Class 10 Subjective Sanskrit Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता | पीयूषम् भाग 2 | Bihar Board Sanskrit Subjective Question 2025

Class 10 Subjective Sanskrit Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025 (Bihar Board Matric Exam 2025) की तैयारी कर रहा है तो आपको संस्कृत विषय की तैयारी अच्छी तरह से करने की आवश्यकता है संस्कृत विषय में सब्जेक्ट प्रश्न (Sasnskrit Subjective Questions) के मदद से आप परीक्षा में ज्यादा अंक प्राप्त कर पाएंगे आप लोगों के लिए बिल्कुल मुफ्त में मंटू सर Mantu Sir(Dls Education) के द्वारा तैयार किया गया सब्जेक्टिव प्रश्न (Subjective Questions) कारगर साबित होंगे

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Class 10 Subjective Sanskrit Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता

कारणास्य दानवीरता इस पाठ से परीक्षा में काम से कम दो प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं सब्जेक्टिव और ऑब्जेक्टिव मिलकर इस पाठ में आपको करण की दान वीरता के बारे में वर्णन और कर्ण के कवच और कुंडल की विशेषश्री के बारे में जानकारी मिलती है करण की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन भी इस पाठ के अंतर्गत मिलता है ब्राह्मण के रूप में कर्ण के समक्ष कौन किस लिए पहुंचना है यह सब कुछ आपको मिलता है इस पाठ के अंदर आपकी परीक्षा के हिसाब से बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण (important Chapter) है या पाठ 

लघु उत्तरीय प्रश्न :

प्रश्न 1. ‘कर्णस्य दानवीरता’ पाठ के नाटककार कौन है ? कर्णकिनका पुत्र था तथा उन्होंने इन्द्र को दान में क्या दिया ? 12011A, 20110)

उत्तर– इस पाठ के नाटककार भास हैं। कर्ण सूर्य का पुत्र था । उन्होंने इन्द्रको दान में अपनी रक्षा के लिए मिला कवच और कुण्डल दे दिया । कर्ण जैसे दानवीर धरती पर पैदा नहीं हुआ ।

प्रश्न 2. कर्ण की दानवीरता का वर्णन करें । [2011C 2012C, 2014AI, 2015C|

उत्तर-‘कर्ण की दानवीरता’ जगत प्रसिद्ध है, क्योंकि उसने अभेद्य कवच और कुंडल भी इंद्र को दान में दिया। कर्ण जानता था कि जब तक उसके पास कवच कुंडल विद्यमान हैं, तब तक उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।कर्ण को यह आभास हो गया कि कृष्ण ने इंद्र के माध्यम से कवच और कुंडल माँगा है। कृष्ण चाहते थे कि पाण्डव विजयी हो। यह जानते हुए भी कर्ण नेकवच और कुंडल का दान किया । इसलिए उसकी दानवीरता विश्वप्रसिद्ध है।

प्रश्न 3. कर्णस्य वीरता पाठ के आधार पर इन्द्र की चारित्रि कि विशेषताओं का उल्लेख करें। 12015A11, 2016A11, 2018A, 2623 AS1, 2024A1!

उत्तर– इन्द्र कर्णस्य दानवीरता पाठ का द्वितीय केन्द्रीय चरित्र है। यह कर्ण को दीर्घायु होने का वरदान न देकर यशस्वी होने का देता है। इसप्रकार इन्द्र का चरित्र डली एवं प्रपंची है।संस्कृत

प्रश्न 4. कर्ण के कवच और कण्डल की विशेष श्री ?12018AL, 2021AL 2024A1

उत्तर:- कर्ण के शरीर से संबद्ध कवच और कुण्डल में उसकी रक्षा थी।तक कर्ण के शरीर में कवच और कुण्डल थे। तब तक कार्य को कोई भी मार नहीं सकता था।

प्रश्न 5. कर्ण की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।12018ATI, 2020A1, 2023 A15

उत्तर-– कर्ण एक महान दानवीर व्यक्ति था। वह एक महान वीर योद्ध भी था। यह जानते हुए कि कवच और कुण्डल के बिना उसकी मृत्यु निश्चित है, के माँगने पर वह कवच और कुण्डल का दान कर देता है। इस प्रकार कर्ण की दानवीरता विश्व प्रसिद्ध है।

प्रश्न 6. ‘कर्णस्य दानवीरता पाठ के आधार पर दान के महत्व कावर्णन करें ।12018C]

उत्तर– ‘कर्णस्यदानवीरता पाठ में कर्ण ने इन्द्र को कवच और कुण्डल दानकिया। इस पाठ से यह शिक्षा मिलती है कि दान ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ गुण है,क्योंकि केवल दान की स्थिर रहता है। शिक्षा परिवर्तन से समाप्त हो जाती है, वृक्षभी समय के साथ नष्ट हो जाता है तथा जलाशय सुखकर समाप्त हो जाता है ।शरीर का मोह किए बिना दान करना चाहिए।अतः है ?

प्रश्न 7. ब्राह्मण के रूप में कर्ण के समक्ष कौन किस लिए पहुँचताJ2019C]

उत्तर– इन्द्र ब्राह्मण के रूप में कर्ण के समक्ष उसका कवच और माँगने जाते हैं। क्योंकि श्री कृष्णा चाहते थे कि पांडव ही युद्ध में विजई हो इसलिए उन्होंने इंद्र को साधु के रूप में भेजा और कवच और कुंडल मांग लिया अगर कवच और कुंडल कर्ण के शरीर में होती तब तक उनकी मृत्यु युद्ध में संभव थी।

प्रश्न 8. कर्ण के प्रणाम करने पर शक ने उसे दीर्घायु होने काआशीर्वाद क्यों नहीं दिया ?(2022A1

उत्तर – पुत्र-प्रेम में इन्द्र अपने कर्मपथ से वंचित हो जाते हैं। देवताओं केअधिपति स्वयं पाचक बनकर अपने पुत्र की रक्षा हेतु कुकृत्य के लिए उद्धृत है।कर्ण को दीर्घायु होने का आशीर्वाद की बात पर वे विमूढ़ हो जाते हैं।भली-भाँति जानते हैं कि कर्ण को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देना पुत्र को संकटमें डालना है ।

प्रश्न 9. शक्र ने कर्ण से कौन-सी बड़ी भिक्षा मांगी तथा क्यों ?[2022AI]

उत्तर-इन्द्र (शक्र) ने कर्ण से कवच और कुण्डल की याचना (मिक्षा)की, क्योंकि वे अर्जुन की सहायता करना चाहते थे। कर्ण कौरव पक्ष से युद्ध कररहे थे । कवच और कुण्डल जब तक कर्ण के शरीर पर विद्यमान रहता, तब तकउसकी मृत्यु नहीं हो सकती थी तथा पांडव विजयी नहीं हो पाते ।

Sanskrit Chapter 12 कर्णस्य दानवीरता Class 10

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कर्णस्य दानवीरता Class 10 Subjective

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