की पहचान की गई है और वे किन-किन राज्यों मेंअवस्थित हैं?


उत्तर- भारत सरकार ने भारत में 77 जिलों की पहचान की है। इन जिलों में प्राय: प्रति वर्ष सूखे की आशंका बनी रहती है। ये जिले मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश राज्य में अवस्थित है।


प्रश्न 2. उन्नीसवीं शताब्दी से लेकर आज तक भारत में जो सूखा आया और दुर्भिक्ष की स्थिति आई उनका उल्लेख करें।


उत्तर- उन्नीसवी शताब्दी में पहला सूखा 1817 और 1899 में आया। अति भयंकर थे। उनके बाद बीसवीं शताब्दी का पहला सूखा 1918, दूसरा 1966 और तीसरा 1987 में भयंकर सूखा का सामना करना पड़ा। 21 वीं शताब्दी में 2009 में मॉनसून एलके शुरुआती वर्षो में भी मॉनसून नहीं आया था।


प्रश्न 3. सिंचाई आयोग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भारत में कितने प्रतिशत भूमि पर सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है?


उत्तर- सिचाई आयोग के अनुमान के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 16 प्रतिशत भू-भाग पर सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह एक अनुमान है, वह भी पूरे देश को मिलकर औसतन है।


प्रश्न 4. भूमिगत जल क्या है?


उत्तर- कुँआ, नलकूप आदि से जो पानी प्राप्त करते हैं, वह भूमिगत जल से ही हप्राप्त होता है। पहले यह समझा जाता था कि भूमिगत जल का भंडार असीमित है और हम जितना चाहे इसका उपयोग कर सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती गई, और उन्नोत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई के लिए जल का दोहन बढ़ने लगा, वैसे-वैसे भूमिगत जल का स्तर नीचे भागने लगा। इसका एकमात्र उपाय है वर्षा जल को किसी भी प्रकार भूमि के अन्दर पहुँचाया जाय। इससे भूमिगत जल शीघ्र भागने नहीं पाएगा।

Disaster Management Chapter 2 आपदा प्रबंधन – बाढ़ और सुखाड़ Class 10

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आपदा प्रबंधन – बाढ़ और सुखाड़ Class 10 Subjective

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S.NCLASS 10TH (आपदा प्रबंधन) OBJECTIVE 2025
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