Class 10 Subjective Geography Chapter 1 B जल संसाधन मंटू सर Mantu Sir(Dls Education) के द्वारा तैयार किया गया भूगोल का यह महत्वपूर्ण प्रश्नों सेबना महत्वपूर्ण सेट (Geography important Subjective Questions) आपको परीक्षा में काफी मदद करने वाला है आपको बता दे की महत्वपूर्ण प्रश्नों को मॉडल सेट (Subjective Model Set) में तैयार किया गया है जिसमें आपके प्रश्न के साथ उनके उत्तर भी महिया कराए गए हैं आपको बता दे की भूगोल विषय के सब्जेक्टिव प्रश्न चैप्टर वाइज (Chapter Wise Subjective Questions) आप लोग के लिए तैयार किया गया है इससे आप परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक प्राप्त कर पाएंगे
आपको बता दे की आपको बता दे की लघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Short And Long Question Answer) आप लोग के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नों (Important Questions)को चुनकर इन सेट को तैयार किया गया है जिससे आप परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक प्राप्त कर सके आपको पता होगा 50% ऑब्जेक्टिव और 50% सब्जेक्टिव प्रश्न (Subjective Questions) पूछे जाते हैं ऐसे में आप लोग को सही ढंग से परीक्षा की तैयारी करना बेहद जरूरी है
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Class 10 Subjective Geography Chapter 1 B जल संसाधन
जल संसाधन में आपको जल संसाधनों के बारे में पढ़ने को मिलता है बहुउद्देशी से परियोजनाओं के बारे में जन संसाधन के उपयोग क्या हैअंतर राज्य जल विवाद क्या है जल संकट क्या है भारत की नदिया के प्रदूषण का वर्णनजन संरक्षण यह सब कुछ आपको इस अध्याय में पढ़ने को मिलता है इसलिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण चैप्टर है यह परीक्षा में इस चैप्टर से कई प्रश्न (Chapter 1 B Important Subjective Questions) पूछ लिए जाते हैं
जल संसाधन लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. बहुउद्देशीय परियोजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर—बहुउद्देशीय परियोजना का अर्थ है कि एक ही परियोजना को पूर्ण कर उससे बहुत-से उद्देश्यों की पूर्ति की जाय। जैसे बाढ़ नियंत्रण, मृदा अपरदन पर रोक, पेयजल तथा सिंचाई हेतु जल की आपूर्ति, विद्युत उत्पादन, उद्योगों को जलापूर्ति, परिवहन, नौकायन-मनोरंजन, मत्स्य पालन, पर्यटन का विकास आदि। पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था “नदी घाटी परियोजाएँ कृषि, औद्योगिकीकरण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा नगरीय व्यवस्था को समन्वित रूप से विकसित कर सकेंगी।’
प्रश्न 2. जल संसाधन के क्या उपयोग हैं? लिखें।
उत्तर—जल संसाधन के अनेक उपयोग हैं। जैसे—पीने के लिए, शौच के लिए, नहाने के लिए, भोजन पकाने के लिए, घर और कपड़े की साफ-सफाई के लिए, खेतों की सिंचाई के साथ-साथ औद्योगिक उपक्रमों में भी जल संसाधन के उपयोग हैं। यदि जल संसाधन नहीं हो तो उपर्युक्त में से कोई काम सम्पन्न नहीं हो सकता। भोजन के बिना आदमी हफ्तों जीवित रह रहता है, लेकिन जल के बिना एक-दो दिन भी जीवित रहना कठिन है। जबकि भारत की जनसंख्या त्वरित गति से बढ़ी है और बढ़ रही है।
प्रश्न 3. अन्तराज्यीय जल विवाद के क्या कारण हैं?
उत्तर-अन्तराज्यीय जल-विवाद के कारण हैं कि नदी एक राज्य से ही नहीं, अनेक राज्यों से होकर बहती है। पहले पड़ने वाला राज्य यदि बाँध बना लेता है तो उससे आगे वाले राज्य या राज्यों को जल नहीं मिल पाता या कम मिलता है। जैसा कि हम जानते हैं कि आज सर्वत्र जल का खपत बढ़ा है। इसी कारण राज्यों में परस्पर जल- विवाद होते रहता है
प्रश्न 4. जल संकट क्या है?
उत्तर—आवश्यकता के मुताबिक जल की प्राप्ति नहीं होना जल संकट कहलाता है। हम सभी जानते हैं कि महासागरों में भूमि की अपेक्षा जल की मात्रा अधिक है। यह नवीकरणीय भी है, फिर भी उपयोग योग्य जल की कमी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को भी जल की कमी का दंश झेलना पड़ता है। मुंबई महासागर में भी स्थिति वैसी ही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अवर्षण के कारण जलसंकट की स्थिति उपस्थित हो जाती है। ताल- तलैया सूख जाते हैं। भौम जल स्तर नीचे भाग जाता है, जिससे हैण्ड पम्प काम नहीं कर पाते। कम गहरे कुएँ सूख जाते हैं। इसी स्थिति को जल संकट कहते हैं।
प्रश्न 5. भारत की नदियों के प्रदूषण का वर्णन कीजिए।
उत्तर—भारत की नदियों का प्रदूषण एक आम बात हो गई है। नगरों की नालियों को नदियों में गिराया जाता है। इससे नगर की गंदगी, यहाँ तक की मल भी नदियों में पहुँच जाते हैं। अनेक नगरों में चमड़े की सफाई का काम होता है। चमड़े का अवशिष्ट जल नदियों में पहुँच जाता है। खेतों में प्रयुक्त रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशी दवाएँ वर्षा जल के साथ नदियों में पहुँच जाते हैं। ये ही सब कारण हैं, जिनसे भारत की नदियाँ प्रदूषण का शिकार हो रही हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. जल संरक्षण से क्या समझते हैं? जल संरक्षण के उपाय बतावें ।
उत्तर-जल का अपव्यय करने तथा उसे प्रदूषत होने से बचाने जैसे कार्य से हम समझते हैं कि यह क्रियाएँ ‘जल संरक्षण’ हैं।जल संरक्षण के
उपाय —(i) भूमिगत जल की पुनर्पूर्ति-भूमिगत जल की पुनर्पूर्ति का उपाय है कि अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाए जायँ। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बन्द कर जैविक तथा कम्पोस्ट खाद का उपयोग हो। वर्षा जल के संचयन के उपाय किए जायँ। गाँवों में तालाब खोदे जायँ और वह भी गहरे और अधिक संख्या में। शहरों के पक्के मकान की छतों पर वर्षा जल का संचय किया जाय। नलों द्वारा वर्षा जल को भूमि के अन्दर पहुँचा दिया जाय। इससे भौम जल स्तर बढ़ेगा और सदा के लिए बना रहेगा। मल-जल शोधन और पुनः चक्रण की क्रिया को अपनाया जाया ।
(ii) जल संभरण का प्रबंध-प्रवाहित जल या किसी ऐसे स्थान जहाँ जल एकत्र होता हो, का उपयोग उद्यान, कृषि वानिकी, कृषि की सिंचाई कर उपज को बढ़ाया जा सकता है। इस उपाय को अपनाकर पेयजल की समस्या को भी हल किया जा सकता है। छोटी औद्योगिक इकाइयों को इससे जल की आपूर्ति की जा सकती है। इससे पारंपरिक जल स्रोतों के जल का बचाव होगा। यही है जल संभरण का प्रबंधन ।
(iii) तकनीकी विकास-तकनीकि विकास का अर्थ बहुत व्यापक है। ऐसे उपक्रम चलाने की आवश्यकता होती है, जिनमें जल का व्यय कम तो हो, लेकिन लाभ अधिक हो। इस प्रक्रिया में ड्रिप सिंचाई, लिफ्ट सिचाई, सूक्ष्म फुहारा (Micro Sprinkler) सिचाई, सीढ़ीदार कृषि आते हैं। इन प्रक्रियाओं को अपनाने से जल का अभाव महसूस नहीं होगा।
(iv) वर्षा जल का संग्रहण तथा उसका पुनःचक्रण वर्षा जल संग्रहण तथा पुन चक्रण के लिए हमें अतीत की ओर लौटना होगा। स्थान विशेष की स्थिति के अनुसार वर्षा जल, भौम जल, नदी जल, बाढ़ के जल के उपयोग के तरीकों को अपनाना होगा। छत पर वर्षा जल का संग्रह किया जाय। बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाई जायँ। भौम जल स्तर को बढ़ाने और उसको कायम रखने का उपाय किया जाय। ग्रामीण क्षेत्रों में गहरे तालाब तथा चौड़े मुँह वाले गहरे कुएँ खोदे जायँ, जिनके मुँह ढँके हो।
प्रश्न 2. वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है? इसके संग्रहण पुनः चक्रण की विधियों का उल्लेख करें ।
उत्तर—मानव जीवन में वर्षा जल की इतनी अधिक भूमिका है, जिनका वर्णन असम्भव है। कहा जाता है कि जल ही जीवन है और यह जल वर्षा से ही प्राप्त होता है। भूमि के अन्दर से या पहाड़ों पर एकत्र बर्फ के गलने से जो जल प्राप्त होता है, वह जल भी वर्षा की ही देन है। इस प्रकार निश्चितरूपेण मानव जीवन में वर्षा जल की अत्यधिक भूमिका है।वर्षा जल का संग्रहण तथा पुनःचक्रण – वर्षा जल का संग्रहण भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। प्राचीन भारत में वर्षा जल संग्रहण के उत्कृष्ट व्यवस्था थी।
उस समय के वर्षा जल संग्रहण के ऐसे-ऐसे साधन पाए गए हैं कि आज के लोगों को दाँतों तले ऊँगली दबानी पड़ती है। उस समय के भारतीयों को वर्षा पद्धति और मृदा गुणों का गहरा ज्ञान था । उन्होंने स्थानीय परिस्थितियों में वर्षा जल, भौम जल, नदी जल, बाढ़ जल के उपयोग के अनेक तरीके विकसित किए थे। पहाड़ी क्षेत्रों में ‘गुल’ या ‘कुल’ जैसी बाहिकाएँ बनाकर, नदी की धारा का रास्ता बदल कर खेतों की सिंचाई की जाती थी।
राजस्थान में पेयजल के लिए वर्षा जल का संग्रहण छत पर किया जाता था। पश्चिम बंगाल में बाढ़ वाले मैदान में सिचाई के लिए बाढ़ जल बाहिकाएँ बनाने का चलन था। सूखे या अर्ध सूखे स्थानों पर वर्षा जल के संग्रह के लिए गड्ढे बनाए जाते थे, जिसके जल से जब भी आवश्यकता पड़े सिचाई की जा सके। ऐसे ही गड्ढों को राजस्थान के जैसलमेर में खादीन तथा अन्य क्षेत्रों में जोहड़ कहा जाता था।
राजस्थान में ही पेयजल के लिए जहाँ-तहाँ भूमिगत ‘टैंक’ बनाए जाते थे, जिन्हें टाँका कहा जाता था। यह कार्य आज भी किया जाता है। मेघालय के शिलांग में छत वर्षा जल संग्रहण का आज भी चलन है। छत पर एकत्र जल को पाइपों के सहारे ‘टाँको’ में पहुँचा दिया जाता था। वह जल पीने के काम आता था। अभी हाल में ही एक ‘टाँका’ गुजरात में मिला था।शायद सैकड़ों वर्ष पहले का वह टाँका होगा, लेकिन आज भी उसमें एकत्र जल पूर्णतः शुद्ध था और उसे पेयजल के रूप में व्यवहार किया जा सकता था ।
कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. जल संसाधन के लाभ-हानियों का उल्लेख करें ।
उत्तर—जैसा कि कहा जाता है ‘जल ही जीवन है।’ बात सही है। जल को पीने, शौच से लेद घर और कपड़ों की साफ-सफाई तक में उपयोग करते हैं। इसके अलावा आवश्यकतानुसार फसलों की सिंचाई कर अन्नोत्पादन बढ़ाते हैं। लेकिन यही जल बाद के रूप में आता है तो चारों तरफ चिल्लपों और हाहाकार मच जाता है। सारी फसलें नष्ट हो जाती है। घर-द्वार जलधारा में बह जाते हैं। जान-माल का भारी नुकसान होता है। बचे हुए लोगों को अपने पशुओं के साथ ऊँचे स्थानों पर शरण लेना पड़ता है।
प्रश्न 2. जल के स्रोतों का वर्णन करें। पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर- पृथ्वी पर जल के अनेक स्रोत हैं। जैसे- (i) भू-पृष्ठीय जल, (ii) भूमिगत जल, (iii) वायुमंडलीय जल, (iv) महासागरीय जल। महासागर जल के सर्वाधिक बड़े जल संग्रहण केन्द्र हैं। पृथ्वी पर महासागरों का इतना अधिक विस्तार है कि ऊपरी आकाश से देखने पर पूरी पृथ्वी नीली दिखाई देती है। इसी कारण पृथ्वी को नीला ग्रह भी कहते हैं। भू–पृष्ठीय तथा भूमिगत जल का ही हम उपयोग कर पाते हैं।
प्रश्न 3. समुद्री जल के क्या लाभ हैं?
उत्तर- समुद्री जल चूँकि खारा होता है अतः वह हमारे किसी उपयोग में नहीं आता। उससे मछलियों की प्राप्ति होती है, जो हमारे भोजन का अच्छा अंश है। इससे अनेक गरीबों को रोजी-रोजगार मिलता है। विदेश व्यापार में समुद्र हमारी काफी सहायता करते हैं। बड़े-बड़े जहाज समुद्रों में ही चल पाते हैं, जिससे भारी और अधिक सामानों को एक देश से दूसरे देश में भेजने में सुविधा होती है। समुद्रों में खनिजों के भंडार भी है। हमें नमक की प्राप्ति भी समुद्र जल से ही होती है।
प्रश्न 4. विश्व में कितनी बड़ी नदियाँ हैं? उन नदियों में से भारत में कितनी नदियाँ है । उनका स्थान क्या है ?
उत्तर—विश्व में 10 बड़ी नदियाँ मानी गई हैं। उनमें भारत में दो नदियाँ हैं : (क) गंगा तथा (ख) ब्रह्मपुत्र । इनमें ब्रह्मपुत्र का स्थान आठवाँ है तथा गंगा का स्थान दसवाँ है। गंगा नदी के जल की खूबी यह है कि वर्षो वर्ष घर में रखने के बावजूद इसमें कीड़े नहीं पड़ते । ब्रह्मपुत्र नदी की खूबी यह है कि वह तीन देशों से होकर बहती है। यह तिब्बत से निकलकर भारत में प्रवेश करती है और भारत होते हुए बंग्लादेश में प्रवेश करती है और बंगाल की खाड़ी (बंगोप सागर) में गिर जाती है।
प्रश्न 5. चिपको आन्दोलन क्या था ?
उत्तर- टिहरी बाँध बनने के कारण हजारों-हजार वृक्ष काटे गए। सैकड़ों गाँवों को जल समाधि लेनी पड़ी। वृक्ष नहीं काटे जायँ, इसी के लिए बहुगुणाजी और इनके साथी पेड़ से चिपक जाते थे और उस पेड़ को काटने से रोकते थे। लेकिन सरकारी निर्णयों के आगे चिपको आन्दोलन विफल हो गया। वृक्ष तो काटे ही गए, गाँव-के-गाँव खाली करने पड़े और वहाँ के लोगों को विस्थापन का दंश झेलन पड़ा।
प्रश्न 6. नर्मदा बचाओ आन्दोलन क्या है?
उत्तर— नर्मदा बचाओ आन्दोलन भी चिपको आन्दोलन जैसा एक आन्दोलन है। नर्मदा बचाओ आन्दोलन के माध्यम से गुजरात में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध के विरोध में चलाया गया। बाँध के पीछे जितना जल एकत्र होता है वह काफी स्थान में फैलकर गाँव-के-गाँव को अपने आगोश में ले लेता है। मूल निवासियों को विस्थापित कर अन्यत्र बसाया जाता है, लेकिन उन्हें न पर्याप्त रिहायशी मकान मिलते हैं और न रोजगार के कोई साधन । इन्हीं बातों को लेकर इस बाँध का विरोध किया गया और नर्मदा बचाओ आन्दोलन चलाया गया
प्रश्न 7. जल संसाधन की दुर्लभता को दूर करने के लिए सरकार ने कौन सी नीति बनाई है?
उत्तर-जल संसाधन की दुर्लभता को दूर करने के लिए सरकार सितम्बर, 1987 में ‘राष्ट्रीय जल नीति’ की घोषणा की। 2002 में पुन: इसमें संशोधन किया गया। इस नयी नीति के तहत सरकार ने निम्नलिखित योजनाओं को अपनाने की स्वीकृति दी !
(i) जल की उपलब्धता को बनाए रखना।
(ii) जल को प्रदूषित होने से बचाना।
(iii) प्रदूषित जल का पुनः चक्रण कर उसे स्वच्छ बनाना ।
Geography Chapter 1 B जल संसाधन Class 10
जल संसाधन के कोई भी प्रश्न अब आप बड़े आसानी से बना सकते है बस आप को इन प्रश्न को कई बार पढ़ लेना है और हमने QUIZ Format मे आप के परीक्षा के मध्यनाज़र इस पोस्ट को तैयार किया है class 10h Geography जल संसाधन इस पोस्ट मे दिए गए है तो अब आप को परीक्षा मे कोई भी जल संसाधन के प्रश्न से डरने की जरूरत नहीं फट से उतर दे
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जल संसाधन Class 10 Quiz
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