भारत से हम क्या सीखें (मैक्समूलर)
लेखक-परिचय–विश्वविख्यात विद्वान फ्रेड्रिक मैक्समूलर का जन्म आधुनिक जर्मनी के डेसाउ नामक नगर में सन् 1823 में हुआ था इनके पिता का नाम विल्हेल्म मूलर था। जब मूलर चार वर्ष के थे, तभी इनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के कारण घर की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई, लेकिन मैक्समूलर की शिक्षा-दीक्षा में कोई रोड़ा नहीं अटका । मूलर बाल्यावस्था में ही संगीत के अतिरिक्त ग्रीक और लैटिन भाषा में दक्षता हासिल कर ली तथा लैटिन में कविताएँ लिखने लगे। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने संस्कृत का अध्ययन आरंभ किया। इनका निधन 1900 ई. में हुआ।
प्रश्न 1. “सम्पूर्ण भूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है।” लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर– सम्पूर्ण भूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है, लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि यही वह देश है जहाँ सर्वप्रथम वेद की रचना हुई थी। यहीं पर हिमालय जैसा हिममंडित पर्वत है, गंगा जैसी पवित्र नदियाँ है तो फल-फूलो से लदे वन प्रांत है। मानव-मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्जियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार इसी देश में हुआ। ‘प्लेटो’ तथा ‘काण्ट’ जैसे दार्शनिकों का अध्ययन एवं मनन का क्षेत्र भारत ही था। विश्व को मानवता की शिक्षा भारत से ही मिली । भारत ही भूतल पर स्वर्ग जैसा सुन्दर, सर्वविद् सम्पन्न रहा है। लेखक के कहने का तात्पर्य । कि भारत ने ही विश्व को ज्ञान-विज्ञान, सभ्यता संस्कृति, धर्म-परंपरा आदि की शिक्षा दी।
प्रश्न 2.लेखककी दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों?
उत्तर- लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में हो सकते है, क्योंकि गाँवा में ही भारत की आत्मा निवास करती है, जहाँ कलकत्ता, बम्बई, मद्रास तथा अन्य शहरा जैसी बनावटी चमक दमक नहीं मिलती, बल्कि वहाँ जीवन की सादगी, त्याग, प्रेम, उत्कृष्टतम पारस्परिक संबंध आदि देखने को मिलते है।
प्रश्न 3. भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों?
उत्तर –भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता यूरोपियन लोगा के लिए वांछनीय है, क्योंकि भारत दो तीन हजार वर्ष पूर्व जिन प्राचीन समस्याओं से प्रश्न था, आज का भारत भी ऐसी ही अनेक समस्याओं से ग्रस्त है जिनका समाधान उनीसवी सदी के हम यूरोपियन लोगो के लिए उस भारत को पहचान करने की जरूरत है, ताकि उसका विकास तथा पोषण सही ढंग से किया जा सके।
प्रश्न 4. लेखक ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरूचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है?
उत्तर-लेखक ने वैसे लोगों के संबंध में कहा है जो भू-विज्ञान, वनस्पति-जगत, पुरातच दैवत्व-विज्ञान, नीति शास्त्र, धर्म आदि में रूचि रखते हैं, उनके लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक है, क्योंकि भू-वैज्ञानिकों के लिए हिमालय से श्रीलंका तक का विशाल भू- प्रदेश है तो वनस्पति-वैज्ञानिकों के लिए भारत एक ऐसी फुलवारी है जो हकर्स जैसे अनेक वनस्पति वैज्ञानिकों को अनायास ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेती है। इसी प्रकार जिसकी अभिरूचि जीव-जन्तुओं के प्रति है, उन्हें भारतीय समुद्रतट पर हेकल की भाँति निवास करना होगा तथा पुरातत्व प्रेमी को जनरल कनिंघम की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट का अध्ययन करना होगा और बौद्ध समाटों द्वारा निर्मित (नालंदा जैसे) विश्वविद्यालयों अथवा विहारों के ध्वंसावशेषों को खोदना होगा, तभी भारत की विशेषताओं की सच्ची जानकारी मिल सकेगी। तात्पर्य यह कि भारत के विशेष-क्षेत्रों की जानकारी रखने वालो को भारत में निवास करना होगा, तभी इन विशेष-क्षेत्रों को विशेषताओं का पता चलेगा
प्रश्न 8. भारत की ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्त्वपूर्ण बतलाया है? स्पष्ट करें।
उत्तर – भारत की ग्राम पंचायतों को लेखक ने स्थानीय स्द-शासन के अर्थ में लिया है। यह ऐसी प्रणाली है जिसमें ग्रामीण अपना शासन खुद करते हैं। इसमें किसी बाहरी व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं होता। सारे गाँववासी अपनी समस्या के समाधान के लिए मिल- बैठकर निर्णय लेते हैं। ऐसी व्यवस्था उन व्यक्तियों के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण है जो राजनीतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से संबद्ध प्राचीन युग के कानून रूपों के महत्त्व तथा वैशिष्ठ्य को परोकने की क्षमता प्राप्त करना चाहते हैं।