Social Science vvi Subjective Question 2022 | Bihar Board Social Science Viral Subjective Question 2022

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Matric Social Science vvi Subjective Question 2022

इतिहास  लघुउत्तरीय:-  

प्रश्न 1. 1848 ई० के फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर- लुई फिलिप एक उदारवादी शासक था किंतु वह बहुत ही महत्त्वाकांक्षी शासक था। उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए स्वर्णिम मध्यम वर्गीय नीति का अवलम्बन करते हुए 1840 ई० में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। वह किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था।

      लुई फिलिप ने पूँजीपति वर्ग को साथ रखना पसंद किया, जिसे शासन में कोई अभिरुचि नहीं थी और जो अल्पमत में भी था। उसके पास कोई भी सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था और न ही उसे विदेश नीति में ही किसी तरह की सफलता हासिल हो रही थी। उसके शासनकाल में भुखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त होने लगी, जिसके कारण 1848 ई० की क्रांति हुई।

प्रश्न 2. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-रूसी क्रांति के दो कारण निम्नलिखित थे :
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन- 1917 ई० से पूर्व रूस में निरंकुश जारशाही व्यवस्था कायम थी। राजतंत्र अपना विशेषाधिकार छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। जार निकोलस-II, जिसके शासनकाल में क्रांति हुई, राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास करता था। उसे आम लोगों की सुख-दुख की कतई चिंता नहीं थी। जार ने जो अफसरशाही व्यवस्था बनायी थी वह जड़ और अकुशल थी।

(ii) मजदूरों की दयनीय स्थिति- रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। उन्हें काम अधिक करना पड़ता था। उनकी मजदूरी काफी कम थी। उसके पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे। अतः वे तत्कालीन व्यवस्था से असंतुष्ट थे।

प्रश्न 3. हिंद-चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर-17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिंद-चीन पहुँच गए। 1747 ई० के बाद से फ्रांस अन्नान में रुचि लेने लगा। 1787 ई० में कोचीन-चीन के शासक के साथ संधि का मौका मिला। 19वीं शताब्दी में अन्नान, कोचीन-चीन में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आंदोलन हो रहे थे।

         फिर भी 1862 ई० में अन्नान को सैन्यबल पर संधि के लिए बाध्य किया गया। उसके अगले वर्ष कंबोडिया भी संरक्षण में ले लिया गया और 1783 ई० में तोंकिन में फ्रांसीसी सेना का प्रवेश हुआ । इसी तरह  20वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिंद-चीन फ्रांस की अधीनता में आ गया।

प्रश्न 4. गुटेनबर्ग ने मुद्रण यंत्र का विकास कैसे किया ?
उत्तर-गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान एवं अनुभव से टुकड़ों में बिखरी मुद्रण कला के ऐतिहासिक शोध को संगठित एवं एकत्रित किया तथा टाइपों के लिए पंच, मेट्रिक्स, मोल्ड आदि बनाने का योजनाबद्ध तरीके से कार्य आरंभ किया। ,मुद्रण टाइप बनाने हेतु उसने शीशा, टिन और बिस्मथ धातुओं से उचित मिश्रधातु बनाने का तरीका ढूँढा ।

       शीशे का प्रयोग सस्ता और स्याही के स्थानान्तरण की क्षमता के कारण किया गया। रांगा तथा टिन का उपयोग उसकी कठोरता एवं गलाने के गुणों के कारण किया गया । गुटेनबर्ग ने आवश्यकता के अनुसार मुद्रण स्याही भी बनाई और हैण्डप्रेस का प्रथम बार मुद्रण कार्य सम्पन्न करने में प्रयोग किया। इस हैण्डप्रेस में लकड़ी के चौकट में दो समतल भाग प्लेट एवं बेड-एक के नीचे दूसरा समानान्तर रूप से रखे गए थे।

      कम्पोज किया हुआ टाइप मैटर बेड पर कस दिया जाता था एवं उस पर स्याही लगाकर तथा कागज रखकर प्लेट द्वारा दबाकर मुद्रित किया जाता था। इस प्रकार एक सुस्पष्ट एवं शीघ्र कार्य करने
वाला गुटेनबर्ग का ऐतिहासिक मुद्रण शोध-1440 वें वर्ष में आरंभ हुआ ।

प्रश्न 5. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-दांडी यात्रा का उद्देश्य दांडी समुद्र तट पर पहुँचकर समुद्र के पानी से नमक बनाकर, नमक कानून का उल्लंघन कर, सरकार को बताना था कि नमक पर कर बढ़ाना अनुचित फैसला है । साथ ही, यह सरकार के खिलाफ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के शुरूआत का संकेत भी था ।

प्रश्न 6. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच किन्हीं दो भिन्नताओं का उल्लेख करें।
उत्तर- गाँव और शहर के बीच काफी भिन्नताएँ हैं। गाँव की आबादी कम होती है, नगर की ज्यादा । गाँव में खेती और पशुपालन मुख्य आजीविका है, शहर में व्यापार और उत्पादन । गाँव में प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ है, शहर में प्रदूषित । शिक्षा, यातायात, स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि में शहर अधिक उन्नत अवस्था में होते है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इन बुनियादी सुविधाओं-शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, संचार आदि का अभाव रहता है ।

               शहर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए अंतहीन संभावनाएँ प्रदान करता है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित संभावनाएँ होती हैं। शहरों में जहाँ भव्य अट्टालिकाएँ होती हैं, गाँवों में छोटे-छोटे मिट्टी तथा ईंटों के बने घर होते हैं। ग्रामीण जीवन में जहाँ सादगी व संतुष्टि देखने को मिलती है वहीं नगरीय जीवन में ज्यादा चमक-दमक (बनावटी) व भागदौड़ तथा अंतहीन आवश्यकताओं के प्रति ललक देखने को मिलती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 7. हिंद-चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें। (B.M.)
उत्तर-हिंद-चीन में फ्रांसीसी उपनिवेशवाद को समय-समय पर विद्रोहों का सामना तो आरंभिक दिनों से ही झेलना पड़ा था किंतु 20वीं शताब्दी के शुरू में यह और मुखर होने लगा। फान बोई चाऊ ने “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखकर हलचल पैदा कर दी। 1905 ई० में जापान द्वारा रूस को हराना हिंद-चीनियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया साथ ही रूसो एवं माण्टेस्क्यू जैसे विचारकों के विचार भी इन्हें उद्वेलित कर रहे थे। उसी समय एक दूसरे राष्ट्रवादी नेता फान चू त्रिन्ह हुए जिन्होंने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप को गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया ।

            जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्र उसी तरह के विचारों के समर्थक थे। सनयात सेन के नेतृत्व में चीन में सत्ता परिवर्तन ने उन्हें और बढ़ावा दिया। इन्हीं छात्रों में वियतनाम कुबान फुक होई (वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन) की स्थापना की।  हिंद-चीन में आरंभिक राष्ट्रवाद का विकास कोचीन-चीन अन्नाम, तोंकिन जैसे शहरों तक ही सीमित था किंतु प्रथम विश्व युद्ध के आरंभ होने पर उन्हीं प्रदेशों के हजारों लोगों को सेना में भर्ती किया गया तथा हजारों मजदूरों को बेगार के लिए फ्रांस ले जाया गया ।

           यहाँ के सैनिकों को युद्ध की प्रथम पंक्ति में रखा जाता था। अतः मारे जाने वालों में इनकी संख्या ज्यादा होती थी। इन सब बातों की प्रतिक्रिया हिंद-चीनी लोगों पर हुई थी। 1914 ई० में ही देशभक्तों ने “वियतनामी राष्ट्रवादी दल नामक संगठन बनाया जिसका प्रथम अधिवेशन कैण्टन में हुआ । जनता की हालत लगातार दयनीय होती जा रही थी। जनता ने इससे क्रुद्ध होकर 1919 ई० में चीनी बहिष्कार आंदोलन चलाया। हो-ची-मिन्ह 1930 ई० में वियतनाम में बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर वियतनाम कांग सान देंग’ अर्थात् वियतनाम कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की।

               1930 ई० के दशक की विश्वव्यापी मंदी ने भी राष्ट्रवाद के विकास में योगदान किया। चावल, रबर आदि के दाम गिर गए थे। हिंद-चीन में बेरोजगारी बढ़ती चली जा रही थी। इस स्थिति से परेशान किसान भी साम्यवाद को अपना रहे थे और राष्ट्रवाद आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा था। दूसरी तरफ फ्रांसीसी सरकार का दमनचक्र काफी तीव्र एवं क्रूर होता जा रहा था। इस दमनचक्र में हजारों लोग मारे गए।

                आंदोलन दब-सा गया किंतु यह सोये हुए ज्वालामुखी के समान था जो अंदर ही अंदर खौलता रहा और भूमिगत\ आंदोलन की शुरूआत हो गयी।

प्रश्न 8. भारत में मजदूर आंदोलन के विकास का वर्णन करें।
उत्तर- यूरोप में औद्योगीकरण और मार्क्सवादी विचारों के विकास का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ा और भारत में भी औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ मजदूर वर्ग में चेतना जागृत हुई। 20वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में में सुब्रह्मण्यम अय्यर ने मजदूरों के यूनियन के गठन की बात कही तो दूसरी ओर स्वदेशी आंदोलन का भी प्रभाव मजदूरों पर पड़ा । अहमदाबाद में मजदूरों  ने अपने अधिकार को लेकर आंदोलन तेज कर दिया। गांधीजी ने मजदूरों की माँग का समर्थन किया और मिल-मालिकों के साथ मध्यस्थता का प्रयास किया ।

          अतः उन्हीं के सुझाव पर बोनस पुनः बहाल किया गया और इसकी दर 35 प्रतिशत निर्धारित की गई। 1917 ई० की रूसी क्रांति का प्रभाव मजदूर वर्ग पर भी पड़ा। 31 अक्टूबर, 1920 ई० को कांग्रेस पार्टी ने ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की । सी. आर. दास ने सुझाव दिया कि कांग्रेस ने द्वारा किसानों एवं श्रमिकों को राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल किया जाए और उनकी मांगों का समर्थन किया जाए।

           कालांतर में वामपंथी विचारों की लोकप्रियता ने मजदूर आंदोलन को और अधिक सशक्त बनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार की चिंता और अधिक बढ़ गयी। मजदूरों के खिलाफ दमनकारी उपाय भी किए गए। 1931 ई० में ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस का विभाजन हो गया। इसके बाद भी राष्ट्रीय आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस आदि नेताओं द्वारा समाजवादी विचारों के प्रभावाधीन मजदूरों का समर्थन जारी रहा ।

 

राजनीति विज्ञान
लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 9. जाति और नस्ल में क्या अंतर है?
उत्तर-जाति और नस्ल समान नहीं हैं क्योंकि जाति का आधार सामाजिक होता है और नस्ल का आधार जीवशास्त्रीय है। किंतु नस्ल विशुद्ध रूप से जीवशास्त्रीय नहीं है। यह जाति की तरह ही काफी हद तक समाजशास्त्रीय और वैधानिक वर्गीकरण है, जो लोकतांत्रिक देश के लिए विध्वंसकारी तत्त्व है।

प्रश्न 10. लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ? भारत में किस तरह का लोकतंत्र है?
उत्तर-लोकतंत्र का अर्थ ‘जनता का शासन’ होता है । लोकतंत्र का अँगरेजी शब्द ‘डेमोक्रेसी’ दो यूनानी शब्दों से बना है-‘डेमोस’ और ‘क्रेशिया’, जिनका अर्थ क्रमशः ‘जनता’ और ‘शासन’ है । स्पष्ट है कि व्युत्पत्ति की दृष्टि से लोकतंत्र का अर्थ ‘जनता का शासन’ हुआ । लोकतंत्र में जनता स्वयं अथवा अपने प्रतिनिधियों द्वारा शासन में भाग लेती है ।

         लोकतंत्र की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं । उन परिभाषाओं में अब्राहम लिंकन की परिभाषा अत्यंत लोकप्रिय हुई । लिंकन के अनुसार, “लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है ।” लोकतंत्र के दो प्रकार हैं-प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष । भारत में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है।

प्रश्न 11. परिवारवाद क्या है ?
उत्तर-हाल के दशकों में यह परम्परा बनी कि जिस प्रतिनिधि के निधन या इस्तीफे के कारण कोई सीट खाली हुई उसके ही किसी परिजन को चुनाव में टिकट दे दिया जाए। इस प्रकार परिवारवाद आज भी लोकतंत्र की एक
गंभीर समस्या है

प्रश्न 12. ताड़ी विरोधी आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर-दक्षिण राज्य आन्ध्रप्रदेश में ताड़ी विरोधी आंदोलन वहाँ की महिलाओं का स्वतः स्फूर्त आंदोलन था। इस आंदोलन के जरिए महिलाएँ अपने आस-पड़ोस में मदिरा की बिक्री पर पाबंदी की माँग कर रही थी। वर्ष 1992 ई० के सितम्बर-अक्टूबर माह में वहाँ की ग्रामीण महिलाएँ शराब के विरुद्ध आंदोलन छेड़कर अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार करना
चाहती थीं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 13. बिहार में पंचायती राज व्यवस्था के स्वरूप पर प्रकाश डालें।

उत्तर-बिहार में पंचायती राज व्यवस्था का त्रिस्तरीय ढाँचा लागू है जो निम्नांकित है :

(i) ग्राम पंचायत-बिहार में ग्राम पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों की स्वायत्त संस्थाओं में सबसे नीचे का स्तर है लेकिन इसका स्थान सबसे महत्त्वपूर्ण होता है। राज्य सरकार 7000 की औसत आबादी को ग्राम पंचायतों की स्थापना का आधार मानती है। ग्राम पंचायतों का प्रधान मुखिया होता है और उसकी सहायता के लिए एक उपमुखिया का पद सृजित किया गया है। हर पंचायत में सरकार की ओर से एक पंचायत सेवक नियुक्त होते हैं जो सचिव की भूमिका निभाते हैं।

(ii) पंचायत समिति-पंचायती राज व्यवस्था का यह दूसरा या मध्य स्तर है । वास्तव में यह ग्राम पंचायत और जिला परिषद के बीच की कड़ी है। बिहार में 5000 की आबादी पर पंचायत समिति के एक सदस्य को चुनने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त पंचायत समिति के क्षेत्र के अंदर आने वाली समिति के प्रमुख का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। पंचायत समिति का प्रधान अधिकारी प्रमुख होता है । वह पंचायत समिति के कार्यों की देखभाल करता है और प्रमुख ही विकास पदाधिकारी पर नियंत्रण रखता है।

(ii) जिला परिषद-बिहार में पंचायती राज का यह तीसरा स्तर है। 50000 की आबादी पर जिला परिषद का एक सदस्य चुना जाता है। जिला परिषद के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत जिला के सभी पंचायत समितियाँ आती हैं। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। जिले के सभी पंचायत समितियों के प्रमुख इसके सदस्य होते हैं प्रत्येक जिला परिषद का एक अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष होता है।

प्रश्न 14. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर-लोकतंत्र किस प्रकार लोगों के प्रति उत्तरदायी है और किस हद तक वैध है इसकी जाँच के लिए निम्न तथ्यों को देखा जा सकता है :

(i) क्या लोकतंत्र में लोगों को चुनावों में भाग लेने और अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार है ?

(ii) क्या चुनी हुई सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में प्रभावी हो पाती है?

(iii) क्या सरकार द्वारा फैसले शीघ्र लिए जाते हैं और फैसले कितने जनकल्याणकारी होते हैं?
उपर्युक्त सवालों के संदर्भ में लोकतंत्र का यदि मूल्यांकन करें तो हम देखते हैं कि लोग चुनावों में भाग लेते हैं। अपने प्रतिनिधियों को चुनने का कार्य करते हैं किंतु यह देखा जाता है कि आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से मजबूत लोगों का दबदबा रहता है।

          बावजूद इसके कि जनता में जागरूकता की वृद्धि एवं व्यापक प्रतिरोध से लगातार सुधार की संभावना बनी रहती है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण आज लोग अपने मताधिकार का बढ़-चढ़कर उपयोग कर रहे हैं। यों भारतीय लोकतंत्र के ढाँचागत स्वरूप में कोई बुनियादी परिवर्तन नहीं हुआ है किंतु लोगों की लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ी है।

         आज लोग सिर्फ मताधिकार का ही प्रयोग नहीं कर रहे हैं  सरकार की निर्णय प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं। यही कारण है कि सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनना पड़ता है क्योंकि इससे जनता द्वारा नकारने का खतरा बरकरार रहता है लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव नियमित होते रहते हैं। सरकार जब कानून बनाती है तो उस पर जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ आम जनता के बीच भी खुलकर चर्चाएँ होती हैं।

     इस प्रकार लोकतांत्रिक व्यवस्था थोड़ी बहुत कमियों के बावजूद एक सर्वोत्तम शासन व्यवस्था है। गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था से तुलना के पश्चात् कोई संदेह नहीं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था एक उत्तरदायी एवं वैध शासन व्यवस्था है।

अर्थशास्त्र
लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 15. पीगू के द्वारा दी गई राष्ट्रीय आय की परिभाषा लिखें।
उत्तर-पीगू ने राष्ट्रीय आय को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है-“राष्ट्रीय लाभांश किसी समाज की वस्तुनिष्ठ अथवा भौतिक आय का वह भाग है जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित होती है और जिसे मुद्रा के रूप में माप हो सकती है।”

प्रश्न 16. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है ?
उत्तर-वस्तु विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहा जाता है जिसमें एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान होता है। दूसरे शब्दों में “किसी एक वस्तु का किसी दूसरी वस्तु के साथ बिना मुद्रा के प्रत्यक्ष रूप से लेन-देन वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाती है।”

         (The act of directexchange of one commodity for another without the mediation of money is known as Barter system) उदाहरणीय, गेहूँ से चावल बदलना, सब्जी से तेल बदलना आदि ।

प्रश्न 17. विश्व व्यापार संगठन क्या है? यह कब और क्यों स्थापित किया गया?
उत्तर-विश्व व्यापार संगठन एक ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है। इसकी स्थापना 1995 ई० में की गई थी। भारत इसका संस्थापक सदस्य रहा है। वर्तमान में 164 देश विश्व व्यापार संगठन (2006 ई०) के सदस्य हैं। इसका मुख्यालय जेनेवा में है।

           विश्व व्यापार संगठन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है और देखता है कि इन नियमों का पालन हो । विश्व व्यापार संगठन सभी देशों को मुक्त व्यापार की सुविधा देता है।

प्रश्न 18. उपभोक्ता कौन है ? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर-व्यक्ति जब वस्तुएँ एवं सेवाएँ अपने प्रयोग के लिए खरीदता है तब वह उपभोक्ता कहलाता है। खरीददार की अनुमति से ऐसी वस्तुओं और सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है। उपभोक्ता को बाजार का राजा माना जाता है।

           यदि उपभोक्ता नहीं रहे तो उत्पादित वस्तुओं की माँग करने वाला ही नहीं होगा। उत्पादन की समस्त क्रियाएँ उपभोक्ता के द्वारा ही संचालित होती हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 19. आर्थिक विकास की माप कुछ सूचकांक के द्वारा करें।
उत्तर-आर्थिक विकास की माप एवं सूचकांक निम्नलिखित हैं :

(i) राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय को आर्थिक विकास का एक प्रमुख सूचक माना जाता है। किसी देश में एक वर्ष की अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है सामान्य तौर पर जिस देश का राष्ट्रीय आय अधिक होता है वह देश विकसित कहलाता है और जिस देश का राष्ट्रीय आय कम होता है वह देश अविकसित
कहलाता है।

(ii) प्रति व्यक्ति आय-आर्थिक विकास की माप करने के लिए प्रतिव्यक्ति आय को सबसे उचित सूचकांक माना जाता है। प्रति व्यक्ति आय देश में रह रहे सभी व्यक्तियों की औसत आय होती है। राष्ट्रीय आय को देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, वह प्रति व्यक्ति आय कहलाता है।

(iii) मानव विकास सूचकांक-किसी भी देश का मानव विकास सूचकांक—(i) जीवन प्रत्याशा (ii) शिक्षा प्राप्ति तथा (iii) जीवन स्तर के द्वारा निर्धारित होता है। अर्थात HDI तीन सूचकों का औसत है। पैमाने पर सभी देशों की HDI दर शून्य से एक होती है। विकसित देशों की सूचकांक दर ऊँची होती है जबकि अविकसित देशों की सूचकांक दर (HDI) नीची होती है। नार्वे का HDI 0.965 है जबकि भारत का HDI 0.611

(iv) उपभोक्ता व्यय-उपभोक्ता व्यय को आर्थिक विकास का सूचक मानते हुए अपने देश की पहली राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट में यह बताया गया है कि विगत कुछ वर्षों में देश की ग्रामीण जनता की व्यय क्षमता में कमी आयी है जबकि शहरी क्षेत्र में इसमें काफी वृद्धि हुई है।

प्रश्न 20. बैंकों की ऋण संबंधी गतिविधियों का वर्णन करें ।
उत्तर- (i) बैंक जमा रकम का एक छोटा हिस्सा अपने पास नकद के रूप में रखते हैं । उदाहरण के लिए आजकल भारत में बैंक जमा का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा नकद के रूप में अपने पास रखते हैं । इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए यह प्रावधान किया जाता है ।

         चूंकि किसी एक विशेष दिन में, केवल कुछ जमाकर्ता ही नकद निकालने के लिए आते हैं, इसलिए बैंक का काम इतने नकद से आराम से चल जाता है।
(ii) बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते हैं । विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण की बहुत माँग रहती है । बैंक जमा राशि का लोगों की ऋण-आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

(iii) इस तरह बैंक जिनके पास अतिरिक्त राशि है (जमाकर्ता) एवं जिन्हें राशि की जरूरत है (कर्जदार) के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं ।

(iv) बैंक जमा राशि पर जो ब्याज देते हैं, उससे ज्यादा ब्याज ऋण पर लेते हैं । कर्जदारों से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है ।

भूगोल
लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 21. संसाधन संरक्षण की अनिवार्यता पर प्रकाश डालें।
उत्तर-विकास कार्यों के लिए मानव ने संसाधनों का अविवेकपूर्ण एवं\ अतिउपयोग किया है । परिणामस्वरूप कई सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय समस्याएँ उभरती जा रही हैं । यही नहीं, कई संसाधन समाप्ति के कगार पर भी पहुँच चुके हैं । जबकि, मानवीय विकास की गति अभी जारी है ।

        साथ ही, संसाधनों के अविवेकपूर्ण उपयोग से पर्यावरणीय समस्याएँ भी उभरती जा रही हैं, जिससे मानवीय जीवन एवं अस्तित्व ही संकट में पड़ता जा रहा है । अतः, सतत पोषणीय विकास के लिए यह आवश्यक है

           कि संसाधन संरक्षण पर जोर दिया जाए । संसाधन संरक्षण पर भूतकाल से ही कई नेताओं और चिंतकों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। इनमें महात्मा गाँधी का नाम उल्लेखनीय है ।

प्रश्न 22. वन और वन्य-जीवों के संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-भारतीय परम्परा का वन और वन्य-जीवों के साथ अभिन्नसम्बन्ध रहा है। पौराणिक ग्रन्थों, कर्मकाण्डों में वनों और प्राणियों को काफी महत्त्व दिया गया है। धार्मिक अनुष्ठानों में लगभग एक सौ पौधों की प्रजातियों का प्रयोग हमारे रीति-रिवाजों में वनों की महत्ता को ही बताता है।

          सम्राट अशोक ने तो वन्य जीव-जन्तुओं के शिकार पर रोक लगा दिया था। बाबर और जहांगीर के आलेखों में भी प्रकृति संरक्षण का उल्लेख मिलता है । मुगल चित्रकला में वन एवं वन्य-प्राणियों से प्रेम का सम्प्रेषण मिलता है।

प्रश्न 23. मैंगनीज के उपयोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-मैंगनीज एक अत्यंत उपयोगी खनिज पदार्थ है। इस्पात निर्माण सहित अनेक मिश्र-धातु निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त सूखा-सेल बनाने में, फोटोग्राफी में, चमड़ा एवं माचिस उद्योग सहित रंग-रोगन को तैयार करने में यह उपयोगी है।

प्रश्न 24. वायु परिवहन की प्रमुख विशेषताओं को लिखें ।
उत्तर-वायु परिवहन की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) यह सबसे महंगा परिवहन का साधन है ।
(ii) इसके द्वारा तीव्रतम यात्रा संभव है ।
(iii) इसके द्वारा आरामदायक यात्रा का लुफ्त मिलता है ।
(iv) इस परिवहन में ट्रैफिक जाम की समस्या नहीं होती है ।
(v) अन्य देशों में जाने के लिए दुर्गम स्थान एवं समुद्र की बाध्यता आड़े नहीं आती है।

प्रश्न 25. बिहार में दलहन के उत्पादन एवं वितरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-बिहार में दलहन के फसलों में चना, मसूर, खेसारी, मटर, मूंग, अरहर, उरद तथा कुरथी प्रमुख हैं। इनमें अरहर एवं मूंग खरीफ दलहन हैं। जबकि शेष सभी रबी दलहन हैं। 2006-07 के आँकड़ा के हिसाब से यहाँ रबी दलहन की खेती 519.6 हजार हेक्टेयर भूमि पर किया गया, जिससे 372 हजार मेट्रिक टन दलहन उत्पादित हुआ।

            जबकि खरीफ दलहन की खेती 87.26 हजार हेक्टेयर में किया गया और इससे 74 हजार मैट्रिक टन दलहन का उत्पादन हुआ। दलहन के उत्पादक जिलों में पटना, औरंगाबाद, कैमूर प्रमुख हैं

प्रश्न 26. बिहार की जनसंख्या सभी जगह एक समान नहीं है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-बिहार राज्य की जनसंख्या एक समान नहीं है। जनसंख्या वितरण पर राज्य की धरातलीय उच्चावच का प्रभाव पड़ता है। बिहार के मैदानी क्षेत्रों में जहाँ कृषि, सिंचाई, उपजाऊ मृदा एवं नगरीकरण का प्रभाव अधिक है वहाँ जनसंख्या अत्यंत ही घनी है

        जबकि पहाड़ी, उर्वरक मृदा का अभाव, सिंचाई में कमी इत्यादि के कारण जनसंख्या विरल पायी जाती है। पटना, दरभंगा, गया, मुजफ्फरपुर जिलों में जनसंख्या सघन है जबकि पश्चिमी चम्पारण, बाँका, कैमूर जिलों में जनसंख्या विरल है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 27. सड़क परिवहन रेल परिवहन से अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर- (i) सड़कों के लिए रेलवे की अपेक्षा पूँजी निवेश की आवश्यकता कम होती है।
(ii) इनका निर्माण बहुत ऊँचे स्थानों या किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
(iii) सड़क परिवहन सुविधाजनक तथा साधारण व्यक्ति की पहुँच के अंदर होता है तथा 24 घंटे उपलब्ध होता है ।
(iv) इसकी देखभाल की लागत कम आती है ।
(v) इसके माध्यम से ही कृषि का विकास होता है ।
(vi) सड़क परिवहन में वैयक्तिक सेवा प्रदान करने का विशेष गुण होता है।
(vii) सड़कें शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं, जैसे दूध और सब्जियों आदि को विभिन्न क्षेत्रों में ढोने की सुविधा प्रदान करती हैं । इससे उत्पादन में बढ़ोतरी । होती है तथा साथ ही किसानों का ज्ञान भी बढ़ता है जिन्हें उपयोगी तकनीक प्रदान की जाती है।

प्रश्न 28.भारत में उद्योगों के विकेन्द्रीकरण के लाभों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-प्रत्येक कल्याणकारी सरकार का यह कर्त्तव्य है कि वह जनता को उचित मूल्य पर उचित गुणवत्ता की वस्तुएँ उपलब्ध करवाए । इसके लिए उद्योगों का विकेन्द्रीकरण बहुत आवश्यक है । संक्षेप में, उद्योगों के विकेन्द्रीकरण
के लाभों का वर्णन इस प्रकार

(i) उद्योगों का विकेन्द्रीकरण विभिन्न उद्योगों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म देता है । इसके कारण उद्योगपति अपने उत्पादों का उचित मूल्य निर्धारित करते हैं और उसकी गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हैं ।

(ii) उद्योगों के विकेन्द्रीकरण से रोजगार के अवसर बढ़ते हैं । इसमें बेरोजगारी की समस्या नियंत्रित रहती है ।

(iii) उद्योगों के विकेन्द्रीकरण में सरकार पर कार्य का बोझ कम होता है और वह प्रशासनिक और कल्याणकारी
कार्यों की ओर उचित ध्यान दे पाती है ।

(iv) उद्योगों का विकेन्द्रीकरण अप्रत्यक्ष रूप से वैज्ञानिक उन्नति को भी बढ़ावा देता है । प्रत्येक उद्योगपति यह चाहता है कि उसका उत्पाद दूसरे उत्पादों की अपेक्षा उत्तम हो । इसके लिए यह वैज्ञानिक अनुसंधानों और प्रौद्योगिकी शिक्षा को प्रोत्साहित करता है।

आपदा प्रबंधन
लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 29. आपदा कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-आपदा दो प्रकार की होती हैं
(a) प्राकृतिक आपदा
(b) मानव निर्मित आपदा ।
(a) प्राकृतिक आपदा, जैसे-भूकंप, बाढ़, सूखा, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी आदि ।
(b) मानव निर्मित आपदा, जैसे-सड़क दुर्घटना, रेल दुर्घटना, आग लगना, आतंकवाद, युद्ध ।

प्रश्न 30. सुनामी से बचाव के कोई तीन उपाय बताइए।
उत्तर-सुनामी से बचाव हेतु तीन उपाय निम्नलिखित हैं :
(a) समुद्र तटीय क्षेत्रों के समीप मैंग्रोव वनस्पति को लगाने का कार्य किया जाना चाहिए।
(b) तटीय क्षेत्रों के समीप रहने वाले लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए                                                                 (c) समुद्र के नजदीक कंक्रीट तटबंधों का निर्माण किया जाए।

प्रश्न 31. भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन की चर्चा संक्षेप में कीजिए।
उत्तर- भूकंप एवं सुनामी की स्थिति में आकस्मिक प्रबंधन अत्यंत ही आवश्यक है। सर्वप्रथम भूकंप या सुनामी से प्रभावित लोगों को राहत कैम्प में ले जाना तत्पश्चात् मलबों दबे हुए लोगों को निकालना तथा मृत जीव-जंतुओं को धार्मिक संस्कारों के अनुसार दफनाना या जलाना । राहत कैम्प में रहने वाले लोगों के लिए भोजन, पेयजल, दवा इत्यादि की व्यवस्था आकस्मिक प्रबंधन के अंतर्गत सम्मिलित हैं।

प्रश्न 32. सुनामी सम्भावित क्षेत्रों में गृह निर्माण पर अपना विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर-सुनामी सम्भावित क्षेत्रों में गृह निर्माण तट से दूर किया जाना चाहिए जो 100 मीटर की दूरी पर हो । गृह निर्माण का कार्य समतल भागों की अपेक्षा सामान्यतः ऊँचे भागों पर किया जाना चाहिए तथा मकान निर्माण

 S.N Bihar Board Class 10th Model Paper 2022
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