ढहते विश्वास Hindi Class 10th Subjective Question 2022 | Bihar Board Class 10th Hindi Subjective Question 2022 |

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 ढहते विश्वास (सातकोड़ी होता)

लेखक-परिचय– उड़िया भाषा के प्रमुख कथाकार सातकोड़ी होता का जन् उड़ीसा प्रांत के मयूरभंज नामक स्थान में 1929 ई. को हुआ था। शिक्षा समाप्ति । बाद इन्होंने सर्वप्रथम भुवनेश्वर में भारतीय रेल यातायात सेवा के अन्तर्गत रेत समन्वय आयुक्त पद पर नियुक्त हुए  इसके बाद उड़ीसा सरकार के वाणिज्य एक यातायात विभाग में विशेष सचिव तथा उड़ीसा राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया। होता जी की अबतक दर्जन भर पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी कहानिय में उड़ीसा का जीवन गहरी आंतरिकता के साथ प्रकट हुआ है। प्रस्तुत कहानी ‘ढहते विश्वास’ राजेन्द्र प्रसाद मिश्र द्वारा संपादित एवं अनूदित है जो ‘उड़िया की चर्चित कहानियाँ’ (विभूति प्रकाशन, दिल्ली) से साभार संकलित है।

  प्रश्न 1.लक्ष्मीकौन थीउसकी पारिवारिक परिस्थिति का चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर-लक्ष्मी अति सामान्य परिवार की महिला थी जो इस कहानी की नायिका है  उसका पति कलकत्ता में नौकरी करके पत्नी लक्ष्मी को जो कुछ भेजता है, उससे गुजारा न होने की वजह से वह तहसीलदार साहब के घर का छिटपुट काम करके अपनी जरूरतें पूरी करती है। उसे दो पुत्र तथा दो पुत्रियाँ हैं। पूर्वजों द्वारा अर्जित एक बीघा जमीन है जो बाढ़ एवं सूखा के कारण बोझा साबित होती है। तूफान में घर टूट जाता है, जिसे उधार-कर्ज माँगकर किसी तरह कुछ बाँस बाँध-बूंधकर उस पर पुआल डालकर वर्षा, धूप आदि से अपनी रक्षा करती है। लक्ष्मी की आर्थिक स्थिति अति दयनीय है।

प्रश्न 2.कहानीके आधार पर प्रमाणित करें कि उड़ीसा का जनजीवन बाढ़ और सूखा से काफी प्रभावित रहा है।

उत्तर–प्रस्तुत कहानी में उड़ीसा के जन-जीवन का जीवंत चित्रण किया गया है।यह क्षेत्र कभी सूखा तो कभी बाढ़ की चपेट से प्रभावित रहता है। लगातार वर्षा के कारण लोग बाढ़ के भय से त्रस्त हो जाते हैं। इससे पहले सूखा पड़ने के कारण अंकुर जल जाते हैं और कहीं-कहीं धान के हरे-हरे कोमल पौधे धूप में सूखकर नष्ट हो जाते हैं। लगातार वर्षा के कारण नदियों का जल किनारों को लाँधकर खेतों- खलिहानों में फैल जाता है। देबी नदी के बाँध के नीचे लक्ष्मी का घर है। दलेइ बाँध बराबर टूट जाता है जिस कारण लोगों के जाल-माल का काफी नुकसान होता है। लोग दाने-दाने को तरसने लगते हैं। तुरई के फूल की तरह खिलखिलाकर हँसते लोग बाढ़ के कारण बेदम हो जाते हैं। इसीलिए लक्ष्मी अपनी हार्दिक व्यथा प्रकट करती हुई कहती है- “विपत्ति अकेले न आकर संगी साथियों के साथ आती है।” पहले तूफान, फिर सूखा और उसके बाद बाढ़, इस दशा में भी मनुष्य विधि के विधान को स्वीकार करने के लिए मजबूर रहता है। महानदी की बाढ़ ने लोगों की हँसी-खुशी की दुनिया को रेतीला बना दिया है। लोग बराबर इन आपदाओं का सामना करते हुए जंगली भैंसे की तरह अपनी अभिलाषा की पूर्ति में प्रयत्नशील रहते हैं, लेकिन विधि को इनकी खुशी मंजूर हो तब न ।

प्रश्न 3. कहानी में आई बाढ़ के दृश्यों का चित्रण अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।

उत्तर-कहानी में दो बार आई बाढ़ के दृश्यों का वर्णन किया गया है। लक्ष्मी जब पहले पहल ससुराल आई थी तो दलेइ बाँध के टूटते ही चारों ओर बाढ़ के पानी के साथ मनुष्य का हाहाकार मिलकर एकाकार हो गया था। तुरई के फूल की तरह खिल-खिलाकर हँसते लोग सहसा मुरझा गए। लोगों की आवाज, उनके शब्द, आनंद, कोलाहल सब रेत में दफन हो गए। उस दर्दनाक दृश्य को भुला भी न पाई थी कि पुनः बाढ़ का भय छा गया। पड़ोस का ही गुणनिधि नाम का लड़का कटक से लौटा है, वह घर-घर जाकर लोगों को सावधान करता है। गाँव के लड़कों को संगठित करके स्वेच्छासेवक दल का गठन करता है तथा दिन-रात बाँध की रखवाली करता है। कमजोर स्थानों पर रेत की बोरियाँ, पत्थर आदि डालता है। किन्तु पानी की तेज धारा देख पूरे गाँव में हलचल मच गयी। आत्मरक्षार्थ लोग ऊँची जगह पर जाने लगे । बाँध टूट गया और पानी की धारा गाँव की ओर बढ़ने लगी। लक्ष्मी दोनों लड़कियों तथा छोटे लड़के को साथ लेकर टीले की ओर जाने लगी, किन्तु नदी की पागल धारा में ताड़ के पेड़ का नामोनिशान मिट गया। शिव मंदिर तक पहुँचते- पहुँचते गले भर पानी बढ़ने के कारण लक्ष्मी बरगद पर चढ़ जाती है तथा साड़ी खोलकर अपनी कमर को पेड़ की डाल से बाँध लेती है। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था । मनुष्य, पशु तथा पेड़ पानी की तेजधारा में बह रहे थे। टीले पर इतनी भीड़ थी कि कोई एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा नहीं सकता था। गाँवों के लोग इसप्रकार खड़े थे कि सरसों तक डालने की जगह नहीं थी। तात्पर्य यह कि बाढ़ की स्थिति इतनी भयावह थी कि कोई किसी की आवाज सुनने वाला नहीं था।

प्रश्न 4. कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें।

उत्तर– प्रस्तुत कहानी ‘ढहते विश्वास’ समस्या प्रधान कहानी है। इसमें बाढ़ के माध्यम से लोगों के विश्वास की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है। बार-बार की प्राकृतिक आपदा से लोग निराश एवं हताश होने लगता है  कहानीकार ने इसी निराशा तथा अविश्वास को साबित करने के लिए कहानी का शीर्षक ‘ढहते विश्वास’ रखा है। विपत्ति को सहते-सहते लोगों का विश्वास बाढ़, तूफान तथा सूखा के साथ नष्ट हो गया है। इन्हें किसी पर भरोसा नहीं रह गया है। देवी-देवताओं पर से विश्वास उठने लगा है। सृष्टि के आरंभ में लोगों को दिए हुए वायदे खोखली आवाजों में तब्दील हो गए हैं। किसी पर बार-बार विश्वास करके इंसान ठगा जा चुका है। इस प्रकार की स्थिति देखने के कारण ही कहानीकार ने कहानी का नाम ‘ढहते विश्वास’ रखा है जो परिस्थिति के अनुकूल है। कहानी सहजता से अपने उद्देश्य की प्राप्ति कर लेती है।

प्रश्न 5. लक्ष्मी के व्यक्तित्व पर विचार करें। अथवालक्ष्मी का चरित्रचित्रण कीजिए।

उत्तर-लक्ष्मी कहानी की नायिका है। वह परिश्रमी, सहनशील, साहसी एवं कुशल गृहिणी है  वह हर विषम परिस्थिति का मुकाबला साहस के साथ करती है। तूफान में घर नष्ट हो जाता है तो कर्ज लेकर घर की मरम्मत कराती है। पति की कमाई से आवश्यकता की पूर्ति न होने पर स्वयं तहसीलदार साहब के घर काम करके खर्च पूरा करती है। स्वेच्छासेवक दल में अपने बड़े पुत्र को भेज देती है। गाँव के लड़के को बाँध की रक्षा करने के लिए प्रोत्साहित करती है। गुणनिधि से पूछती है— “हिम्मत बँध रही है क्या छोटे, सकोगे ?’ बाढ़ की आशंका को देखते हुए एक बोरे में चूड़ा, बर्त्तन तथा कुछ कपड़े रख लेती है। वह ममतामयी माँ भी है। अपने छोटे पुत्र को न देखकर व्याकुल होती है तथा ममता के आवेग में मरे बच्चे को अपने सीने से सटाकर अपना स्तन उसके मुँह के पास लगाकर जोर से अपने सीने मेंदबा लेती है। अतः लक्ष्मी नारीजन्य सारे गुणों से युक्त महान व्यक्तित्व की महिला है।

प्रश्न 6. बिहार का जनजीवन भी बाढ़ और सूखा से प्रभावित होता रहा इस संबंध में आप क्या सोचते हैंलिखें।

उत्तर– बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है। उत्तर बिहार बाढ़ की विभीषिकाओं को झेलते झेलते इतना अभ्यस्त हो गया है कि अब इन्हें इसका कोई भय नहीं सताता। उत्तर बिहार में हर साल बाढ़ आती है। इस कारण यहाँ की गरीबी मिटती नहीं क्योंकि जब बाढ़ आती है, गाँव-घर को बहाकर वीरान बना देती है। गत वर्ष मधेपुरा था सहरसा जिले इसी बाढ़ के कारण बर्बाद हो गये। कच्चे घर को कौन कहे, पक्के घर भी बाढ़ की तेज धारा में धराशायी हो गए। सर्वत्र हाहाकार मच गया। लोग शरणार्थी बन गए। सड़क टूट गई। सारा क्षेत्र पानी में डूब गया। पशु बह गए। जानमाल का इतना नुकसान हुआ कि इसकी भरपाई करने में कई वर्ष लग जाएँगे। सरकार एवं समाज ने खुलकर मदद की।

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