Class 10th Hindi Sent Up Exam 2024 Question Paper || 23 November 10th Hindi Viral Question Paper

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Class 10th Sent Up Exam 2024 Hindi Question Paper || 23 November 10th Hindi Viral Question Paper :– इस पोस्ट में Bihar Board से आयोजित Class 10th Hindi Sent up Exam 2023 का प्रश्न पत्र और उसका उत्तर दिया गया है। यदि आप भी Bihar Board से Matric Board Exam 2024 में देंगे। तो आपके लिये स्कूल स्तर पर Class 10th Sent Up exam 2023 का आयोजन 23 नवंबर से 27 नवंबर तक हो रहा है । आज के इस लेख में आपके Class 10th Sent-up Exam का ओरिजनल प्रश्न पत्र उत्तर के साथ दिया गया है । इस पोस्ट के माध्यम से Bihar Board Matric Sent-up Exam 2023- 24 के Hindi विषय का Question Paper उत्तर के साथ Download कर सकते है । Class 1oth Hindi Sent Up Exam Answer Key

10th Hindi Sent up exam Question paper 2023

 

Class 10th Hindi Sent-up Exam Objective Answer Key 2023-24

खण्ड-अ
(वस्तुनिष्ठ प्रश्न )

Q.NO.ANSQ.NO.ANSQ.NO.ANSQ.NO.ANS
1B26B51C76D
2C27B52D77A
3D28C53A78A
4B29D54B79B
5B30A55C80B
6C31C56D81B
7D32C57A82D
8A33D58B83A
9C34B59C84B
10C35B60D85B
11D36B61A86C
12A37C62B87D
13B38B63C88A
14C39C64D89B
15D40D65A90C
16A41A66B91D
17B42A67C92A
18C43C68D93B
19D44D69A94C
20A45A70B95D
21B46D71B96A
22C47C72B97B
23D48D73A98C
24A49A74B99D
25D50B75C100A

प्यारे बच्चों Subjective प्रश्न का उत्तर निचे दिया गया हैं?

Class 10th Sent-up Exam 2023-24 Answer Key

Bihar Board 10th Sent Up Exam 2023-24
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Class 10th Hindi Sent-Up Exam 2024 Answer Key
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Class 10th Math Sent-Up Exam 2024 Answer Key
Class 10th English Sent-Up Exam 2024 Answer Key

खण्ड – ब

Class 10th Hindi Sent-up Exam Subjective Answer Key 2023-24

10th Hindi Sent up exam Question paper 2023

 

1. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा । 5 x 2 = 10

(क) आत्मनिर्भरता प्रगति की आधारशिला है और आत्मविश्वास का मूल है । जो व्यक्ति समाज में अपने सारे कार्य स्वयं करता है और जरूरत पड़ने पर दूसरों की सहायता करता है, वह उन्नति की दौड़ में सबसे आगे रहता है। अपने दैनिक जीवन के सारे कार्य स्वयं करना मनुष्य के लिए अत्यावश्यक है । अपने कार्य के लिए दूसरे पर निर्भर रहने वाला व्यक्ति पिछड़ जाता है, वह उन्नति नहीं कर सकता । सौंपे गए कार्य को पुनीत दायित्व समझकर करना चाहिए, इससे व्यक्ति स्वावलंबी बनता है । स्वावलंबी व्यक्ति सामाजिक और मानसिक रूप से स्वस्थ एवं शक्तिशाली होता है। उसे धन-दौलत की कमी नहीं रहती है। वह अपनी भुजाओं से सारी सुख-सुविधाओं को जुटाने में सक्षम होता है । परिणामतः आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुँच जाता है ।

(i) व्यक्ति की प्रगति की आधारशिला क्या है ?

उत्तर:-आत्मनिर्भरता प्रगति की आधारशिला है

(ii) उन्नति की दौड़ में सबसे आगे कौन रहता है ?

उत्तर:- जो व्यक्ति समाज में अपने सारे कार्य स्वयं करता है और जरूरत पड़ने पर दूसरों की सहायता करता है, वह उन्नति की दौड़ में सबसे आगे रहता है।

(iii) कौन व्यक्ति पिछड़ जाता है ?

उत्तर:-अपने कार्य के लिए दूसरे पर निर्भर रहने वाला व्यक्ति पिछड़ जाता है

(iv) सामाजिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ कौन होता है ?

उत्तर:-स्वावलंबी व्यक्ति सामाजिक और मानसिक रूप से स्वस्थ एवं शक्तिशाली होता है।

(v) उन्नति के शिखर पर कौन पहुँच जाता है ?

उत्तर:-आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति के शिखर पर पहुँच जाता है ।

2. निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश को पढ़ कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा । 5 x 2 = 10

(क) बुनियादी शिक्षा को हमलोग बेसिक शिक्षा भी कहते हैं। बुनियादी शिक्षा का तात्पर्य शिक्षा की उस प्रणाली से है, जिसमें विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्पों का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए बालकों का शारीरिक, मानसिक, नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास करना है। शिक्षा के द्वारा हमें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है । महात्मा गाँधी ने आज से कई वर्ष पूर्व बुनियादी शिक्षा का आंदोलन शुरू किया था। उसमें उन्होंने राष्ट्र के लिए कई प्रकार की प्रारंभिक शिक्षा का प्रस्ताव रखा था, जिसका केन्द्र शारीरिक श्रम और उत्पादन कार्य था और जिसका सामुदायिक जीवन से घनिष्ठ संबंध था। भारतीय शिक्षा के इतिहास में बुनियादी शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान था । वह शिक्षा के प्रति एक क्रांति थी, जो भारत में कई सालों के अंग्रेजी शासन परम्परागत प्रणाली पर बनी थी । बुनियादी शिक्षा से राष्ट्रीय चेतना जागृत हुई । बुनियादी शिक्षा पद्धति में तीन बातें इस प्रकार हैं- (क) शिक्षा में उत्पादक कार्यकलाप, अर्थात् कोई ऐसा विषय सिखाया जाए, जिससे छात्र कुछ कमाई करने योग्य बन सकें । (ख) पाठ्यचर्या का उत्पादक कार्यकलापों और भौतिक तथा सामाजिक पर्यावरण से सह-संबंध । (ग) स्कूल तथा स्थानीय जनसमुदाय से घनिष्ठ संबंध ।

(i) बुनियादी शिक्षा को हम लोग और किस नाम से जानते हैं ?

उत्तर:-बुनियादी शिक्षा को हमलोग बेसिक शिक्षा भी कहते हैं।

(ii) बुनियादी शिक्षा का तात्पर्य क्या है ?

उत्तर:-बुनियादी शिक्षा का तात्पर्य शिक्षा की उस प्रणाली से है, जिसमें विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्पों का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए बालकों का शारीरिक, मानसिक, नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास करना है।

(iii) बुनियादी शिक्षा का आंदोलन किसने शुरू किया था ?

उत्तर:-महात्मा गाँधी ने बुनियादी शिक्षा का आंदोलन शुरू किया था।

(iv) बुनियादी शिक्षा से क्या जागृत हुई ?

उत्तर:- बुनियादी शिक्षा से राष्ट्रीय चेतना जागृत हुई ।

(v) बुनियादी शिक्षा-पद्धति की तीन बातें कौन-कौन है ?

उत्तर:- बुनियादी शिक्षा पद्धति में तीन बातें इस प्रकार हैं-

(क) शिक्षा में उत्पादक कार्यकलाप, अर्थात् कोई ऐसा विषय सिखाया जाए, जिससे छात्र कुछ कमाई करने योग्य बन सकें ।

(ख) पाठ्यचर्या का उत्पादक कार्यकलापों और भौतिक तथा सामाजिक पर्यावरण से सह-संबंध ।

(ग) स्कूल तथा स्थानीय जनसमुदाय से घनिष्ठ संबंध ।

(ख) सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 ई० में हुआ था । भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारका एवं मराठी कवयित्री थीं । उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है । 1852 ई० में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। 5 सितंबर, 1848 ई० में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की । एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए । तत्कालीन सरकार ने इन्हें सम्मानित भी किया । एक महिला प्रिंसिपल के लिए सन् 1848 ई० में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती । लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया ।

(i) सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले का जन्म किस वर्ष हुआ था ?

उत्तर:- सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 ई० में हुआ था ।

(ii) सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले क्या थीं ?

उत्तर:- सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारका एवं मराठी कवयित्री थीं

(iii) किन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है ?

उत्तर:- सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले को आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है ।

(iv) सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले ने किस वर्ष पुणे में एक विद्यालय की स्थापना की ?

उत्तर:- 5 सितंबर, 1848 ई० में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की ।

(v) सावित्रीबाई फुले और महात्मा फुले कितने नये विद्यालय खोलने में सफल हुए ?

उत्तर:- सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए ।

3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 250- 300 शब्दों में निबंध लिखें : 1 × 10 = 10

(क) समय का महत्त्व

(i) भूमिका

(ii) समय के सदुपयोग से लाभ

(iii) समय के दुरुपयोग से हानि

(iv) निष्कर्ष

(ख) छात्र और अनुशासन

(i) भूमिका

(ii) अनुशासन का महत्त्व

(iii) अनुशासनहीनता से हानि

(iv) निष्कर्ष

(ग) गणतंत्र दिवस

(i) भूमिका

(ii) गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

(iii) गणतंत्र दिवस का महत्त्व

(iv) निष्कर्ष

(घ) स्वावलम्बन

(i) प्रारम्भ

(ii) महत्ता

(iii) उपसंहार

(ङ) सूखा ( अकाल )

(i) आरम्भ

(ii) सूखे का कारण

(iii) दुःस्थिति

(iv) उपसंहार

छात्र एवं अनुशासन/अनुशासन

भूमिका जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। अनुशासन भी एक प्रकार की विद्या है। अपनी दिनचर्या को, अपने बोल-चाल को, अपने रहन-सहन को, अपने सोच-विचार को, अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है।

छात्र जीवन में अनुशासन का महत्त्व विद्यार्थी के लिए अनुशासित होना परम् आवश्यक है। अनुशासन से विद्यार्थी को सब प्रकार का लाभ ही होता है। अनुशासन अर्थात् निश्चित व्यवस्था से समय और धन की बचत होती है। जिस छात्र ने अपनी दिनचर्या निश्चित कर ली है, उसका समय व्यर्थ नहीं जाता । वह अपने एक-एक क्षण का समुचित उपयोग उठाता है। वह समय पर मनोरंजन भी कर लेता है तथा अध्ययन भी पूरा कर पाता है। इसके विपरीत अनुशासनहीन छात्र आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालकर अपने लिए मुसीबत इकट्ठी कर लेता है।

अनुशासन हीनता के कारण आज भारत के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासनहीनता है। आज का विद्यार्थी साजशृंगार, सुख आराम की इच्छा रखता है। दूसरी बात माता-पिता द्वारा अच्छी तरह ध्यान नहीं देना, खराब संगत है।

सुधार के उपाय अनुशासन का गुण बचपन में ही ग्रहण किया जाना चाहिए । इसलिए इसका संबंध छात्र से है। विद्यालय की सारी व्यवस्था में अनुशासन और नियमों को लागू करने के पीछे यही बात है। यही कारण है कि अच्छे अनुशासित विद्यालयों के छात्र जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं। अनुशासन हमारी हौच-पौच जिंदगी को साफ तथा सुलझी हुई व्यवस्था देता है। इसके कारण हमारी शक्तियाँ केन्द्रित होती हैं। हमारा जीवन उद्देश्यपूर्ण बनता है तथा हम थोड़े समय में ही बहुत काम कर पाते हैं।

उपसंहार अनुशासन का अर्थ बंधन नहीं है। इसका अर्थ है-व्यवस्था । इसका अनुकरण करके जीवन में सफल हुआ जा सकता है।

4. अपने प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखें, जिसमें विद्यालय पुस्तकालय हेतु भीमराव अंबेदकर लिखित पुस्तक

मँगवाने का निवेदन किया गया हो । 1 × 5 = 5

अथवा

मद्य निषेध के परिणाम पर दो मित्रों के बीच के संवाद को लिखें ।

सेवा में,

  प्रधानाचार्य महोदय,

  सर गणेश दत्त उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पटना।

  विषय : विद्यालय पुस्तकालय हेतु भीमराव अंबेदकर लिखित पुस्तक मँगवाने के सम्बन्ध में।

महाशय,

  विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में 10 का छात्र हूँ। मैं हाजीपुर का निवासी हूँ। वहाँ से प्रतिदिन विद्यालय आना संभव नहीं है। अतः श्रीमान् से सविनय आग्रह है कि विद्यालय पुस्तकालय हेतु भीमराव अंबेदकर लिखित पुस्तक मँगवाने की कृपा करें। इस कृपा के लिए मैं श्रीमान् का सदैव आभारी रहूँगा।

  सधन्यवाद!

  तिथि –

       आपका आज्ञाकारी शिष्य

abc

कक्षा X (C)

अनुक्रमांक – 75

 

5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20- 30 शब्दों में 5 x 2 = 10

(i) ‘विष के दाँत’ शीर्षक पाठ में, सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद-भाव को लिखें ।

उत्तर- सेन साहब के घर में पाँच लड़कियाँ और एक लड़का है । कहने को सभी सेन साहब की सन्तान है। किन्तु, लड़कियों और लड़के के रहन-सहन, शिक्षा, लाड़-प्यार में लिंगजनित बहुत विषमताएँ हैं। लड़कियों को अलग तालीम-शिक्षा, बोलना-चलना सिखाया गया है। किन्तु, खोखा के लिए इन सबकी कोई सीमा नहीं। लड़कियाँ जोर से हँसती नहीं, किसी चीज को तोड़ती-फोड़ती नहीं, शाम का वक्त छोड़कर कभी खेलतीं भी नहीं, जबकि खोखा इन सबका अपवाद है। सेन साहब का कहना है कि वह इंजीनियर बनेगा, इसीलिए अभी से ठोक-ठाक करना जरूरी है। इस तरह, बच्चों के पालन-पोषण में लिंग-आधारित भेदभाव व्याप्त था।

(ii) भारत की ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक मैक्स मूलर ने महत्त्वपूर्ण बतलाया है ?

उत्तर अत्यन्त सरल राजनीतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से सम्बद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूप, उनके महत्त्व और विशिष्टता के ज्ञान पाने वालों के लिए लेखक ने ग्राम पंचायत को महत्त्वपूर्ण बताया है। भारत की ग्राम पंचायतों को लेखक ने स्थानीय स्वशासन के अर्थ में लिया है। यह ऐसी प्रणाली है जिसमें ग्रामीण अपना शासन खुद करते हैं।

(iii) लेखक गुणाकर मुले ने किन भारतीय लिपियों से देवनागरी का संबंध बताया है ?

उत्तर लेखक ने संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, बंगाली तथा ब्राह्मी लिपियों से देवनागरी का सम्बन्ध बताया है। नागरी या नंदिनागरी भी देवनागरी के समान है।

(iv) संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी ?

उत्तर- बिरजू महाराज का आवास दरियागंज में था। वहाँ से प्रतिदिन पाँच या नौ नं० की बस पकड़कर संगीत भारतीय जाना होता था। वहाँ प्रदर्शन का अवसर कम मिला, फिर भी हाजिर रहना पड़ता था।

(v) कवि रेनर मारिया रिल्के किसको कैसा सुख देते थे ? ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ शीर्षक कविता के आधार पर लिखें ।

उत्तर- कवि अपने कपोलों की नर्म शय्या पर विश्राम कर रही ईश्वर की कृपादृष्टि को सुख प्रदान करता था। वह उसे चट्टानों की ठंडी गोद में सूर्यास्त के रंगों में घुलने का सुख देता था ।

(vi) ‘अक्षर ज्ञान’ शीर्षक में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर माँ बेटा की ‘क’ कबूतर पढ़ाना-लिखना चाहता है। उसका ‘क’ पंक्तियों से नीचे उतर जाता है। कबूतर सीखने के क्रम में कबूतर की तरह इधर-उधर फुदकने लगता है। अर्थात् पढ़ने-लिखने के क्रम में उसका हाथ इधर-उधर चला जाता है। अक्षर-ज्ञान से वंचित बच्चा माँ के मनोभाव को जानता है न कि अक्षर को। माँ से प्रेरित होकर बच्चा अक्षर बोध करता है।

(vii) कवि वीरेन डंगवाल किन अत्याचारियों का और क्यों जिक्र करता है ?

उत्तर कवि उन अत्याचारियों का जिक्र करता है जो सुविधाभोगी, आराम पसंद जीवन जीने के लिए सुख-भोग के सारे साधनों का संग्रह करने के बावजूद अपनी शोषण-प्रवृत्ति का त्याग करना नहीं चाहते। कवि ने इन अत्याचारियों के माध्यम से देश के नेता, अधिकारी-पदाधिकारी आदि की ओर संकेत किया है कि ये भोली-भाली जनता की सज्जनता का नाजायज लाभ उठाते है। ये किसी भी प्रकार से धनार्जन करके एक-दूसरे से आगे निकलने के लिए व्यग्र रहते हैं। जनता अपनी जान देकर आर्थिक विकास में संलग्न रहती है और उच्च पद • पर बैठे सत्ताधारी गरीबों का हक डकारकर मौज मनाते है।

(viii) कवि प्रेमघन को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती ?

उत्तर- कवि को भारत में भारतीयता इसलिए नहीं दिखाई पड़ती, क्योंकि लोगों के आचार-विचार, खान-पान, वेश-भूषा, चाल-चलन आदि में महान् परिवर्तन हो गए है। लोग विदेशी रंग में रंगने के कारण अपनी सभ्यता-संस्कृति को भूल गए है। स्वदेशीपन का लोप हो गया है तथा अपने को भारतीय कहने में भी संकोच करने लगे। अंग्रेजी बोलना, अंग्रेज जैसा आचरण करना शान की बात मानते है। तात्पर्य कि पराधीनता के कारण भारतीय अपने पूर्वज के गौरव को भूल गए है, जिस कारण उनका स्वाभिमान मर गया है। उनमें भारतीयता के कोई भी लक्षण विद्यमान नहीं है। लोग चाटुकार, स्वार्थ तथा हीनभावना से ग्रस्त है। इसीलिए कवि को भारत में भारतीयता नहीं दिखाई देती।

(ix) रंगप्पा कौन था ?

उत्तर- रंगप्पा गाँव का जुआरी, लम्पट और आवारा लड़का था। वह धन के लोभ में दही बेचकर आते समय मंगम्पा के साथ छेड़छाड़ किया करता था और उससे पैसे भी झटक लेना चाहता था। इतना ही नहीं वह मंगम्मा को अनाथ समझकर उसकी इज्जत भी लूटना चाहता था।

(x) सीता की स्थिति बच्चों के किस खेल से मिलती-जुलती थी ?

उत्तर-सीता की स्थिति बच्चों के खेल ‘माई-माई रोटी दे’ वाले खेल से मिलती थी ।

6. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लिखें ।

(शब्द सीमा लगभग 100) :    1 x 5 = 5

(i) व्याख्या करें:

  “अगर बाल्टी भरी होती तो मछली उछलकर नीचे आ जाती ।“

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति विनोद कुमार शुक्ल द्वारा लिखित कहानी ‘मछली’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने उछलकर मछली के भागने के बारे में अपना अनुभव प्रकट किया है।

लेखक का कहना है कि एक बार छोटी-सी मछली हाथ से फिसलकर स्नानघर की नाली में चली गई थी। लाख प्रयास के बाद जब मछली नहीं मिली तो जहाँ घर की नाली बड़ी नाली से मिलती थी, वहाँ जाकर मछली पकड़ने का प्रयास किया। लेकिन, गंदे पानी की वजह से मछली दिखाई नहीं दी। तब दीदी ने बताया कि मछली इस नाली से शहर की बड़ी नाली में -चली जाएगी, फिर इससे मोहार नदी में चली जाएगी। इसी कारण लेखक कहता है कि यदि बाल्टी भरी होती तो मछली उछलकर पुनः भाग जाती और इस कारण उन्हें पिता का कोपभाजन होना पड़ता। गलती की पुनरावृत्ति न हो, इसलिए बाल्टी आधी खाली करके झोले की मछलियों को उसमें डाल दिया गया।

(ii) व्याख्या करें:

  “नानक लीन भयो गोविंद सो, ज्यों पानी संग पानी ।“

उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति गुरुनानक द्वारा लिखित द्वितीय पद से उद्धृत है। इसमें कवि ने अपने संबंध में कहा है कि वह ईश्वर के साथ उसी प्रकार एकाकार हो गया है, जैसे नदी का जल समुद्र में मिलकर एकाकार हो जाता है और नदी जल का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, वैसे ही राम के नाम-स्मरण के प्रभाव से उसकी आत्मा-परामात्मा में एकाकार हो गई है। अतः कवि का मानना है कि सत्य तो ब्रह्म ही है, संसार तो उसकी माया है। व्यक्ति जब इस माया से मुक्ति पाने के लिए संसार की नश्वरता को मानते हुए अपने-आपको ईश्वर भजन में लीन कर देता है, तब वह गोविन्द (ईश्वर) से समाहित हो जाता है। जिस प्रकार कवि स्वयं ईश्वर का भजन करके उनके दिव्य प्रकाश से आलोकित हो उठा। ‘ज्यों पानी संग पानी’ में यमक अलंकार है।

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