Class 10 Subjective Geography Chapter 1 D वन एवं वन्य प्राणी संसाधन | Bihar Board Social Science Geography Subjective Question 2025

Class 10 Subjective Geography Chapter 1 D खनिज संसाधन सामाजिक विज्ञान (Social Science) विषय के भूगोल से परीक्षा में काफी प्रश्न पूछे जाते हैं आपको बता दें पहले चैप्टर में ही आपको पांच खंड मिलते हैं जिसमें चौथा खंड है खनिज संसाधन (mineral resources subjective Questions)आपको पता होगा खनिज काफी महत्वपूर्ण जरूरत है मानव के लिए इसी के बारे में आपको इस चैप्टर में पढ़ने को मिलता है और इस चैप्टर के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्नों (Chapter Wise Subjective Questions) को

आप लोग के लिए बिल्कुल मुफ्त में मंटू सर Mantu Sir(Dls Education) के द्वारा मौज कराया जा रहा है इन मॉडल सेट (Subjective Model Set 2025) में आपको कई सारे लघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Short And Long Question Answer) उपलब्ध कराए गए हैं इनको पढ़ते और याद करने से परीक्षा में आप 5 से 10साल आसानी से प्राप्त कर पाएंगे आपको बता दे की चैप्टर वाइज परीक्षा की तैयारी करना बेहद जरूरी है बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025 (Bihar Board Class 10th Exam 2025) में आपको काफी मदद मिलेगी

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Class 10 Subjective Geography Chapter 1 D खनिज संसाधन

खनिज संसाधनके इस टॉपिक में आपको खनिज के बारे में पढ़ने को मिलती हैधात्विक खनिज खनिजों के विशेषताओं के बारे में लोह अयस्क के प्रकारों के बारे में और झारखंड के प्रमुख लोक उत्पादक जिलों केनाम और उनके बारे मेंमैंगनीज अल्युमिनियम अभ्रक चूना पत्थर इत्यादि के बारे में पढ़ने को मिलता है इस चैप्टर से परीक्षा में कई महत्वपूर्ण प्रश्न (Chapter wise important questions)पूछे जाते हैं 

(घ) खनिज संसाधन
लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. खनिज क्या है ?

उत्तर- निश्चित अनुपात में रासायनिक एवं भौतिक विशिष्टताओं के साथ निर्मित प्राकृतिक पदार्थ, जिनसे हम विभिन्न उपयोगी पदार्थ रासायनिक विधियों से प्राप्त करते है, वही खनिज है। इसे दूसरे ढंग से यदि हम कहें तो कहेंगे कि निश्चित रासायनिक संयोजन एवं विशिष्ट आंतरिक परमाणविक संरचना वाले ठोस प्राकृतिक पदार्थ जो हमें पृथ्वी के अन्दर से प्राप्त होते हैं, वे सब ‘खनिज’ कहलाते हैं। हमें इतनी जानकारी रखनी चाहिए कि स्थल मंडल चट्टानों से बना है, जो चट्टान खजिनों के संयोग से बने होते हैं।खनिज आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं।

प्रश्न 2. धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान क्या हैं?

उत्तर- धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान निम्नलिखित हैं :(i) धात्विक खनिज में धातु पायी जाती है।
(ii) धात्विक खनिज में जो धातु पायी जाती है, वे चमकीली, तन्य और ठोकने पर आवाज देने वाली होती है।

प्रश्न 3. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- खनिजों की मुख्य विशेषताएँ हैं कि उनका वितरण असमान है। अधिक गुणी वाले खनिजों की प्राप्ति अल्प मात्रा में होती है, वहीं कम गुणों वाले खनिज अपेक्षाकृत अधिक पाए जाते हैं। खनिज वैसे संसाधन हैं, जो समाप्य हैं। एक-न-एक दिन वे अवश्य ही समाप्त हो जाएँगे। एक बार उपयोग कर लेने के बाद इनका पुनः उपयोग नहीं हो सकता। खनिज मितव्ययिता पूर्ण तरीके से उपयोग करने वाले होते हैं।

प्रश्न 4. लौह अयस्क के प्रकारों के नाम लिखिए।

उत्तर-लौह अयस्क के तीन प्रकारों के नाम निम्नलिखित हैं :
(i) हेमाटाइट, (ii) मैग्नेटाइट तथा (iii) लिमोमाइट। इनके उपनाम भी दिए गए हैं वे हैं: क्रमश: (i) लाल अयस्क, (ii) काला अयस्क तथा (iii) पीला अयस्क ।

उत्तर-भारत में लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं :
(i) कर्नाटक, (ii) छत्तीसगढ़, (iii) उड़ीसा, (iv) गोवा, (v) झारखंड, (vi) महाराष्ट्र, (vii) आंध्रप्रदेश तथा (viii) तमिलनाडु |

प्रश्न 6. झारखंड के प्रमुख लौह उत्पादक जिलों के नाम लिखिए।

उत्तर- झारखंड के प्रमुख लौह उत्पादक जिलें निम्नलिखित हैं :
(i) सिंहभूम, (ii) पलामू, (iii) धनबाद, (iv) हजारीबाग, (v) संथाल परगना तथा (vi) राँची ।

प्रश्न 7. मैंगनीज के उपयोग पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-मैंगनीज के अनेक उपयोग हैं। जंगरोधी इस्पात बनाने में मैंगनीज का उपयोग होता है। मिश्र धातु बनाने में भी इसका उपयोग होता है। इसका उपयोग शुष्क बैटरी बनाने में भी होता है। इन प्रमुख उपयोगों के अतिरिक्त फोटोग्राफी का समान बनाने, चमड़े की सफाई में तथा दियासलाई बनाने में भी इसका उपयोग होता है।

प्रश्न 8. अल्यूमिनियम के उपयोग का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-अल्यूमिनियम के अनेक उपयोग हैं। सर्वप्रथम इसका उपयोग घरेलू बर्तनों को बनाने में हुआ। बाद में हल्की होने के गुण के कारण इससे वायुयान का बॉडी बनने लगा। अब विद्युत उपकरण बनाने में इसका उपयोग धड़ल्ले से होने लगा है। पहले बिजली के तार में जहाँ ताँबे का उपयोग होता था, अब अल्यूमिनियम का उपयोग होने लगा है। कारण कि यह ताँबा की अपेक्षा काफी सस्ता है। सफेद सीमेंट तथा रासायनिक सामान बनाने में इसका उपयोग होता है।

प्रश्न 9. अभ्रक का क्या उपयोग है?

उत्तर-अभ्रक ताप तथा विद्युत, दोनों का कुचालक है। अतः इससे विद्युत उपकरण बनाने की प्रचीन परम्परा रही है। अभ्रक से आयुर्वेदिक औषधि भी बनती रही है। उस आयुर्वेदिक औषधि का नाम है ‘सहस्रपुटि अभ्रक भस्म’ इसे बनाना समय साध्य तवा श्रमसाध्य, दोनों है। इसलिए असली औषधि का मिलना कठिन है। अभी आज की स्थिति में अभारक का उपयोग केवल विद्युत रोधक यंत्र बनाने में किया जा रहा है।

प्रश्न 10. चूना पत्थर की क्या उपयोगिता है?

उत्तर-चूना पत्थर की निम्नलिखित उपयोगिता है :
(i) चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का प्रमुख कच्चा माल है। (ii) लौह-इस्पात बनाने में भी चूना पत्थर उपयोगी है। (iii) इसका रसायन उद्योग में भी उपयोग होता है। उर्वरक, कागज, चीनी आदि बनाने में भी इसका उपयोग होता है। भवन बनाने तथा उनकी पुताई (White Washing) में चूना का उपयोग प्राचीन काल से प्रश्नही होता रहा है।

प्रश्न 11. खनिजों की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- खनिजों की विशेषता उल्लेखनीय है। आज ये आधुनिक विश्व की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं। औद्योगिक क्रांति के बाद इनका महत्त्व तो बढ़ा ही है, प्राचीन काल में भी इसका उपयोग होता था। खेती के उपकरण तथा युद्धोपयोगी आयुधों का निर्माण लोहा से ही होता था, जो एक प्रमुख खनिज है। जिस देश के पास कोई खनिज नहीं हो, तो निश्चत ही उसका विकास अवरुद्ध हो सकता है। जिन देशों के पास खनिज का अभाव रहता है, वे आयात कर मानव संसाधन का उपयोग कर अपने देश का विकास करते हैं, जैसे- जापान ।

प्रश्न 12. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से क्या समझते हैं?

उत्तर- खनिज क्षयशील तथा अनवीकरणीय संसाधन हैं। इनकी मात्रा सीमित है। ये यदि एक बार समाप्त हो गए तो इन्हें हम पुनः प्राप्त नहीं कर सकते। यदि लाभ के लालच में मनुष्य इनका अतिशय दोहन करने लगे तो पुनः इन्हें प्राप्त करने के लिए लाखों-लाख वर्षों तक प्रतीक्षा करनी होगी। जिस देश में आर्थिक विकास नहीं हुआ है और वह देश खनिज संसाधनों में धनी है तो वह उनका निर्यात कर अपनी अर्थव्यवस्था संतुलित रखता है। अतः इनके महत्त्व को समझते हुए इनका संरक्षण तथा उचित प्रबंधन करना चाहिए ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. खनिज कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण परिचय दें।

उत्तर- यदि सही रूप से कहा जाय तो खनिज सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं। वे हैं : (क) धात्विक खनिज तथा (ख) अधात्विक खनिज  इनका विशेष परिचय निम्नलिखित हैं :

(क) धात्विक खनिज-यह दो प्रकार के होते हैं :
(i) लौहयुक्त खनिज तथा (ii) अलौहयुक्त खनिज ।

(i) लौहयुक्त खनिज-जिन धात्विक खनिजों में लोहे की मात्रा अधिक होती है, उन्हें लौह युक्त खनिज कहते हैं। जैसे—लौह अयस्क, मैगनिज, निकल, टंगस्टन आदि

(ii) अलौहयुक्त खनिज — जिन धात्विक खनिजों में लोहे का अंश कम होता है या नहीं भी होता है, वे अलौह खनिज कहलाते हैं। जैसे-सोना, चाँदी, सीसा, बॉक्साइड, टिन, ताँबा इत्यादि ।जिप्सम, सीसा, जस्ता, ताँबा आदि की प्रमुखता है। बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, मुल्तानी मिट्टी, डोलोमाइड, चूना-पत्थर, सेंधा नमक की प्राप्ति काफी मात्रा में होती है।

(किन्हीं दो को ही लिखें।)

प्रश्न 4. लौह अयस्क का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को लिखिए ।

उत्तर- लौह अयस्क का यदि हम वर्गीकरण करें तो पाते हैं कि ये तीन प्रकार के होते हैं: (i) हेमाटाइट, (ii) मैग्नाटाइट तथा (iii) लिमोनाइट

इन तीनों को क्रमशः लाल अयस्क, काला अयस्क तथा पीला अयस्क भी कहते हैं। लौह अयस्क की विशेषताएँ-लौह अयस्क से ही शुद्ध लोहा या इस्पात तैयार होता है। आज की सभ्यता का यह आधार बना हुआ है। उपर्युक्त तीन अयस्कों में हेमाटाइट तथा मैग्नाटाइट उच्च किस्म के अयस्क होते हैं, जिनमे से शुद्ध लोहे की अधिक मात्रा निकलती है। मैग्नेटाइट में चुम्बकीय गुण होता है,

इसी कारण उसका नाम मैग्नेटाइट पड़ा है। खास तौर पर हेमाटाइट अयस्क से लोहा बनाया जाता है। अयस्क को अनेक विधियों से गुजार कर लोहा बनाया जाता है। भारत का पहला लोहा बनाने का कारखाना साकची नामक स्थान पर स्थापित हुआ। इसको स्थापित करने वाले जमशेदजी नाशरवान जी टाटा थे। उन्हीं के नाम पर उस जगह का नाम जमशेदपुर तथा रेलवे स्टेशन का बहुत कम मात्रा में लोहा निकलता है। टाटा नगर रखा गया है।

प्रश्न 5. भारत में लौह अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर- वैसे तो भारत में लौह अयस्क की प्राप्ति प्रायः सभी राज्यों में होती है, परन्तु कुल भंडार के लगभग 96 प्रतिशत केवल पाँच राज्यों-कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गोवा तथा झारखंड में प्राप्त होता है। कर्नाटक राज्य में भारत का प्रायः एक चौथाई लोहा प्राप्त होता है। बल्लारी, हास्पेट, सुदूर, चिकमंगलूर जिले के बाबाबूदन की पहाड़ी तथा के मन गूडी की पहाड़ों पर लौह अयस्क फैले हुए हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य देश का दूसरा सबसे अधिक लौह अयस्क वाला राज्य है। दांतेवाड़ा तथा दुर्ग जिलों में लौह अयस्क तो पाया ही जाता है, उनके अलावा रायगढ़, विलासपुर तथा सरगुजा में भी यह पाया जाता है।

उड़ीसा भी देश का एक प्रमुख लौह अयस्क के भंडार वाला राज्य है। इस राज्य की प्रमुख लौह अयस्क की खाने गुरु महिषाणी, बादाम पहाड़ तथा किरीबुरु क्षेत्रों में हैं। लौह अयस्क प्राप्ति के क्षेत्र में गोवा का भारत में चौथा स्थान है। यहाँ की प्रमुख खाने साहकवालिम, संग्यूम, क्यूपेम, सतारी पौंड़ा तथा नियोलिम में अवस्थित हैं। झारखंड भी लौह अयस्क के मामले में देश का एक प्रमुख राज्य है ।

यहाँ पूरे देश का 15% लौह अयस्क प्राप्त होता है। यहाँ की प्रमुख खाने सिंहभूम, पलामू, धनबाद, हजारीबाग, संथाल परगना तथा राँची जिले में अवस्थित हैं। महाराष्ट्र में चन्द्रपुर, रत्नागिरि और भंडारा जिलों में लौह अयस्क प्राप्त होता है। आंध्र प्रदेश के करीम नगर, बारंगल, कुर्नूल, कड़प्पा आदि जिलों में लौह अयस्क प्राप्त होता है। तमिलनाडु के सलेम तथा नीलगिरि क्षेत्र में लोहे के भंडार हैं।

प्रश्न 6. मैंगनीज अथवा बॉक्साइट की उपयोगिता तथा देश में इनके वितरण का वर्णन कीजिए।(मैंगनीज या बॉक्साइट में से किसी एक को ही लिखें।)

उत्तर- मैंगनीज-भारत में मैंगनीज प्राप्ति के ख्याल से विश्व में इसका तीसरा स्थान है। विश्व के संचित भंडारों में मैंनिज की प्राप्ति भारत में होती है। भारत में जितना मैंगनीजहै, उसका 78 प्रतिशत से भी अधिक की प्राप्ति नागपुर और भंडारा जिलों से लेकर मध्य प्रदेश के बालाघाट तथा छन्दवाड़ा जिलों में ही हो जाती है। उड़ीसा भी मैंगनीज प्राप्ति में अग्रणी है। यहाँ भारत के कुल मैंगनीज का 37 प्रतिशत प्राप्त होता है। यहाँ इसकी मुख्य खानें सुन्दरगढ़, कालाहांड़ी, रायगढ़, बोलांगीर, क्योंझर, जामपुर एवं मयूर जिलों में हैं।

महाराष्ट्र राज्य मैंगनीज उत्पादन में सम्भवतः भारत का पहला राज्य है जो सबसे अधिक उत्पादन करता है। यह लगभग देश के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत उत्पादन कर लेता है। मैंगनीज की उत्पादन की मुख्य पेटी नागपुर तथा भंडारा जिला में है। इस पेटी में अच्छे प्रकार के मैंगनीज मिलते हैं। महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले में भी उच्च कोटि के मैंगनीज मिलते हैं।

मध्य प्रदेश राज्य में भी मैंगनीज प्राप्त होते हैं। यहाँ देश के कुल उत्पादन का 21 प्रतिशत मैंगनीज प्राप्त होता है। इस राज्य के बालाघाट तथा छिन्दवाड़ा जिलों में इसका उत्पादन होता है। कर्नाटक में मैंगनीज शिमोगा, चित्रदुर्ग, तुसकूर, बेलारी, उत्तरी कनारा, धारवाड़, चिक मंगलूर और बीजापुर जिले मुख्य उत्पादक जिले हैं। यहाँ भी देश के कुल उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत होता है। आंध्र प्रदेश में भी कुछ मैंगनीज मिलता है। श्रीकाकुलम, विशाखापत्तनम, कुडण्णा, विजयनगर तथा गुंटूर जिले मैंगनीज के मुख्य उत्पादक जिले हैं।

बॉक्साइट — वैसे तो बॉक्साइट की प्राप्ति भारत के लगभग हर भाग में हो जाती है, लेकिन मुख्यतः इसके भंडारण में उड़ीसा, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश प्रमुख स्थान रखते हैं। बॉक्साइट का लगभग 50% भाग उड़ीसा राज्य में मिल जाता है। इसके बाद गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा उत्तर प्रदेश राज्यों का स्थान है।

उड़ीसा राज्य के कालाहांड़ी, बालंगीर, कोरापुर, सुन्दरगढ़ तथा संभलपुर जिले बॉक्साइट के प्रमुख उत्पादक जिले हैं। गुजरात राज्य के जामनगर, कैरा, साबर कंठा, कच्छ तथा सूरत जिले बॉक्साइट के प्रमुख उत्पादक जिले हैं। झारखंड देश में तीसरा राज्य है जहाँ बॉक्साइट प्राप्त होता है। 

प्रश्न 7. अभ्रक की उपयोगिता एवं वितरण पर प्रकाश डालिए ।

उत्तर- अभ्रक एक विद्युत रोधी अधात्विक खनिज है। इसका अधिक उपयोग विद्युत रोधी उपकरण बनाने में ही होता है। कुछ आयुर्वेदिक औषधियों को बनाने में भी अभ्रक का उपयोग होता है। आंध्र भारत में प्राप्ति की दृष्टि से अभ्रक की तीन पेटियाँ हैं, जो बिहार-झारखंड, प्रदेश तथा राजस्थान राज्यों में अवस्थित हैं। सबसे उत्तम कोटि का अभ्रक बिहार-झारखंड राज्यों में पाया जाता है,

जिसे रुबी अभ्रक कहते हैं। बिहार में गया जिला से होते हुए मुंगेर तथा भागलपुर तक अभ्रक मिलता है, वहीं झारखंड राज्य में कोडरमा, हजारीबाग, धनबाद, पलामू, राँची एवं सिंहभूम जिले अभक उत्पादन में एक स्थान रखते हैं। इनमें सर्वाधिक अभ्रक कोडरमा तथा हजारीबाग में मिलता है और वह भी उच्च कोटि का । भारत की कुल प्राप्ति की 80 प्रतिशत केवल बिहार-झारखंड राज्यों में ही हो जाती है।

शेष आंध्र प्रदेश तथा राजस्थान में प्राप्त होता है। आंध्र प्रदेश के मात्र नैलूर जिले में ही अभक मिलता है, लेकिन देश के कुल उत्पादन में यह अपना दूसरा स्थान बनाए हुए है। तीसरा स्थान राजस्थान का है। यहाँ के जयपुर, उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर आदि जिले अभ्रक उत्पादन में मशहूर हैं।

प्रश्न 8. खनिजों के संरक्षण के उपाय सुझाइए ।

उत्तर- सभी खनिज क्षरणशील तथा अनवीकरणीय संसाधन हैं। इनकी मात्रा असीमित नहीं है। कभी-न-कभी ये समाप्त होंगे ही। अतः ये शीघ्र समाप्त नहीं हो और इनका लाभ हमारी अगली पीढ़ियाँ भी उठा सकें, इसके लिए हमें इन्हें बचाकर रखना है। बचाकर रखने का तात्पर्य यह नहीं है कि हम उनका उपयोग ही नहीं करें। उपयोग करें, किन्तु मितव्ययिता पूर्वक । ये खनिज ही हैं, जो उद्योगों के आधार हैं और सभ्यता को आगे बढ़ाते हैं और उसको कायम रखते हैं और हमें इस आधुनिक सभ्यता को बनाए रखना है। वास्तव में खनिजों का संरक्षण विवेकपूर्ण उपयोग पर निर्भर करता है

और विवेकपूर्ण उपयोग तीन बातों पर निर्भर है : (क) खनिजों के निरंतर दोहन पर नियंत्रण,(ख) उनका बचत पूर्वक उपयोग तथा (ग) कच्चे माल के रूप में उनके प्रतिस्थापक की खोज । उनके विकल्पों की खोज तो हो ही, खनिजों के अपशिष्ट का बुद्धिमता पूर्ण उपयोग किया जाय। उनका उपयोग भी इस प्रकार किया जाय ताकि पारिस्थितिकी पर कोई कुप्रभाव न पड़े ताकि पर्यावरण सुरक्षित बना रहे। यदि हम खनिजों का संरक्षण भी करें और साथ- साथ प्रबंधन पर भी ध्यान दें तो खनिजों के संकट से हम ही नहीं, हमारी पीढ़ियों को भी कोई कठिनाई नहीं होगी।

Geography Chapter 1 D खनिज संसाधन  Class 10

खनिज संसाधन  के कोई भी प्रश्न अब आप बड़े आसानी से बना सकते है बस आप को इन प्रश्न को कई बार पढ़ लेना है और हमने QUIZ Format मे आप के परीक्षा के मध्यनाज़र इस पोस्ट को तैयार किया है class 10h Geography खनिज संसाधन  इस पोस्ट मे दिए गए है तो अब आप को परीक्षा मे कोई भी खनिज संसाधन  के प्रश्न से डरने की जरूरत नहीं फट से उतर दे

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खनिज संसाधन  Class 10 Quiz

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S.NCLASS 10TH GEOGRAPHY (भूगोल ) OBJECTIVE 2025
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