24 August 10th Science Question Paper 2024 || Bihar Board Class 10th Science Question Paper August Monthly Exam

[wpcode id=”21562″] 24 August 10th Science Question Paper 2024 : अगर आप कक्षा 10वीं के छात्र है और आप अगस्त महीने के मासिक परीक्षा का Question Answer ढूंढ रहे है तो आप एक दम सही जगह आए हुए है । आपको बता दें कि, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा कक्षा 10वी का (Class 10th August Monthly Exam 2024)  23 अगस्त से दो पालियों में आयोजित किया जा रहा हैं। जिस परीक्षा में कक्षा 10वीं में पढ़ाई कर रहे सभी छात्र छात्राओं को सम्मिलित होना अनिवार्य है। अन्यताः उन सभी छात्र छात्राओं का Annual exam का Admit Card जारी नहीं किया जाएगा। और वे सब अपने अपने Board Exam से वंचित रह जायेंगे। [wpcode id=”21562″]

24 August 10th Science Question Paper 2024

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BSEB Class 10th Science monthly Exam (August 2024)

आप सभी विद्यार्थी को बता दें कि, आज के इस लेख में हम आपके साथ कक्षा 10th के 24अगस्त मासिक की परीक्षा जो की प्रथम पाली में सुबह 10 बजे से 11:30 तक चलेगा। उसका प्रश्न पत्र और सही सही उत्तर (Question & Answer) को साझा करने वाले है। जिससे आप अपने परीक्षा में बेहतर परिणाम पा सकते है। Question पेपर के जानकारी सबसे पहले पाने ले लिए WhatsApp Channel को Follw जरूर करें। [wpcode id=”21562″]

10th August Monthly Exam Overview

  • Board Name
Bihar School Examination Board Patna
  • Exam Type
August Monthly Exam [wpcode id=”21562″]
  • Exam date
23 -27 August
  • Class
Class 10th
  • WhatsApp
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  • YouTube
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24 August 10th Science Question Paper 2024 ( Exam Pattern परीक्षा प्रारूप )

जैसा कि आप सभी विद्यार्थी को पता है की बिहार बोर्ड पिछले साल यानी की 2023 से हर महीना मासिक परीक्षा का आयोजन करता है । जो की कुल 50 अंक का होता है । जिसमे दो तरह के प्रश्न पूछे जाते है । (Subjective & Objective) ऑब्जेक्टिव प्रश्न की कुल संख्या 30 रहती हैं। जिसमे 25 प्रश्न अनिवार्य होते हैं। और सब्जेक्टिव प्रश्न दोगुने विकल्प के साथ आता है। [wpcode id=”21562″]

Objective Paper Pattern:

  • कुल अंक: 25
  • ऑब्जेक्टिव प्रश्न: 30 (जिनमें से 25 प्रश्नों के उत्तर देने होंगे)
  • परीक्षा समय: 1 घंटा 30 मिनट [wpcode id=”21562″]

Subjective Paper Pattern:

  • कुल अंक: 25
  • लघु उत्तरीय प्रश्न: 10 (जिनमें से 5 प्रश्नों के उत्तर देने होंगे, प्रत्येक 2 अंक)
  • दीर्घ उत्तरीय प्रश्न: 5 (जिनमें से 3 प्रश्नों के उत्तर देने होंगे, प्रत्येक 5 अंक) [wpcode id=”21562″]

10th Science August Monthly Exam answer key 2024

बिहार बोर्ड के अगस्त महीने के मासिक परीक्षा का ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न का बिलकुल सही सही उत्तर नीचे दिया गया है। जिसको आप नोट कर कर सकते हैं।  जिसमें से सभी छात्र-छात्राओं को 25 प्रश्नों का उत्तर देना अनिवार्य है | इसके साथ-साथ सब्जेक्टिव प्रश्न आया हुआ है|  जिसको आप नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं। [wpcode id=”21562″]

खण्ड- अ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर 

Q.NO ANS Q.NO ANS
1 C 16 D
2 B 17 A
3 D 18 C
4 D 19 C
5 A 20 C
6 B 21 C
7 B 22 A
8 B 23 A
9 D 24 D
10 A 25 B
11 B 26 A
12 C 27 B
13 D 28 B
14 A 29 D
15 A 30 A

1. गोलीय दर्पण के मुख्य फोकस को परिभाषित करें?

उत्तर:- गोलीय दर्पण के मुख्य फोकस अक्ष के समांतर आपतित समक्षीय प्रकाश किरणे दर्पण से परिवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिंदु पर अभीसरित होती है। (अवतल दर्पण में) या जिस बिंदु पर अपसरित होती हुई मालूम पड़ती है। (उत्तल दर्पण में) उसे बिंदु को दर्पण का मुख्य फोकस कहते हैं। इस ‘ F’ से सूचित किया जाता है। [wpcode id=”21562″]

2. उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण के तीन उपयोग लिखे?

उत्तर:- उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में निम्नलिखित अंतर है। [wpcode id=”21562″]

उत्तल दर्पण:-

  1. उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों के साइड मिरर के रूप में किया जाता है।
  2. उत्तल दर्पण में परावर्तित पृष्ठ बाहर की ओर उभर रहता है।
  3. उत्तल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब सदैव सीधा तथा वस्तु से छोटा बनता है। [wpcode id=”21562″]

अवतल दर्पण:-

  1. अवतल दर्पण का उपयोग हेडलाइट में किया जाता है।
  2. अवतल दर्पण में परावर्तित पृष्ठ अंदर की ओर उभर रहता है।
  3. अवतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब सदैव सीधा और वस्तु से बड़ा बनता है। [wpcode id=”21562″]

3. प्रकाश का अपवर्तन क्या है इसके नियमों को लिखें?

उत्तर:- जब प्रकाश की किरण एक समांगी माध्यम को दूसरे समांगी माध्यम में प्रवेश करती है। तो वह अपनी मार्ग से विचलित हो जाती है। विचलित होने की इसी घटना को प्रकाश के अपवर्तन कहा जाता है। [wpcode id=”21562″]

प्रकाश की अपवर्तन की दो नियम है।

  1. आपतित किरण अपवर्तित किरण और अपन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक ही ताल में होते हैं।
  2. आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है। [wpcode id=”21562″]

5. दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार के होते हैं? 

उत्तर:- एक सामान्य स्वस्थ आंख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार समायोजित करती है। कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टि पटल पर बन जाए। जब आंख ऐसा करने में अक्षम हो जाती है। तो उसे दृष्टि दोष का नाम दिया जाता है। [wpcode id=”21562″]

दृष्टि दोष चार प्रकार के होती है।

1. दूर दृष्टि दोष
2. निकट दृष्टि दोष
3. जरा दृष्टि दोष
4. अबिंदुकता

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Bihar Board No 1 teacher ( Mantu sir)

प्यारे बच्चों आप यह सोच रहे है को अपने बोर्ड परीक्षा की तैयारी कहा से करे तो आप Bihar Board’s No 1 teacher Mantu sir से कर सकते है । जिससे लाखों बच्चे अपना तैयारी किए है । और सफलता प्राप्त हुई है । लाखों बच्चों का मानना है कि, Mantu sir Bihar Board Best Teacher है। जो मुख्य रूप से Math के शिक्षक है। जिनको आप YouTube चैनल Bihar Board Vidyakul पर सब्सक्राइब कर के अपना तैयारी कर सकते है। [wpcode id=”21562″] 

लघु उत्तरीय प्रश्न 

1. गोलीय दर्पण के मुख्य फोकस को परिभाषित करें?

उत्तर:- गोलीय दर्पण के मुख्य फोकस अक्ष के समांतर आपतित समक्षीय प्रकाश किरणे दर्पण से परिवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिंदु पर अभीसरित होती है। (अवतल दर्पण में) या जिस बिंदु पर अपसरित होती हुई मालूम पड़ती है। (उत्तल दर्पण में) उसे बिंदु को दर्पण का मुख्य फोकस कहते हैं। इस ‘ F’ से सूचित किया जाता है। 10th Science first terminal exam [wpcode id=”21562″] 2. उत्तल दर्पण और अवतल दर्पण के तीन उपयोग लिखे? उत्तर:- उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में निम्नलिखित अंतर है। [wpcode id=”21562″] उत्तल दर्पण:-

  1. उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों के साइड मिरर के रूप में किया जाता है।
  2. उत्तल दर्पण में परावर्तित पृष्ठ बाहर की ओर उभर रहता है।
  3. उत्तल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब सदैव सीधा तथा वस्तु से छोटा बनता है। [wpcode id=”21562″]

अवतल दर्पण:-

  1. अवतल दर्पण का उपयोग हेडलाइट में किया जाता है।
  2. अवतल दर्पण में परावर्तित पृष्ठ अंदर की ओर उभर रहता है।
  3. अवतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब सदैव सीधा और वस्तु से बड़ा बनता है। [wpcode id=”21562″]

10th Science first terminal exam August 2024

3. प्रकाश का अपवर्तन क्या है इसके नियमों को लिखें?

उत्तर:- जब प्रकाश की किरण एक समांगी माध्यम को दूसरे समांगी माध्यम में प्रवेश करती है। तो वह अपनी मार्ग से विचलित हो जाती है। विचलित होने की इसी घटना को प्रकाश के अपवर्तन कहा जाता है। 10th Science first terminal exam  [wpcode id=”21562″]

प्रकाश की अपवर्तन की दो नियम है।

  1. आपतित किरण अपवर्तित किरण और अपन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक ही ताल में होते हैं।
  2. आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है। [wpcode id=”21562″]

10th Science first terminal exam August 2024 With Answer 

5. दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार के होते हैं? 

उत्तर:- एक सामान्य स्वस्थ आंख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार समायोजित करती है। कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टि पटल पर बन जाए। जब आंख ऐसा करने में अक्षम हो जाती है। तो उसे दृष्टि दोष का नाम दिया जाता है। 10th Science first terminal exam [wpcode id=”21562″]

दृष्टि दोष चार प्रकार के होती है।

1. दूर दृष्टि दोष 2. निकट दृष्टि दोष 3. जरा दृष्टि दोष 4. अबिंदुकता [wpcode id=”21562″]

  •  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

1. हमारे दैनिक जीवन में PH के किन्हीं पांच महत्व का उल्लेख करें।

pH एक महत्वपूर्ण मापदंड है जो तरल पदार्थों की अम्लीयता या क्षारीयता को दर्शाता है। हमारे दैनिक जीवन में pH के निम्नलिखित पांच महत्व हैं:

1. स्वास्थ्य और भोजन की गुणवत्ता

pH का प्रभाव हमारे आहार और स्वास्थ्य पर सीधे तौर पर पड़ता है। खाद्य पदार्थों का pH स्तर यह निर्धारित करता है कि वे अम्लीय (acidic) हैं या क्षारीय (alkaline)। उदाहरण के लिए, साइट्रस फल जैसे नींबू और संतरे अम्लीय होते हैं, जबकि हरी सब्जियाँ जैसे पालक क्षारीय होती हैं। सही pH संतुलन बनाए रखना पाचन तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है और इससे एसिड रिफ्लक्स और अन्य पाचन समस्याओं को रोका जा सकता है।

2. त्वचा की देखभाल

त्वचा का pH स्तर भी उसके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। सामान्य त्वचा का pH लगभग 4.5 से 5.5 के बीच होता है, जो इसे प्राकृतिक रूप से अम्लीय बनाता है। त्वचा की देखभाल करने वाले उत्पाद, जैसे कि साबुन और फेस वॉश, यदि त्वचा के प्राकृतिक pH से मेल खाते हैं, तो वे त्वचा की रक्षा करते हैं और इसे सूखा या इर्रिटेट नहीं करते हैं। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय उत्पाद त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

3. कृषि और मिट्टी की गुणवत्ता

कृषि में मिट्टी का pH स्तर फसलों की वृद्धि और पैदावार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। मिट्टी का pH तय करता है कि पौधे कितनी अच्छी तरह से पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकते हैं। मिट्टी यदि अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय हो, तो पौधों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है। इसलिए, किसान मिट्टी के pH को सही स्तर पर बनाए रखने के लिए उचित उर्वरक और अम्लीयता नियंत्रक का उपयोग करते हैं।

4. जल गुणवत्ता

पानी का pH स्तर भी उसकी गुणवत्ता और उपयोगिता को प्रभावित करता है। पेयजल का pH आदर्श रूप से 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए। अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय पानी से स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और पाइपलाइन और यंत्रों को नुकसान हो सकता है। इसलिए, जल उपचार संयंत्रों में पानी के pH स्तर को नियंत्रित किया जाता है ताकि यह सुरक्षित और पीने योग्य रहे।

5. स्वच्छता और घरेलू उत्पाद

हमारे घरों में प्रयुक्त कई उत्पाद जैसे कि डिटर्जेंट, क्लीनर, और अन्य स्वच्छता उत्पादों का pH स्तर उनकी प्रभावशीलता और सुरक्षा को प्रभावित करता है। घरेलू क्लीनर आमतौर पर क्षारीय होते हैं, जो ग्रीस और दागों को हटाने में मदद करते हैं। सही pH स्तर के साथ उत्पाद न केवल प्रभावी होते हैं बल्कि सतहों और उपयोगकर्ताओं के लिए भी सुरक्षित रहते हैं।

इन विभिन्न पहलुओं में pH का महत्व दर्शाता है कि यह हमारे दैनिक जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने और सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ऑक्सी श्वसन और अनाक्षी श्वसन दो प्रकार के श्वसन होते हैं जो जीवों में ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया को दर्शाते हैं। यहाँ पर दोनों प्रकार के श्वसन के बीच का अंतर और अनाक्षी श्वसन की क्रियाविधि दी गई है:

BSEB Class 10th 24 August Social Science Question Paper 2024 || Bihar Board Class 10th Social Science Question Paper August Monthly Exam

 2. हमारे दैनिक जीवन में PH के किन्हीं पांच महत्व का उल्लेख करें।

ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration) और अनाक्षी श्वसन (Anaerobic Respiration) में अंतर:

  1. ऑक्सीजन की उपस्थिति:

    • ऑक्सी श्वसन: इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्पादन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। यह श्वसन मुख्य रूप से शुद्ध वायुमंडल में होता है जहाँ ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा होती है।
    • अनाक्षी श्वसन: इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्पादन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में या अत्यंत कम मात्रा में होता है।
  2. उत्पाद:

    • ऑक्सी श्वसन: यह प्रक्रिया ऊर्जा, पानी (H₂O), और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का उत्पादन करती है। ग्लूकोज़+ऑक्सीजन→कार्बन डाइऑक्साइड+पानी+ऊर्जा\text{ग्लूकोज़} + \text{ऑक्सीजन} \rightarrow \text{कार्बन डाइऑक्साइड} + \text{पानी} + \text{ऊर्जा}
    • अनाक्षी श्वसन: यह प्रक्रिया विभिन्न उप-उत्पादों का निर्माण करती है, जैसे कि लैक्टिक एसिड (लैक्टिक एसिड फर्मेंटेशन में) या एथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड (एथेनॉल फर्मेंटेशन में)।
  3. ऊर्जा की मात्रा:

    • ऑक्सी श्वसन: उच्च मात्रा में ऊर्जा (ATP) का उत्पादन होता है।
    • अनाक्षी श्वसन: कम मात्रा में ऊर्जा (ATP) का उत्पादन होता है।
  4. स्थान:

    • ऑक्सी श्वसन: यह प्रक्रिया माइटोकॉन्ड्रिया में होती है।
    • अनाक्षी श्वसन: यह प्रक्रिया साइटोप्लाज्म में होती है।
  5. प्रक्रिया की जटिलता:

    • ऑक्सी श्वसन: यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें कई चरण होते हैं, जैसे कि ग्लाइकोलाइसिस, क्रेब्स चक्र, और इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट चेन।
    • अनाक्षी श्वसन: यह अपेक्षाकृत सरल प्रक्रिया होती है जिसमें केवल ग्लाइकोलाइसिस की आवश्यकता होती है।

अनाक्षी श्वसन की क्रियाविधि:

अनाक्षी श्वसन की क्रियाविधि में, ऊर्जा का उत्पादन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। यह मुख्यतः दो प्रकार के फर्मेंटेशन में विभाजित होता है: लैक्टिक एसिड फर्मेंटेशन और एथेनॉल फर्मेंटेशन। यहाँ हम लैक्टिक एसिड फर्मेंटेशन की क्रियाविधि को विस्तार से समझते हैं:

  • ग्लाइकोलाइसिस: सबसे पहले, ग्लूकोज़ (C₆H₁₂O₆) को दो छोटे अणुओं में तोड़ा जाता है, जिन्हें पाइरूवेट (C₃H₄O₃) कहते हैं। इस प्रक्रिया में 2 ATP (एडेनोसाइन ट्राइफास्फेट) का उत्पादन होता है। ग्लूकोज़→2पाइरूवेट+2ATP\text{ग्लूकोज़} \rightarrow 2 \text{पाइरूवेट} + 2 \text{ATP}

  • पाइरूवेट का रूपांतरण: ग्लाइकोलाइसिस के बाद, पाइरूवेट का रूपांतरण लैक्टिक एसिड में होता है। इस प्रक्रिया में NADH (निकोतिनामाइड एडेनिन डाइ न्यूक्लियोटाइड) से इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन पाइरूवेट पर ट्रांसफर किए जाते हैं, जिससे लैक्टिक एसिड (C₃H₆O₃) का निर्माण होता है। पाइरूवेट+NADH→लैक्टिक एसिड+NAD+\text{पाइरूवेट} + \text{NADH} \rightarrow \text{लैक्टिक एसिड} + \text{NAD}^+

  • ऊर्जा उत्पादन: अनाक्षी श्वसन में ऊर्जा की मात्रा सीमित होती है, और अधिकांश ऊर्जा ग्लाइकोलाइसिस से प्राप्त ATP से ही आती है।

इस प्रकार, अनाक्षी श्वसन एक अधिक सरल और कम ऊर्जा उत्पन्न करने वाली प्रक्रिया है जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी कार्य कर सकती है। यह प्रक्रिया उन स्थितियों में महत्वपूर्ण होती है जब ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित होती है, जैसे कि तीव्र शारीरिक प्रयास के दौरान या कुछ सूक्ष्मजीवों में।

3. धमनी तथा शिरा में अंतर क्या हैं? 

धमनी और शिरा (अर्थात आर्टरी और वेन) रक्त संचार प्रणाली के दो प्रमुख प्रकार के रक्त वाहिकाएँ हैं जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त का परिवहन करती हैं। दोनों के बीच निम्नलिखित मुख्य अंतर हैं:

1. रक्त प्रवाह की दिशा:

  • धमनी (आर्टरी): धमनी रक्त को दिल से शरीर के अन्य अंगों की ओर ले जाती है। यह ऑक्सीजन युक्त रक्त (सर्वाधिक धमनी में) या कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त (फुफ्फुस की धमनी में) को ले जाती है।
  • शिरा (वेन): शिरा रक्त को शरीर के अंगों से वापस दिल की ओर लाती है। यह कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त (सर्वाधिक शिरा में) या ऑक्सीजन युक्त रक्त (फुफ्फुस की शिरा में) को ले जाती है।

2. दीवारों की संरचना:

  • धमनी: धमनी की दीवारें मोटी और मजबूत होती हैं क्योंकि उन्हें उच्च दबाव वाले रक्त प्रवाह को सहन करना होता है। इनकी दीवारें तीन परतों में होती हैं:
    • इंटिमा (अंतरतम परत): एक परत की कोशिकाओं की पतली परत।
    • मीडिया (मध्य परत): चिकनी मांसपेशियों और इलास्टिक फाइबर की परत।
    • एडवेंटिशिया (बाहरी परत): संयोजी ऊतक की बाहरी परत।
  • शिरा: शिरा की दीवारें पतली और कम मजबूत होती हैं, क्योंकि रक्त प्रवाह दबाव कम होता है। इनकी दीवारें भी तीन परतों में होती हैं, लेकिन मांसपेशियों और इलास्टिक फाइबर की मात्रा कम होती है।

3. वॉल्व्स की उपस्थिति:

  • धमनी: धमनी में आमतौर पर वॉल्व्स नहीं होते हैं क्योंकि रक्त प्रवाह एक स्थिर दिशा में दिल से बाहर की ओर होता है।
  • शिरा: शिरा में वॉल्व्स होते हैं जो रक्त को दिल की ओर वापस ले जाने में मदद करते हैं और रक्त की उलटी दिशा को रोकते हैं।

4. रक्त का प्रकार:

  • धमनी: अधिकांश धमनी में ऑक्सीजन युक्त रक्त होता है, जैसे कि शारीरिक धमनी (एक्सेप्शन फेफड़ों की धमनी)।
  • शिरा: अधिकांश शिरा में कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त होता है, जैसे कि शारीरिक शिरा (एक्सेप्शन फेफड़ों की शिरा)।

5. आकृति और लोकेशन:

  • धमनी: धमनी आमतौर पर गहरी होती है और शरीर के अंदर की ओर स्थित होती है। इनकी आकृति गोल होती है और ये प्रायः बड़े और मोटे होते हैं।
  • शिरा: शिरा अक्सर सतह के करीब होती है और शरीर की बाहरी परत में देखी जा सकती है। ये अधिक फ्लैट और पतले होते हैं।

संक्षेप में:

धमनी और शिरा दोनों की अपनी विशेषताएँ और कार्य होते हैं जो शरीर के रक्त प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। धमनी दिल से रक्त को अंगों की ओर ले जाती है और शिरा अंगों से रक्त को वापस दिल की ओर लाती है। उनके दीवारों की संरचना, वॉल्व्स की उपस्थिति, और रक्त प्रकार उनके कार्यों के अनुरूप होते हैं।

सब्जेक्टिव प्रश्न का उत्तर बहुत जल्दी अपडेट कर दिया जायेगा इसके लिए आप बार बार चेक करते रहें | और सबसे पहले जानकारी के लिए हमारे WhatsApp Channel को फॉलो कर के नोटिफिकेशन चालू कर लें | 

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