Class 10 Subjective Political Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ  | Bihar Board Social Science Political Subjective Question 2025

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Class 10 Subjective Political Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ पॉलिटिकल साइंस  (Political Science) में कुल 6 चैप्टर मिलते हैं और यह 6 चैप्टर से परीक्षा में 20 से 25 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें सब्जेक्टिव और ऑब्जेक्टिव शामिल होते हैं इसलिए आपको सब्जेक्टिव प्रश्नों ( subjective questions) की तैयारी करना बेहद जरूरी है परीक्षा में 50% सब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाते हैं जिनमें पॉलिटिकल साइंस से भी प्रश्न उपलब्ध होते हैंअगर आप भी अपने बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025 (bihar board 10th exam 2025) की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्नों  (Political Important Subjective Questions) का संग्रह खोज रहे हैं

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लोकतंत्र की उपलब्धियाँ 

प्रश्नावली के प्रश्न और उनके उतर

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Questions ) :

प्रश्न 1. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है?

उत्तर-निम्नलिखित बातों से ज्ञात होता है कि लोकतंत्र उत्तरदायी और वैध सरकार का गठन करता है :

(i) उत्तरदायी सरकार-लोकतंत्र में सांसद या विधायक जनता द्वारा चुने जाते हैं उन्हें इस बात को सोचना पड़ता है कि पुनः उन्हें पाँच वर्षों के बाद उन्हीं मतदाताओं के पास जाना है। इस कारण वे अपने पर उत्तरदायित्व महसूस करते हैं। इस कारण जो भी सरकार गठित होती है वह उत्तरदायी सरकार होती है। उसे अपने हर काम काजवाब विरोधी दल के सासंदों को देना पड़ता है,

यदि वे सदन में विधिवत प्रश्न पूछें उत्तरदायी सरकार ही जनआकांक्षा की अधिक-से-अधिक आपूर्ति कर सकती है। एक तो यही प्रण लेकर चुनाव में शरीक होते हैं कि हमें जनता की भावनाओं के करना है। भले ही कुछ सांसद या विधायक जीतने के बाद अपना प्रण अनुसार काम भूल जाते हैं,लेकिन विरोधी दल इन्हें भूलने नहीं देते। प्रश्न पर प्रश्न पूछकर वे सरकार की नाक में दम कर देते हैं। इस प्रकार सरकार को उत्तरदायी बनना पड़ता है 1

(ii) वैध सरकार—लोकतंत्र में निर्वाचन से लेकर सरकार गठन तक के सभी काम संवैधानिक प्रावधानों के तहत होते हैं। सरकार गठन के बाद वह जो भी काम करती है, वे सभी संविधान के नियम-उपनियमों के तहत होते हैं। यदि सरकार कोई अवैध काम करती है, तो सम्भव है, उसे न्यायपालिका का सामना करना पड़ जाय । सरकार के कामों पर नजर रखने के लिए न्यायपालिका सदैव सतर्क रहती है।

यदि सरकार कोई अवैध काम करती है तो कोई भी न्यायपालिका की शरण में जा सकता है और न्यायपालिका उस काम को अवैध ठहरा कर सरकार को सही राह पर आने को मजबूर कर सकती है। सरकार को न्यायपालिका का डर सदैव सताते रहता है।

प्रश्न 2. लोकतंत्र किस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में सहायक बनता है ?

उत्तर- चूँकि लोकतांत्रिक सरकारें उत्तरदायी और वैध होती हैं अतः हम आशा कर सकते हैं कि वे देश की आर्थिक संवृद्धि और उसके विकास से सम्बद्ध कामों को करेंगी, उसे आगे बढ़ाएँगी। आर्थिक संवृद्धि से ही देश में खुशहाली आ सकती है।

देश में खुशहाली होगी तभी हम कह सकते हैं कि देश विकास कर रहा है। यदि हम लोकतांत्रिक शासन और तानाशाही शासन की तुलना करें तो हम पाते हैं कि तानाशाही शासन में तानाशाह अपना और अपने परिवार के विकास में ही लगा रहता है। वह अपने पिठुओं को भी समृद्ध बनने का मौका देता है लेकिन जनता के सुख-दुख से उसे कोई मतलब नहीं रहता।

वहीं लोकतंत्र में शासक सदैव जनता के हित की बात सोचते हैं। अपने समर्थकों तथा अपने परिवार के लिए भले कुछ अधिक ध्यान दें, लेकिन सब मिलाकर वे जनता की समृद्धि और देश के विकास पर ही अधिक ध्यान देते हैं। इन्हीं सब बातों को लेकर पूरा विश्व लोकतंत्र का समर्थक बन गया है। आज के युग में लोकतंत्र से अच्छा किसी शासन को नहीं माना जाता। यह बात अलग है

कि किसी-किसी देश में नेता के मन में यह वहाँ की सेना के मन में खोट आ जाता है और बन्दूक के बल पर तानाशाही कायम कर बैठता है। लेकिन यह अधिक दिनों तक नहीं टिक पाता और देर- सबेर लोकतंत्र कायम होकर ही रहता है। कारण कि लोकतंत्र में देश की आर्थिक संवृद्धि हो सकती है, देश विकास की ओर बढ़ सकता है।

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प्रश्न 3. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विषमताओं को पाटने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है?

उत्तर- निम्नलिखित स्थितियों में लोकतंत्र सामाजिक विविधता को पाटने में मददगार होता है और उनके बीच सामंजस्य का निर्माण करता है:

(i) कोई भी समाज अपने विभिन्न समूहों के परस्पर टकरावों को पूर्णरूपेण स्थायी तौर से समाप्त नहीं कर सकता। लेकिन लोकतंत्रीय सरकारें ही ऐसी होती हैं जो इन टकरावों को सँभालती हैं तथा एक-दूसरे के बीच सामंजस्य बनाने में सफल होती हैं। इसी कारण लोकतंत्र को एक अच्छा शासन माना जाता है। जहाँ कि सरकारें ऐसा करने में सफल नहीं होतीं, वहाँ टकराव होता है और जनता को उसका नुकसान झेलना पड़ता

(ii) यह गौर करना जरूरी है कि लोकतंत्र का सीधे-सीधे अर्थ बहुमत की राय से शासन करना भर नहीं है। बहुमत को सदैव अल्पमत का भी ध्यान रखना पड़ता है। इसी स्थिति में सरकार जन-सामान्य की इच्छा का प्रतिनिधित्व कर पाती है।’

(iii) यह भी समझना जरूरी है कि बहुमत के शासन का अर्थ धर्म, नस्ल या भाषायी आधार के बहुमत का शासन नहीं होता। बहुमत के शासन का अर्थ होता है कि हर निर्वाचन या सरकारी फैसले में विभिन्न लोग या समूह बहुमत का निर्माण करते हैं या कर सकते हैं। लोकतंत्र तभी तक लोकतंत्र रहता है, जबतक राज्य के प्रत्येक नागरिक को किसी- न-किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बनने का मौका मिलता है। यदि ऐसा नहीं होतातो लोकतंत्र समावेशी नहीं होता ।

प्रश्न 8. भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं?

उत्तर- भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को हम हो रहे नए प्रभात के रूप में देखते हैं। लोकतंत्र को पूर्णतः सफल होने के लिए सौ-पचास वर्ष कोई समय नहीं है। इसका कारण है कि लोगों की आदत पहले से ही बिगड़ी रहती हैं। भारत जैसे देश में तो यह पूरी तरह सही बैठता है। यहाँ के लोग वर्तमान पर तो ध्यान देते ही हैं, भविष्य की चिंता इन्हें

अधिक रहती है। बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी भविष्य बनाने के लिए ही वर्तमान में कष्ट उठाकर भविष्य दुरुस्त करने के चक्कर में रहते हैं। उसी तरह भारत की जनता से लेकर नेता तक अपना भविष्य सुधारने की फिक्र में रहते हैं। जनता महीने-दो महीने की चिंता करती है तो नेता कुछ पीढ़ियों तक के लिए जमा कर लेते हैं। वर्तमान में भी यदि पत्नी, बेटा, बेटी, भाई, भतीजा, भगीना और भगिनी आदि सबको निर्वाचित कराकर संतुष्ट और निश्चित हो लेना चाहते हैं।

यदि कोई चार-पाँच बार लोकसभा का सदस्य बन जाय, उसकी सम्पत्ति निश्चित ही करोड़ों-करोड़ में हो जाती है। यह हम नहीं कहते, वे स्वयं कहते हैं जब नामांकन के समय सम्पत्ति की घोषणा करते हैं। लेकिन यह भी सही है कि एक दिन उनको पछताना पड़ेगा और भारत का लोकतंत्र स्वयं सम्भल जाएगा। जिस दिन से नेता ठीक हो जाएँगे, उस दिन सब ठीक हो जाएगा। अभी तो वे भूखे शेर बने हैं। बाद में समय आने पर वे साधु-सियार बन जाएँगे। हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। वे सब सम्पत्ति देश में मँगवा लेंगे, जो विदेशों में जमाकर रखे हैं। देश के पास धन की कमी नहीं है, लेकिन छुपा है और छितराया हुआ है।

प्रश्न 9. भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है?

उत्तर- प्रश्न पूछा जा रहा है कि भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है। विचित्र बात है, कौन कहता है कि भारत में लोकतंत्र सफल नहीं है। एशियाई तथा अफ्रीकी देशों में नव स्वतंत्रता देशों में केवल भारत ही तो है कि आज तक लोकतंत्र में कोई व्यवधान नहीं आया। जबसे भारतीय संविधान लागू हुआ है, तब से ठीक समय पर चुनाव होते रहे हैं।

इसके विपरीत अनेक एशियाई और अफ्रीकी देशों को सैनिक शासन का सामना करना पड़ा। कुछ दिन सैनिक शासन रहने के बाद चुनाव होता है और जिम्मेदार सरकारें बनती हैं। कुछ दिनों बाद, वही ‘ढाक के तीन पात’ । सैनिक शासन लद जाता है भारत में लोकतंत्र के आगे कुछ समस्या है तो बस यह है कि नेताओं में वैसी ही त्याग की भावना आए, जैसा स्वतंत्रता आन्दोलन के समय था।

दूसरी बात है, नेताओं में परिवारवाद की कमजोरी, जैसे लगता है कि यहाँ लोकतंत्र न होकर राजतंत्र हो । बाप के बाद बेटा या बेटी। यदि बेटा-बेटी नहीं होता तो नाती-पोता, नाती पोता की पत्नियाँ ।इसका सबसे अधिक घिनौना रूप कांग्रेस ही दिखलाती है। पार्टी हो या देश, जबतक नेहरू जी जीवित रहे, पार्टी और सरकार दोनों को अपनी मुट्ठी में रखे रहे।

उनकी मृत्यु के बाद उन दोनों पदों पर इन्दिरा गाँधी जी आ गई। बीच में लाल बहादुर शास्त्री आए, उनको रास्ते से किस तरह हटाया गया किसी से छिपा नहीं है। सीताराम केसरी को किस प्रकार कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाया गया, इसे भी सभी जानते हैं। पता नहीं कांग्रेस वालों को क्या हो गया कि वे सब बरदाश्त करते हैं या करना पड़ता है। यह बीमारी यदि देश से दूर हो जाय तो निश्चित ही यहाँ लोकतंत्र पूर्णतः सफल ही सफल है।

कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. ‘लोकतंत्र सभी शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है ।’ कैसे ?

उत्तर- लोकतंत्र सभी शासन व्यवस्थाओं से इसलिए बेहतर है कि यही एक व्यवस्था है जिसमें सभी नागरिकों को समान अवसर प्राप्त होता है। संविधान के द्वारा व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा को निश्चित किया गया है। लोकतंत्र में आपसी विभेद और टकराव एक तो कम हो पाता है और यदि नहीं होता तो गुण-दोष के आधार पर उसमें सुधार की निरंतर सम्भावनाएँ लोगों को एक-दूसरे के करीब लाती हैं। लोकतंत्र में फैसले किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि निर्वाचित व्यक्तियों के समूह द्वारा किये जाते हैं । अतः स्प्ष्ट है कि लोकतंत्र अन्य सभी शासन व्यवस्थाओं से बेहतर हैं ।

प्रश्न 2. लोकतंत्र किस प्रकार लोगों के प्रति उत्तरदायी है? कोई दो कारण दीजिए ।

उत्तर- निम्नलिखित दो कारणों से ऐसा लगता है कि लोकतंत्र लोगों के प्रति उत्तरदायी है :
(i) लोकतंत्र में लोगों को चुनावों में भाग लेने और अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार है या स्वयं निर्वाचित होने के लिए उम्मीदवार बनने का अधिकार है।
(ii) निर्वाचित सरकार लोगों की आकांक्षाओं के पूरा करने में प्रभावी होती है।

प्रश्न 3. सामाजिक मतभेदों एवं अंतरों को कौन शासन पद्धति शमित करती है?

उत्तर- लोकतंत्र ही एक ऐसी शासन पद्धति है जो सामाजिक मतभेदों एवं अंतरों को शामित करती है। लोकतंत्र शासन पद्धति लोगों के बीच एक-दूसरे के सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के प्रति सम्मान का भाव विकसित करती है। यह काम सम्वाद एवं सामंजस्य के निर्माण से होता है। इतिहास की पुस्तकों से इन बातों का पता हमें चलता है।

प्रश्न 4. लोकतंत्र का मतलब है बहुमत का शासन। देश में गरीबों का बहुमत है इसलिए भारत में लोकतंत्र का मतलब हुआ गरीबों का राज। पर ऐसा होता क्यों नहीं है ?

उत्तर- भारतीय लोकतंत्र में जनता के प्रतिनिधि शासन करते हैं। निर्वाचन के समयउम्मीदवार हमारे-आपके जैसे ही होते हैं। लेकिन निर्वाचित हो जाने के बाद वे क्रमशः धनी होते जाते हैं। एक तो उन्हें काफी वेतन मिलता है, फिर प्रतिदिन का भत्ता मिलता है। उन्हें आने-जाने का रेल और हवाई जहाज का फ्री पास मिलता है। अतः उनका रहन-सहन बदलकर अमीरों जैसा हो जाता है। इसीलिए ऐसा लगता है कि यहाँ गरीबों का शासन नहीं है। लेकिन वास्तव में यहाँ गरीबों का ही शासन है। गरीब ही उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनते हैं।

प्रश्न 5. अगर आमदनी के समान वितरण और आर्थिक प्रगति को आधार मानकर ही लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के आर्थिक कामकाज का मूल्यांकन करना हो तो आपका क्या फैसला होगा ?

उत्तर- अगर आमदनी के समान वितरण और आर्थिक प्रगति को आधार मानकरही लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के आर्थिक कामकाज का मूल्यांकन करना हो तो मेरा फैसला कोई उत्साहजनक नहीं होगा। कारण कि हम देखते हैं कि कई तानाशाही देश लोकतांत्रिक देशों के मुकाबले बेहतर वार्षिक विकास दर प्राप्त कर लिए हैं। लेकिन शासन तानाशाही हो या लोकतांत्रिक, देश गरीब है तो वार्षिक विकास दर बराबर ही रहा है। अगर समग्र रूप से हम दृष्टिपात करें तो नतीजा चौंकानेवाला होगा।

दक्षिण अफ्रीका तथा ब्राजील में जहाँ ऊपर के लोगों का वार्षिक आय का प्रतिशत हिस्सा क्रमशः 64.8 तथा 63.00 है वहीं नीचे के 20 प्रतिशत लोगों का हिस्सा मात्र 2.9 तथा 2.6 प्रतिशत है। रूस और अमेरिका में भी कोई खास अंतर नहीं है रूस 53.7 और 4.4 प्रतिशत है, वहीं अमेरिका में 50.0 तथा 4.0 प्रतिशत है। डेनमार्क और हंगरी इस अर्थ में कुछ ठीक है। डेनमार्क में जहाँ 34.5 तथा 9.6 प्रतिशत है, वहीं हंगरी में 34.4 तथा 10.00 प्रतिशत है।

Class 10 Subjective Political Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

लोकतांत्रिकविषय के अंतर्गत आने वाला या चैप्टर लोकतंत्र की उपलब्धियांमें आपको लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामाजिक एवं राजनीतिक विशेषताओं के बारे में जानकारी मिलती है कौन सी बात और लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं हैलोकतंत्र में शासको पर निम्नलिखित में से किसी एक नियंत्रण रहना जरूरी हैआज विश्व के लोकतांत्रिक देश में आर्थिक विकास दर कितना हैलोकतंत्र का सर्वप्रथम गुण क्या होना चाहिए यह सब कुछ आपको पढ़ने को मिलता है जैसा आपको पता होगा हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है ऐसे में आपके इस देश के बारे में जागरूकता और आपकी परीक्षा के लिए यह पाठ महत्वपूर्ण (Important)

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Political Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ  Class 10

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