Class 10 Subjective Sanskrit Chapter 9 स्वामी दयानन्दः | पीयूषम् भाग 2 | Bihar Board Sanskrit Subjective Question 2025

Class 10 Subjective Sanskrit Chapter 9 स्वामी दयानन्दः संस्कृत विषय के तैयारी के लिए सब्जेक्टिव प्रश्नों (Sasnskrit Subjective Questions) को जरूर आपको ध्यान में रखना चाहिए आपको बता दे की 50 नंबर के सब्जेक्टिव प्रश्न (Subjective Questions) परीक्षा में पूछे जाते हैं जिसमें दो नंबर और पांच नंबर के प्रश्न होते हैं जिसे लघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Short And Long Question Answer)  भी बोला जाता है

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Class 10 Subjective Sanskrit Chapter 9 स्वामी दयानन्दः

संस्कृत केइस पाठ में स्वामी दयानंद ने समाज के उद्धार के लिए क्या किया है और स्वामी दयानंद को मूर्ति पूजा के प्रति नाश्ता कैसे थी और मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुर्तियों का वर्णन अपने शब्दों में किस प्रकार उन्होंने किया है यह सभी जानकारी आपको मिलती हैमहाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानंद के जीवन पर उद्बोधक कैसे बना यह सब आपको पता चलता हैस्वामी दयानंद नेअपने सिद्धांतों के संकलन के लिए क्या किया यह सभी जानकारी आपको इस पाठ में मिलती है और इस पाठ से परीक्षा में काम से कम दो से तीन प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं इसलिए काफी महत्वपूर्ण अध्याय (Important Chapter)है यह

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए क्या किया ?[2015AII]

अथवा, स्वामी दयानन्द समाज के महान उद्धारक थे, कैसे ?[2014C]

उत्तर-स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए स्त्री शिक्षा पर बल दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया । उन्होंने बाल-विवाह समाप्त कराने, मूर्तिपूजा का विरोध और छुआ-छूत समाप्त कराने का प्रयत्न किया ।

प्रश्न 2. स्वामी दयानन्द को मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था कैसे हुई ?12018A1, 2024AI

अथवा, स्वामी दयानन्द मूर्तिपूजा के विरोधी कैसे बने ? 

उत्तर– स्वामी दयानंद के घर शिवरात्रि महोत्सव था। उसी रात्रि में उन्होंने मूर्ति पर चढ़ाए हुए प्रसाद के चूहों को खाते देखा। उनके मन में अलग-अलग प्रकार के विचार उत्पन्न हो गए। उसी दिन से ये मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए।

प्रश्न 3. मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुरीतियों का वर्णनअपने शब्दों में करें।12018A11, 2019A1, 2019A11, 2024A11)

उत्तर-मध्यकाल में अनेक गलत (बुरी) रीतियों ने भारतीय समाज को दूषित किया। मूर्तिपूजा, स्त्री शिक्षा का अभाव, धर्म कार्यों में आडंबर,जातिवाद,  विधवाओं की  निन्दित स्थिति आदि कुरीतियाँ भारतीय समाज में फैली हुई थी।

प्रश्न 4. महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उद्बोधककैसे बना ?2018C, 2023A1]

उत्तर– स्वामी दयानन्द के माता-पिता भगवान शिव के उपासक थे।महाशिवरात्रि पूजा इसके परिवार में विशेष रूप से मनायी जाती थी। एक बार महाशिवरात्रि के दिन इन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते। इस  प्रकार वे मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए।

प्रश्न 5. स्वामी दयानंद की शिक्षा-व्यवस्था का वर्णन करें।[2019AJI

उत्तर– स्वामी दयानंद ने प्राचीन शिक्षा पद्धति के दोषों को उजागर किया। वैदिक धर्म एवं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेरित किया। 1875 ई. में उन्होंने मुम्बई नगर में आर्य समाज नामक संस्था की स्थापना की, जिसके अन्तर्गत ही आज डी.ए.वी.नाम से विद्यालयों का संचालन होता है। आर्य समाज का योगदान स्मरणीय है।

प्रश्न 6. समाज के उन्नयन में स्वामी दयानंद के योगदान पर प्रकाश डालें [2020A1]

अथवा, स्वामी दयानन्द समाज सुधारक थे, कैसे ? हिन्दी के पाँचवाक्यों में उत्तर दें।[2011A]

उत्तर– स्वामी दयानन्द ने समाज की कुरीतियों को दूर कर सुधारात्मक कार्य किया । इन्होंने जाति पात की विषमताओं को हटाया। छूआ-छूत की परम्परा को दूर किया। स्त्रियों की हो रही दुर्दशा को रोका।स्त्री-शिक्षा को बढ़ावा दिया औरविधवा स्थिति को सुधारा ।

प्रश्न 7. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धान्तों के संकलन के लिए क्या[202011, 2023AII]

अथवा, स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धान्तों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया ?

उत्तर– स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने सिद्धान्तों के कार्यान्वयन के लिए अनेक समाज सुधारकों के साथ स्त्री-शिक्षा तथा विधवा विवाह का समर्थन किया तो मूर्तिपूजा, छुआछूत, बाल विवाह का विरोध किया। अपने सिद्धांत के संकलन के लिए सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की राष्ट्रभाषा हिन्दी में रचना की। वेदों के प्रति अपने शिष्यों की रूचि जगाने के लिए वेद का हिन्दी एवं संस्कृत में भाषा लिखा । प्राचीन दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति के बदले नवीन शिक्षा पद्धति बनाई। अपने सिद्धान्त के प्रचार-प्रसार के लिए 1875 ई. में मुंबई में आर्य समाज मंदिर कीस्थापना की ।

प्रश्न 8. स्वामी दयानन्द पर रात्रि जागरण का क्या प्रभाव पड़ा[2021AIT][2021A1]

अथवा, मूलशंकर में वैराग्य भाव कब उत्पन्न हुआ ?

उत्तर– महाशिवरात्रि की रात को मूलशंकर ने देखा कि भगवान शंकर की मूर्ति पर चढ़कर चूहा मूर्ति को अर्पित वस्तुओं को खा रहा है। तब उन्हें यह विश्वास हो गया कि देवता प्रतिमा में नहीं है और रात्रि जागरण छोड़कर वे घर चले गए और मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था हो गई। दो वर्ष बाद ही उनकी प्रिय बहन का निधन हो  गया। उसके बाद मूलशंकर में वैराग्य भाव उत्पन्न हुआ ।

प्रश्न 9. स्वामी दयानन्द पर रात्रि जागरण का क्या प्रभाव पड़ा 12021

उत्तर-दयानन्द के घर शिवरात्रि महोत्सव था । उसी दिन रात्रि मेंउन्होंने मूर्ति पर चढ़ाए हुए प्रसाद को चूहों को खाते देखा । उसी दिन से वे मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए।

प्रश्न 10. प्राचीन समाज में कौन-कौन से प्रमुख दोष से थे 1202211

उत्तर– प्राचीन समाज में अनेक प्रकार के दोष थे। जैसे-जातिवाद की विषमता, छुआछूत, बाल-विवाह, स्त्री शिक्षा का अथाव, सती प्रथा, धर्म आडंबरआदि ।

प्रश्न 11. किन गुणों के कारण उन्नीसवीं सदी के समाज सुधारकों मेंस्वामी दयानन्द श्रेष्ठ थे ?[2022AII) अथवा, स्वामी दयानन्द पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें ।[2016AII

उत्तर– उन्नीसवीं शताब्दी ईस्वी में अविर्भूत समाज सुधारकों में स्वामीदयानन्द अतीप प्रसिद्ध है । इन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत व्यवस्था पर कठोर प्रहार  करके आर्य समाज की स्थापना की, जिसकी शाखाएँ देश-विदेश में शिक्षा सुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही है। इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी.ए. वी. विद्यालय जैसे संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया था । इनका जीवनचरित्र प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से दिया गया है।

प्रश्न 12. आर्य समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है ?12022C1

उत्तर– आर्य समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज को एक नई दिशा प्रदान करना है। इसके द्वारा दोष युक्त शिक्षा को दूर करने के लिए नई शिक्षा पद्धति को लागू किया गया । अंधविश्वास एवं शिक्षा की अज्ञानता को दूर किया गया । वर्तमान शिक्षा पद्धति और समाज के प्रवर्तन में स्वामी

Sanskrit Chapter 9 स्वामी दयानन्दः Class 10

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स्वामी दयानन्दः Class 10 Subjective

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S.N संस्कृत | Class 10 Sanskrit Chapters objective and Links
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2 पाटलिपुत्रवैभवम् Click Here
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