Class 10 Subjective History Chapter 3 हिन्द – चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन  | Bihar Board Social Science History Subjective Question 2025

Class 10 Subjective History Chapter 3 हिन्द – चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025  (Bihar Board 10th Exam 2025) की तैयारी कर रहे हैं छात्र-छात्राओं को इतिहास विषय के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न (Important Subjective Questions) मंटू सर Mantu Sir(Dls Education) के द्वारा दिया जा रहा है इस सेट में आपको 30 से भी ज्यादा सब्जेक्टिव प्रश्न (Subjective Questions) उपलब्ध कराए गए हैं और इसमें आपको पिछले वर्षों के दौरान परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों को भी इस मॉडल सेट (Subjective Model Set) में जोड़ा गया है

आपको बता दे की चैप्टर वाइज सब्जेक्टिव प्रश्न (Chapter wise subjective questions)आप लोग के लिए तैयार किया गया है अब आप अपने परीक्षा की तैयारीमें इस मॉडल सेट की मदद से अच्छे अंक प्राप्त कर पाएंगे आपको बता दे की इतिहास के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न (History Important Subjective Questions) आपको मिल जाएंगेअब आप अपनी परीक्षा की तैयारी को और मजबूत बना सकते हैं इस मॉडल सेट और उपलब्ध कराए गए प्रश्न और उनके उत्तर को याद रखकर

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Class 10 Subjective History Chapter 3 हिन्द – चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन

इतिहास के तीसरे चैप्टर में आपको हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन के बारे में पढ़ने को मिलती है इसमें आपको एक तरफ अनुबंध व्यवस्था के बारे में अभी दिए कौन था हिंद चीन का क्या अर्थ है जानव समझौता कब और किन के बीच किया गया ओए होए आंदोलन की चर्चा और हम चिन्ह में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन सब कुछ आपको इस पाठ में पढ़ने को मिलता है यह पाठ परीक्षक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस परीक्षा से ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाते ही है इसलिए आपको इस चैप्टर के महत्वपूर्ण प्रश्नों (Important Questions) को याद करना बेहद जरूरी है 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (लगभग 20 शब्दों में उत्तर है

प्रश्न 1. एक तरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी?

उत्तर- एकतरफा अनुबंध हिन्द चीन में फ्रांसीसियों द्वारा लागू किया जाने वाला एक
शोषण मूलक व्यवस्था थी। मजदूरी को तो कोई अधिकार नहीं रहता था जबकि सरकार को असीमित अधिकार प्राप्त हो जाते थे

प्रश्न 2. वाओदायी कौन था ?

उत्तर-‘बाओदायी’ हिन्द चीन के एक द्वीप अन्नाम का शासक था। लेकन राष्ट्रवादियों ने दबाव डालकर उसे सत्ताच्युत कर दिया। 25 अगस्त, 1945 की अपनी गद्दी छोड़ दी। इसके बाद ही वियतनाम एक गणराज्य बन गया।

प्रश्न 3. हिन्द चीन का क्या अर्थ है ?

उत्तर-कुछ समय तक वियतनाम और लाओस पर चीनी अधिकार था और कम्पोडिया भारतीय (हिन्दुस्तानी) प्रभाव में था। इसी कारण इन तीन द्वीपों को सम्मिलित रूप से ‘हिन्द चीन’ कहा जाने लगा।

प्रश्न 4. जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ?

उत्तर-जेनेवा समझौता मई, 1954 में साम्यवादियों और अमेरिका के बीच हुआ। इस समझौता ने पूरे वियतनाम को दो भागों में बाँट दिया। एक पर पूँजीवादियों का प्रभुत्व रहा और एक पर साम्यवादियों का ।

प्रश्न 5. होआ- होआ आन्दोलन की चर्चा करें।

उत्तर- होआ-होआ आन्दोलन एक क्रांतिकारी आन्दोलन था, जिसे बौद्ध धर्मावलम्बियों ने चला रखा था। यह आन्दोलन 1939 में शुरू हुआ था इसका नेता हुइ
फू-सो था ।

लघु उत्तरीय प्रश्न (लगभग 60 शब्दों में उत्तर दें) :

प्रश्न 1. हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन कीजिए।

उत्तर- हिन्द चीन में आए तो अनेक यूरोपीय देश, किन्तु किसी ने वहाँ अपनी सत्ता स्थापित करने का प्रयास नहीं किया। उनमें फ्रांस ही एक ऐसा देश निकला जो व्यापार करने के साथ वहाँ अपनी सत्ता भी स्थापित कर ली। 17वीं शताब्दी तक बड़ी संख्या में व्यापारियों के साथ ईसाई पादरी भी हिन्द चीन पहुँचने लगे। 19वीं सदी में फ्रांसीसी एमपादरियों की बढ़ती संख्या के विरुद्ध अन्नाम, कोचीन-चीन में उम्र आन्दोलन हो रहे थे

इसके बावजूद 1862 में फ्रांस ने जबरदस्ती अन्नाम पर अधिकार कर लिया और बाद में शीघ्र ही वह कम्बोडिया को भी अपने संरक्षण में ले लिया। 1783 में नोकिन में भी फ्रांसीसी सेना घुस गई और 20वीं शताब्दी तक फ्रांस पूरी तरह हिन्द चीन में स्थापित हो गया ।

प्रश्न 2. रासायनिक हथियारों तथा एजेंट ऑरेंज का वर्णन कीजिए।

उत्तर-  रासायनिक हथियारों में ‘नापाम’ अधिक प्रसिद्ध है। यह एक ऐसा रासायनिक मिश्रण था जो अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा तत्व तैयार करता था, जो नागरिकों की त्वचा से चिपक जाता था और काफी जलन उत्पन्न करता था । अमेरिका ने इसका वियतनाम में व्यापक उपयोग किया। एजेंट ऑरेंज भी खतरनाक जहरों से तैयार था ।

यह वृक्षों की पत्तियों को झुलसा देता था और वृक्ष भी सूखते – सूखते मर जाते थे । इसका जंगलों को नष्ट करने के साथ खेतों में लगी फसलों को भी समाप्त करने में उपयोग होता था। आबादी पर भी इसका उपयोग हुआ, जिससे अगली पीढ़ी बीमार पैदा होने लगी । स्पष्ट है कि इन दोनों का उपयोग अमेरिका द्वारा 1964 में वियतनाम के विरुद्ध हुआ ।

प्रश्न 3. हो ची मिन्ह के विषय में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें ।

उत्तर-  हो –ची– मिन्ह वियतनाम का एक क्रांतिकारी नेता था। जब वह पेरिस में शिक्षा प्राप्त कर रहा था, वहीं पर उसने साम्यवादियों का एक गुट बनाया। बाद की शिक्षा के लिए वह मास्को गया।और वहीं पर वह साम्यवाद में पूरी तरह पारंगत हो गया। 1925 में उसने ‘वियतनामी क्रांति दल’ बनाया और उसके सदस्यों को सैनिक प्रशिक्षण देने लगा। 1930 तक वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादियों को एक जुटकर वियतनाम कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कर ली ।

आन्दोलन शुरू हुआ, लेकिन फ्रांसीसियों द्वारा इसे कड़ाई से कुचल दिया गया। आन्दोलन ऊपर से दब तो गया लेकिन अन्दर ही अन्दर आग सुलगती रही। द्वितीय विश्व युद्ध में फ्रांस जर्मनी से हार गया और उसे वियतनाम से भागना पड़ा । अब वियतनाम जापान के कब्जे में था । मौका देख हो –चि। –मिन्ह– ने वियतनाम पर अपना शासन स्थापित कर लिया ।

प्रश्न 4. हो–ची– मिन्ह मार्ग क्या है? संक्षेप में बताइए।

उत्तर-  हो ची मिन्ह मार्ग कोई मार्ग न होकर एक भूल भुलैया था। मुख्य मार्ग हनोई से चलकर लाओस, कम्बोडिया की सीमा से होता हुआ दक्षिणी वियतनाम तक जाता था। मुख्य मार्ग से सैकड़ों कच्ची-पक्की सड़कें निकल कर पुनः मुख्य मार्ग में मिल जाती थीं
इसे वहाँ के स्थानीय लोग ही समझते थे और आसानी से पैदल चलकर या सायकिल का उपयोग कर वियतनामी सैनिकों को रसद, हथियार आदि पहुँचा देते थे । अमेरिका इस मार्ग को बार-बार नष्ट करता लेकिन वियतनामी तुरत मरम्मत कर लेते थे । इस मार्ग पर अमेरिका नियंत्रण करना चाहता था, लेकिन उसे असफल होकर लौटना पड़ा। इससे उसे भारी हानि भी उठानी पड़ी।

प्रश्न 5. अमेरिका हिन्द चीन में कैसे घुसा ? चर्चा करें ।

उत्तर- जेनेवा सम्मेलन के अनुसार हिन्द चीन मुख्यतः दो भागों में बँट गया। एक भाग पर अमेरिकी समर्थक पूँजीवादियों का अधिकार हुआ और एक भाग रूस के समर्थक साम्यवादियों के प्रभुत्व में आ गया। अमेरिका नहीं चाहता था कि वियतनाम में साम्यवादियों की सरकार प्रगति करे। उसी को दबाने के लिए अमेरिका हिन्द चीन में घुस आया और बिना मतलब टाँग अड़ा बैठा। लेकिन वियतनाम की साम्यवादी सरकार दिनों-दिन मजबूत
होती गई और अंततः अमेरिका को दुम दबाकर भागना पड़ा। उसे काफी आर्थिक हानि के साथ मानवीय हानि भी झेलनी पड़ी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें ) :

प्रश्न 1. ‘हिन्द चीन’ में उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था ?

उत्तर- ‘हिन्दी चीन’ में फ्रांस द्वारा अपने उपनिवेश स्थापना का पहला उद्देश्य तो था डच एवं ब्रिटिश कम्पनियों की व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता का सामना करना। भारत में फ्रांस कमजोर पड़ रहा था। चीन में भी उसकी व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता केवल ब्रिटेन से ही थी । अतः अपनी व्यापारिक सुरक्षा के लिए हिन्द चीन में फ्रांस द्वारा उपनिवेश स्थापित करना आवश्यक हो गया था। उनको यह महसूस हुआ कि हिन्द चीन में स्थिर होकर वह चीन और भारत—दोनों ओर ध्यान दे सकता है। इससे वे यदि किसी कठिनाई में फँसेगे। उससे निकल सकना आसान होगा ।

दूसरी बात यह थी कि फ्रांसीसी उद्योगों के लिए उसे हिन्द चीन से पर्याप्त कच्चा माल मिल सकता था तथा तैयार माल के लिए बाजार भी, कारण कि हिन्द चीन की आबादी काफी घनी थी। पहले तो फ्रांसीसियों ने बन्दरगाह वाले नगरों के साथ व्यापारिक नगरों से शोषण आरम्भ किया और धीरे-धीरे वे ग्रामीणों का भी शोषण करने लगे । हिन्द चीन के उपभोग तो चिन के जीवन का आधार लाल घाटी थी,

उसी तरह कम्बोडिया का सहारा मेकांग नदी का मैदानी क्षेत्र था। कोचीन चीन के जीवन निर्वाह का जरिया मे कांग का डेल्टा क्षेत्र था । फ्रांसीसी व्यापारियों तथा पादरियों ने पहले ही सर्वेक्षण कर लिया था कि जल का निकासी कर दल-दली भूमि तथा वनों को काटकर खेती का क्षेत्रफल बढ़ाया जा सकता है। इससे धान की इतनी उपज होगी कि स्थानीय खपत से बचे धान का निर्यात भी किया जा सकेगा। फ्रांसीसियों ने वैसा ही किया इस प्रकार स्पष्ट है कि हिन्द चीन में उपनिवेश स्थापना के ये ही उद्देश्य थे ।

प्रश्न 2. ‘माई ली’ गाँव की घटना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- ‘माई ली’ नाम का दक्षिणी वियतनाम में एक गाँव था । अमेरिकी सेनाओं ने यहाँ ऐसी बर्बरता पूर्ण कार्य किए, जिससे विश्व में शर्म को भी शर्म आने लगी । ‘माई ली’ गाँव के निवासियों को बियतकांग समर्थक मानकर पूरे गाँव को घेर लिया । इसके बाद उन्होंने गाँव के एक-एक कर सभी पुरुषों को खोज-खोजकर मार डाला । बच्चियों तथा स्त्रियों के साथ कई दिनों तक बलत्कार किया और अन्त में गाँव में आग लगा दी गई, जिसे सभी जलकर भस्म हो गए। भाग्य से किसी प्रकार एक बूढ़ा बचकर छिपा हुआ था, उसी ने विश्व के समक्ष यह कहानी बताई ।

‘माई ली’ गाँव की इस घटना को सुन विश्व स्तब्ध रह गया । विश्व के कोने-कोने में अमेरिका की भर्त्सना होने लगी। अन्य देशों को कौन कहे, स्वयं अमेरिका में अमेरिकी सैनिकों की थू-थू होने लगी। अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन की काफी बदनामी हुई। ‘हॉलीउड’ जहाँ वियतनाम में अमेरिकी कार्रवाई के पक्ष में फिल्में बनती थीं, अब सेना के विरोध में और उसे नृशंस हत्यारों के रूप में चित्रित करते हुए फिल्में बनने लगी। इस प्रकार अमेरिका समेत पूरे विश्व में अमेरिका की आलोचना होने लगी। तब राष्ट्रपति वि ने शांति स्थापित करने के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषण की घोषण के निम्नलिखित बिन्दु थे :

(i) हिन्द चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बन्द कर यथा स्थान पर टिकी रहें।
(ii) युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
(iii) इस दौरान कोई देश शक्ति बढ़ाने का प्रयास नहीं करेगा।
(iv) युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाईयाँ बंद रहेंगी।
(v) युद्ध विराम का लक्ष्य समूचे हिन्द चीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए।

प्रश्न 3. राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द चीन में शांति के सम्बंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- हिन्द चीन में शांति के सम्बंध में राष्ट्रपति निक्सन की पाँच सूत्री योजना निम्नलिखित थी :
(i) हिन्द चीन में सभी पक्ष की सेना युद्ध बन्द कर दे तथा जहाँ पर है, वहीं पर बनी रहे।
(ii) युद्ध विराम की देखरेख अंतराष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
(iii) इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा। युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी।
(v) युद्ध विराम का अंतिम लक्ष्य समूचे हिन्द चीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए।

लेकिन पाँच सूत्री शांति प्रस्ताव पेश कर अमेरिका ने पीठ में छुरा भोंकने का काम किया। उसने स्वयं अपने ही प्रस्ताव को अपने ही तोड़ दिया। एकाएक बिना कोई सूचना के अमेरिकी सेना ने बमबारी आरम्भ कर दी। बमबारी इतनी हुई, जिसे हीरोशिमा- नाकासाकी से भी अधिक आँका गया। लेकिन अमेरिका को महसूस होने लगा था कि गुल हो रहे चिराग का यह अंतिम लौ है। निक्सन ने पुनः एक नया प्रस्ताव -आठ सूत्री योजना आगे रखी। लेकिन वियतनामियों को अमेरिकी बातों पर विश्वास नहीं रह गया। था,

जिससे उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। इसके बावजूद 24 अक्टूबर, 1972 को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका एवं दक्षिण वियतनाम में समझौता हो गया। फिर भी दक्षिणी वियतनाम ने अपत्ति जताई और पुनः वार्ता के लिए आग्रह किया। वितयकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया। अमेरिका ने फिर बमबारी शुरू कर दी, जिससे हनोई नगर बर्बाद हो गया । अंततः 27 फरवरी, 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया। समझौते की मुख्य बातें थीं कि युद्ध समाप्ति के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस हो जाएगी। उत्तर और दक्षिण वियतनाम परस्पर सलाहकार एकीकरण का मार्ग खोजेंगे। अमेरिका वियतनाम को आर्थिक सहायता देगा।

प्रश्न 4. फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किये गया सकारात्मक कार्यों की समीक्षा कीजिए ।

उत्तर- फ्रांस वालों ने हिन्द चीन में शोषण तो किया लेकिन उन्होंने कुछ विकासात्मक जैसे सकारात्मक काम भी किये। उन्होंने सर्वप्रथम कृषि उपज बढ़ाने की ओर ध्यान दिया । इसके लिए उन्होंने नहरों का विकास किया ताकि सिंचाई की सुविधा बढ़े। निम्न भूमि जहाँ सालों भर पानी भरा रहता था और जमीन दलदली हो गई थी, वहाँ से पानी निकासी का उपाय किया और दलदलों को सूखाकर जमीन को खेती के योग्य बनाया। जंगल क्षेत्रों को भी कृषि भूमि के योग्य बनाया गया।

इन प्रयासों का परिणाम हुआ कि 1931तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया। रबरों के बगान लगाए गए। हालाँकि इन कार्यों में जिन मजदूरों को लगाया गया उनसे एक तरफा अनुबंध किया गया, जिससे उनका शोषण भी हुआ। लेकिन उपज बढ़ने से देश में खुशहाली भी बढ़ी। हिन्द चीन में पूरे उत्तर से दक्षिण तक संरचनात्मक विकास तेजी से हुआ । विस्तृत रेल नेटवर्क तथा सड़क का जाल – सा बिछ गया । शिक्षा के क्षेत्र में भी फ्रांसीसियों ने हिन्द चीन में कुछ काम किया।

परम्परागत स्थानीय भाषा के साथ चीनी भाषा की शिक्षा भी दी जा रही थी। लेकिन प्रमुखता फ्रांसीसी भाषा को ही दी जाती थी। स्थानीय जनता तथा फ्रांसीसियों के जीवन स्तर में काफी अंतर था ।फिर भी जो शिक्षा मिली उसी से लाभ उठाकर छात्र-छात्राएँ राजनीतिक पार्टियाँ बनानेलगे थे, जो आगे चलकर देश के लिए काफी लाभ जनक रहा।

प्रश्न 5. हिन्द चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करे।

उत्तर- 20वीं शताब्दी के आरम्भ से ही हिन्द चीन के युवक यूरोपीय सम्पर्क में आने लगे थे तथा फ्रांसीसी के साथ अंग्रेजी की पढ़ाई भी करने लगे थे। यूरोपीय देशों में उन्हें स्वतंत्र तथा गणतंत्र में अन्तर समझ में आने लगा। फानवोई– चाऊ ने ‘द हिस्ट्री ऑफद लॉस ऑफ वियतनाम’ लिखकर नव युवकों में हलचल पैदा कर दी। इसी फान वोईचाऊ ने ‘दुई तान होई’ नामक एक क्रांतिकारी दल का गठन 1903में कर लिया था।1905 में जापान ने जब रूस को हरा दिया तो हिन्द चीन के युवकों को भी प्रेरणा मिली और इनमें उत्साह फैल गया।

रूसो और मांग्टेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारकों के विचार भी उन्हें उद्वेलित कर रहे थे। इसी समय एक अन्य राष्ट्रवादी नेता फान चूत्ची ने हुए, जिन्होंने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप को गणतंत्रवादी बनाने की कोशिश की। जापान में जाकर शिक्षा प्राप्त युवक इसी तरह के विचार रखने लगे। सनयात सेन के नेतृत्व में चीन में सत्ता परिवर्तन ने इन्हें और भी प्रोत्साहित किया। इसी प्रकार के छात्रों ने वियेतनाम कुबान फुक होई (वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन) की स्थापना कर ली । प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) जब प्रारम्भ हुआ तो हिन्द चीन के युवकों में भी राष्ट्रवाद की भावना भरने लगी।

1914 में ही इन देशभक्तों ने ‘वियतनामी राष्ट्रवादी दल’ नामक एक दल का गठन किया। इस दल का पहला अधिवेशन कैंटन में हुआ। लेकिन फ्रांसीसियों ने इस दल को कुचल दिया इससे हिन्द चीन के युवकों में और जोश भर गया। अब उनके द्वारा पूरी तरह से फ्रांसीसी शासन को उखाड़ फेंकने की बात सोची जाने लगी।

HISTORY Chapter 3 हिन्द – चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन  Class 10

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हिन्द – चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन Class 10 Subjective

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